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दरअसल करण जौहर की ‘तख़्त' में मुग़ल सल्तनत

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दरअसल करण जौहर की ‘ तख़्त ' में मुग़ल सल्तनत - अजय ब्रह्मात्मज करण जौहर ने आज अपनी नई फिल्म ‘ तख़्त ' की घोषणा की है. अभी केवल यह बताया गया है कि यह फिल्म 2020 में आएगी. इस फिल्म में रणवीर सिंह , करीना कपूर खान , आलिया भट्ट , विकी कौशल , भूमि पेडणेकर , जान्हवी कपूर और अनिल कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं. धर्मा प्रोडक्शन की यह सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म है. इस फिल्म से करण जौहर की एक नई निर्देशकीय यात्रा शुरू होगी. वह इतिहास के किरदारों को भव्य भंगिमा के साथ पर्दे पर ले आयेंगे. इस फिल्म की कहानी सुमित राय ने लिखी है   घोषणा के अनुसार   इसके संवाद   हुसैन हैदरी   और सुमित राय लिखेंगे. घोषणा में तो नहीं लेकिन करण जौहर ने एक ट्विट में सोमेन मिश्र का उल्लेख   किया है. दरअसल , इस फिल्म के पीछे सोमेन मिश्रा का बड़ा योगदान है.उन्होंने ही इस फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार करवाई है. ‘ तख्त ’ मुग़ल सल्तनत के के बादशाह शाहजहां के अंतिम दिनों की कहानी होगी. बादशाह बीमार हो गए थे और उनके बेटों के बीच तख़्त पर काबिज होने की लड़ाई चालू हो गई थी. हम सभी जानते हैं कि शाहजहां के बाद औरंगजेब

सिनेमालोक : फैशन पत्रिका के कवर पर सुहाना

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सिनेमालोक   फैशन पत्रिका के कवर पर सुहाना - अजय ब्रह्मात्मज महंगी फैशन पत्रिका ‘ वोग ' के कवर पर सुहाना खान का आना अस्वाभाविक नहीं है.वह शह रुख खान की बेटी हैं.फिल्मों में काम करने को उत्सुक हैं.उनकी इस उत्सुकता के बारे में शाह रुख खान अपने इंटरव्यू में बता चुके हैं.किसी समय वे सुहाना के लिए अभिनय के टिप्स कलमबद्ध कर रहे थे.सुहाना आगे की पढाई के लिए फ़िलहाल अमेरिका जा रही है. यह तय है कि देर-सवेर वह फिल्मों में ज़रूर काम करेंगी , बिना शक उन्हें अच्छी लॉन्चिंग मिलेगी. फिल्मों के आने के पहले से वह सेलिब्रिटी का दर्जा रखती हैं.फिल्म की घोषणा के साथ उनका स्टारडम भी निश्चित है. आगे सब कुछ   उनकी प्रतिभा पर निर्भर करेगा. फिल्म बिरादरी के बच्चों को मौके आसानी से मिल जाते हैं और बार-बार मिलते हैं , लेकिन दर्शक ही उनका भविष्य तय करते हैं. चर्चा गर्म है कि क्या सुहाना खान अपनी योग्यता से फैशन पत्रिका के कवर पर आई हैं ? बिलकुल....फ़िलहाल शाह रुख खान की बेटी होना ही उनकी योग्यता है. इस योग्यता को नज़रन्दाज नहीं किया जा सकता. भारत उपमहाद्वीप में जीवन के सभी क्षेत्रों में माता-

फिल्म समीक्षा : मुल्क

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फिल्म समीक्षा : मुल्क  समस्या और समाधान के 140मिनट  -अजय ब्रह्मात्मज  मुख्यधारा की फिल्मों के कलाकार ऋषि कपूर को अनुभव सिन्हा ने बनारस की एक गली में जाकर रोपा और उन्हें मुराद अली बना दिया.ऋषि कपूर और प्रतिक स्मिता बब्बर ही इस फिल्म में मुबई के पले-बढे मुख्य कलाकार हैं.इन दोनों की तब्दीली की मुश्किलें हैं.दोनों ही अपने किरदार को ओढ़ते हैं.खास कर प्रतीक शहीद जैसे प्रमुख किरदार को निभा नहीं पाते.उनका लहजा और व्यवहार बनारस का तो बिल्कुल नहीं लगता.दिक्कतें ऋषि कपूर के साथ भी हैं,लेकिन लुक,मेकअप ,संवाद और किरदार पर फिल्म की टीम का पूरा ध्यान होने से वे मुराद अली से लगते हैं.ऋषि कपूर का निजी लहजा उनके हर किरदार पर हावी हो जाता है.अगर वे लेखक-निर्देशक की मदद से उसे छोड़ने की कोशिश करते हैं तो उनके किरदार की गति में व्यतिक्रम पड़ता है.वह 'मुल्क' में भी है. मनोज पाहवा और ऋषि कपूर के साथ के दृश्यों को देख लें तो अंतर पता चल जायेगा.मुख्य किरदारों को रहने दें.फिल्म के सहयोगी किरदारों में आये उत्तर भारतीय कलाकारों को देखें तो उनकी सहजता ही ऋषि कपूर की कृत्रिमता जाहिर कर देती है. अ

सिनेमालोक : जब गीतों के बोल बनते हैं मुहावरा

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सिनेमालोक जब गीतों के बोल बनते हैं मुहावरा -अजय ब्रह्मात्मज दस दिनों पहले अतुल मांजरेकर  की फिल्म ‘फन्ने खान' का एक गाना जारी हुआ था.इस सवालिया गाने की पंक्तियाँ हैं,’ खुदा तुम्हें प्रणाम है सादर पर तूने दी बस एक ही चादर क्या ओढें क्या बिछायेंगे मेरे अच्छे दिन कब आयेंगे मेरे अच्छे दिन कब आयेंगे दो रोटी और एक लंगोटी एक लंगोटी और वो भी छोटी इसमें क्या बदन छुपाएंगे मेरे अच्छे दिन कब आयेंगे अच्छे दिन कब आयेंगे? गाना बेहद पोपुलर हुआ.इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया गया.यह देश के निराश नागरिकों का गाना बन गया.’अच्छे दिनों' के वाडे के साथ आई वर्तमान सरकार से लोग इसी गाने के बहाने सवाल करने लगे.सवाल का स्वर सम्मोहिक हुआ तो नुमैन्दों के कान खड़े हुए.कुछ तो हुआ कि जल्दी ही महज दस दिनों में इसी गाने की कुछ और पंक्तिया तैरने लगीं.अब उसी गाने का विस्तार है… जो चाह था हो ही गया वो अब न कोई खुशियाँ रोको सपनों ने पंख फैलाये रे मेरे अच्छे दिन हैं आये रे. ऐसा माना जा रहा है कि निर्माता-निर्देशक पर दबाव पड़ा तो उन्होंने इस गीत को बदल दिया.’अच्छे दिन कब आय

सिनेमालोक जान्हवी और ईशान को लेकरT करण जौहर परेशान

सिनेमालोक जान्हवी और ईशान को ्लेकर करण जौहर परेशान - अजय ब्रह्मात्मज शुक्रवार 19 जुलाई से आज तक सोशल मीडिया पर ‘धड़क’ के बारे में जितना लिखा गया है,उतना हाल-फिलहाल में किसी और फ़िल्म के लिए नहीं लिखा गया। कारण जौहर ने लीड ले रखा है। सिर्फ उनके ट्वीट हैंडल पर नज़र डालें तो पाएंगे कि चार दिनों में उन्होंने सबसे ज्यादा ट्वीट किए। उन्होंने फिल्म की छोटी और संक्षिप्त तारीफों को भी रिट्वीट कर बाद और विस्तृत बना दिया है। यूँ लग रहा है कि फिलहाल ‘धड़क’ के अलावा मनोरंजन जगत में कुछ नहीं हो रहा है। फ़िल्म पत्रकार,समीक्षक,डेस्क राइटर,कंटेंट क्रिएटर और फ़िल्म पंडित सभी तारीफ करने और जानकारी देने में एक-दूसरे को धकिया रहे हैं।कारण उनकी धकमपेल के मज़े ले रहे है। वे खुश और परेशान है। खुश इसलिए हैं कि फ़िल्म ध्येय और आशा के अनुरूप कमाई कर रही है। परेशान इसलिए हैं कि फ़िल्म की कमाई बढ़े। पहली ही फ़िल्म से जान्हवी और ईशान स्थापित हो जाएं। करण जौहर कुशल संरक्षक और बेशर्म प्रचारक हैं। वे अपने कलाकारों से बेइंतहा प्यार करते हैं। उनका जम कर प्रचार करते हैं। उनकी आक्रामकता प्रभावित करती है। ‘धड़क’ और जान्हवी

कास्टिंग : कांटेक्ट,कांटेस्ट,काउच,कम्प्रोमाइज़ और क्राउन

फिल्म लॉन्ड्री कास्टिंग : कांटेक्ट,कांटेस्ट,काउच,कम्प्रोमाइज़ और क्राउन -अजय ब्रह्मात्मज प्रसंग एक - 2015 में 20वीं सदी के मशहूर डायरेक्टर ए आर कारदार के दफ्तर की कुछ तस्वीरें अचानक वायरल हुई थीं.सभी ने खूब चुस्की लेकर उसे ‘कास्टिंग काउच' से जोड़ा था.सच्चाई यह थी कि कारदार 1951 में अपनी नयी फिल्म ‘दिल-ए-नादां’ के लिए दो लड़कियों का चुनाव कर रहे थे.इस फिल्म के लिए आखिरकार पीस कँवल और चाँद उस्मानी चुनी गयी थीं.लाइफ मैगज़ीन के फोटोग्राफर ने ये तस्वीरें कारदार साहेब के दफ्तर में उतारी थीं.मुमकिन है,उन दिनों किरदारों के मुआफिक कलाकारों के चुनाव के लिए ऑडिशन का यही तरीका अपनाया जाता हो. ए आर कारदार लाहौर के एक्टर और फिल्मकार थे.जो निजी कारणों से विभाजन के पहले ही लाहौर से कोलकाता और फिर मुंबई आ गए थे. प्रसंग दो - मधुर भंडारकर की फिल्म ‘पेज 3’ में महानगरों के पेज 3 कल्चर को एक्स्पोज करने के लिए फिल्म और फैशन इंडस्ट्री के कुछ अंदरूनी सीन रखे गए थे.एक खास सीन में अंग्रेजी की फिल्म जर्नलिस्ट माधवी (कोंकणा सेन) फिल्म स्टार रोहित(विक्रम सलूजा) से स्ट्रगलिंग एक्टर गायत्री (तारा शर्मा) क