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मर्द की भाषा औरतें क्यों नहीं बोल सकती? -रिचा चड्ढा

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फिल्म लांड्री मर्द की भाषा औरतें क्यों नहीं बोल सकती? -रिचा चड्ढा  -अजय ब्रह्मात्मज  आतंकवादियों ने कश्मीर के पत्रकार शुजात बुखारी पर कातिलाना हमला किया और उनकी हत्या कर दी.मीडिया और राजनीतिक हलके कि लिए यह बड़ी खबर थी.सभी महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने आतंकवादियों के इस कृत्य की निंदा की. ऐसे मौकों पर फिल्म बिरादरी खामोश रहती है.राजनीतिक समझ और पक्षधरता की कमी से उनकी प्रतिक्रियाएं नहीं आती हैं.रिचा चड्ढा अपवाद हैं.वह चुप नहीं रहतीं.उस दिन उन्होंने ट्वीट किया,’कायरों ने शुजात बुखारी की हत्या कर दी.आप अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हो.आप बता रहे हो कि आप शांति नहीं चाहते.पत्रकारिता खतरनाक काम नहीं होना चाहिए.’यह ताज़ा प्रसंग है.रिचा ज्वलंत मुद्दों पर अपना पक्ष रखने से नहीं हिचकतीं.फिल्म इंडस्ट्री का मामला हो या व्यापक समाज का...हर ज्वलंत मुद्दे पर रिचा मुखर रहती हैं.पिछले दिनों उनसे मुलाक़ात हुई तो मेरी जिज्ञासा उनके १० साल के करियर को लेकर थी.इस साल नवम्बर में उन्हें फिल्मों में आये १० साल हो जायेंगे.उनकी पहली फिल्म ‘ओये लकी लकी ओये’ २८ नवम्बर २०१८ को रिलीज हुई थी. रिचा नहीं मानत

वैजयन्ती माला : जिनकी कला का इन्द्रधनुष स्वर्ग को छू सकता है - राजिंदर सिंह बेदी

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वैजयन्ती माला जिनकी कला का इन्द्रधनुष स्वर्ग को छू सकता है -          राजिंदर सिंह बेदी        प्रगतिशील लेखक संघ के सक्रिय सदस्य और उर्दू के लेखक राजिंदर सिंह बेदी ने 'देवड़ा' और 'मधुमति' जैसी फिल्मों के संवाद लिखने के साथ खुद के लिए भी कुछ फ़िल्में लिखी और निर्देशित की. उन्होंने अभिनेत्री वैजयन्ती माला पर यह लेख 1964 में माधुरी पत्रिका के 8 मई के अंक में लिखा था.इस लेख में उन्होंने वैजयन्ती माला की प्रतिभा का बखान किया है. महत्वपूर्ण है कि अपने समय का एक महत्वपूर्ण लेखक किसी समकालीन अभिनेत्री पर लिख रहा है.क्या यह अभी संभव है? मैंने तो किसी लेखक को विद्या बालन या आलिया भट्ट पर कुछ लिखते नहीं देखा या पढ़ा है. मुझे पूरी उम्मीद है की किसी दिन मेरे मित्र विनीत कुमार दीपिका पादुकोण पर एक लेख ज़रूर लिखेंगे.   यद्यपि हिन्दुस्तानी फिल्मों में पुरुष कलाकार ज्यादा पैसे लेते हैं और वितरक अक्सर उन्हीं के नाम से तस्वीरें उठाते हैं , लेकिन मेरे ख्याल से अगर कुल मिलाकर देखा जाये तो औरतें इनसे बेहतर कलाकार भी हैं और इन्सान भी.             लाख सिर पटकने के बावजूद