Posts

फिल्‍म समीक्षा - इरादा

Image
फिल्‍म रिव्‍यू उम्‍दा अभिनय,जरूरी कथ्‍य इरादा -अजय ब्रह्मात्‍मज फिल्‍म के कलाकारों में नसीरूद्दीन शाह,अरशद वारसी और दिव्‍या दत्‍त हों तो फिल्‍म देखने की सहज इच्‍छा होगी। साथ ही यह उम्‍मीद भी बनेगी कि कुछ ढंग का और बेहतरीन देखने को मिलेगा। ‘ इरादा ’   कथ्‍य और मुद्दे के हिसाब से बेहतरीन और उल्‍लेखनीय फिल्‍म है। इधर हिंदी फिल्‍मों के कथ्‍य और कथाभूमि में विस्‍तार की वजह से विविधता आ रही है। केमिकल की रिवर्स बोरिंग के कारण पंजाब की जमीन जहरीली हो गई है। पानी संक्रमित हो चुका है। उसकी वजह से खास इलाके में कैंसर तेजी से फैला है। इंडस्ट्रियल माफिया और राजनीतिक दल की मिलीभगत से चल रहे षडयंत्र के शिकार आम नागरिक विवश और लाचार हैं। कहानी पंजाब के एक इलाके की है। रिया(रुमाना मोल्‍ला) अपने पिता परमजीत वालिया(नसीरूद्दीन शाह) के साथ रहती है। आर्मी से रिटायर परमजीत अपनी बेटी का दम-खम बढ़ाने के लिए जी-तोड़ अथ्‍यास करवाते हैं। वह सीडीएस परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। पिता और बेटी के रिश्‍ते को निर्देशक ने बहुत खूबसूरती से चित्रित और स्‍थापित किया है। उनका रिश्‍ता ही फिल्‍म का आधार

दरअसल : डराती है हकीकत

Image
दरअसल... डराती है हकीकत -अजय ब्रह्मात्‍मज आज देश के कुछ सिनेमाघरों में ‘ जॉली एलएलबी2 ’ रिलीज होगी। रिलीज के हफ्ते में यह चर्चा में रही। सभी जानते हैं कि इस फिल्‍म में जज और देश की न्‍याय प्रणाली के चित्रण पर एक वकील ने आपत्ति की। कोर्ट ने उसका संज्ञान लिया और फसला फिल्‍म के खिलाफ गया। फिल्‍म से चार दृश्‍य निकाल दिए गए। उन दृश्‍यों की इतनी चर्चा हो चुकी है कि दर्शक समझ जाएंगे कि वे कौन से सीन या संवाद रहे होंगे। कुछ सालों के बाद इस फिल्‍म को देख रहे दर्शकों को पता भी नहीं चलेगा कि इस फिल्‍म के साथ ऐसा कुछ हुआ था। हां,फिल्‍म अध्‍येता देश में चल रहे सेंसर और अतिरिक्‍त सेंसर के पर्चों में इसका उल्‍लेख करेंगे। निर्माता ने पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी,लेकिन उन्‍होंने उसे वापिस ले लिया। उन्‍होंने लेखक-निर्देशक को सीन-संवाद काटने के लिए राजी कर लिया। लेखक-निर्देशक की कचोट को हम समझ सकते हैं। उनका अभी कुछ भी बोलना उचित नहीं होगा। उससे कोट्र की अवमानना हो सकती है। सवाल है कि क्‍या कोर्अ-कचहरी की कार्य प्रणाली पर सवाल नहीं उठाए जा सकते ? क्‍या उनका मखौल नहीं उड़ाया

फिल्‍म समीक्षा : जॉली एलएलबी 2

Image
फिल्‍म रिव्‍यू सहज और प्रभावपूर्ण जॉली एलएलबी 2 -अजय ब्रह्मात्‍मज सुभाष कपूर लौटे हैं। इस बार वे फिर से जॉली के साथ आए हैं। यहां जगदीश त्‍यागी नहीं,जगदीश्‍वर मिश्रा हैं। व्‍यक्ति बदलने से जॉली के मिजाज और व्‍यवहार में अधिक फर्क नहीं आया है। लखनऊ में वकालत कर रहे जगदीश्‍वर मिश्रा उर्फ जॉली असफल वकील हैं। मुंशी के बेटे जगदीश्‍वर मिश्रा शहर के नामी वकील रिजवी के पंद्रहवें सहायक हैं। हां,उनके इरादों में कमी नहीं है। वे जल्‍दी से जल्‍दी अपना एक चैंबर चाहते हैं। और चाहते हैं कि उन्‍हें भी कोई केस मिले। अपनी तरकीबों में विफल हो रहे जगदीश्‍वर मिश्रा की जिंदगी में आखिर एक मौका आता है। पिछली फिल्‍म की तरह ही उसी एक मौके से जॉली के करिअर में परिवर्तन आता है। अपनी सादगी,ईमानदारी और जिद के साथ देश और समाज के हित वह मुकदमा जीतने के साथ एक मिसाल पेश करते हैं। जॉली एक तरह से देश का वह आम नागरिक है,जो वक्‍त पड़ने पर असाधारण क्षमताओं का परिचय देकर उदाहरण बनता है। हमारा नायक बन जाता है। सुभाष कपूर की संरचना सरल और सहज है। उन्‍होंने हमारे समय की आवश्‍यक कहानी को अपने पक्ष और सोच के साथ

इस बार कैनवास बड़ा है - सौरभ शुक्‍ला

Image
सौरभ शुक्‍ला सुभाष कपूर की फिल्‍म ‘ जॉली एलएलबी2 ’ का शहर बदल गया है। दोनों वकील बदल गए हैं,लेकिन जज वही है। जज की भूमिका में फिर से सौरभ शुक्‍ला दिखेंगे। पिछली बार इसी भूमिका के लिए उन्‍हें राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था। - ‘ जॉली एलएलबी2 ’ के बारे में क्‍या कहेंगे ? वकील बदल गए,लेकिन आप बरकरार हैं। 0 यह दूसरे शहर की दूसरी कहानी है। फिल्‍म का विषय वही है। कानून और कोर्ट वही हैं। जज का ट्रांसफर दिल्‍ली से लखनऊ हो गया है। इसमें वकीलों की भूमिका निभा रहे कलाकारों का अलग अंदाज है। दोनों ने बहुत अच्‍छा काम किया है। -अक्षय कुमार के अभिनय और रोल को लकर जिज्ञासा है। क्‍या आप कुछ बता सकेंगे ? 0 अक्षय कुमार काफी समय से अलग प्रकार की फिल्‍में कर रहे हैं। उनकी पिछली फिल्‍मों की लिस्‍ट देख लें। उन्‍होंने कमर्शियल फार्मेट में ही सफल प्रयोग किए। उन्‍होंने पहली बार एनएसडी और थिएटर के बैकग्राउंड के सभी कलाकारों के साथ काम किया। वे प्रशिक्षित कलाकारों के साथ काफी खुश थे। मैंने पहली बार उनके साथ काम किया है। वे बहुत कामयाब स्‍टार हैं। उन्‍होंने इसका एहसास नहीं होन दिया

हीरो बनने की है तैयारी : मोहम्मद जीशान अय्युब

Image
हीरो बनने की है तैयारी : मोहम्मद जीशान अय्युब     -अजय ब्रह्मात्‍मज ‘ रईस ’ में रईस की परछाई है सादिक। उसे समर्थ अभिनेता मोहम्मद जीशान अय्युब ने निभाया है। उनके काम से खुद शाह रुख खान भी बड़े खुश व संतुष्‍ट हैं। उन्होंने खुलकर जीशान अय्युब की तारीफें की हैं।     अभिभू‍त जीशान अय्युब कहते हैं, ’ यह उनका बड़प्पन है। मैं तो ऐसे रोल कई बार कर चुका हूं। यह चौथी बार था। मैंने सादिक को गरिमा की चादर ओढाई। इससे वह महज हीरो का आम सा दोस्त नहीं लगा। वह अलग रंग-ढंग में नजर आया। आमतौर पर ऐसे किरदारों को खुली छूट नहीं मिलती। यहां ऐसा नहीं हुआ। शाह रुख ने मुझे पूरी आजादी दी। वे लगातार कहते रहे कि फलां डायलॉग जीशान से बुलवाओ। फलां बातचीत में दोनों के बीच समान बहस होनी चाहिए। यह नहीं कि रईस ही सादिक पर भारी पड़े। वे खुद को जमकर रिहर्सल करते हैं हीं, मुझे भी खूब करवाते थे। सीन को टिपिकल फिल्मी शूटिंग की तरह नहीं, बल्कि जैसा थिएटर में नाटकों के दौरान कलाकारों का तालमेल होता है, उस मिजाज से शाह रुख खान ने काम किया। करवाया भी। ‘     अक्सर सेट पर हीरो के फ्रेंड को अलग तरीके से ट्रीट किया

मजेदार किरदार है जगदीश्‍वर मिश्रा- अक्षय कुमार

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज मंगलवार को जगदीश्‍वर मिश्रा फिल्‍मसिटी में ‘ द कपिल शर्मा शो ’ की शूटिंग कर रहे थे। लखनऊ के जगदीश्‍वर मिश्रा वकील की वेशभूषा में ही थे। कपिल शर्मा को भी पहली बार समझ में आया कि किसी वकील से मजाकिया जिरह करने में भी पसीने छूट सकते हैं। यह अलग बात है कि कपिल शर्मा की मेहनत का यह पसीना छोटे पर्दे पर हंसी बन कर बिखरेगा। शो से निकलत ही जगदीश्‍वर मिश्रा प्रशंकों से घिर गए। जो पास में थे,वे सेल्‍फी लेने लगे और जो दूर थे वे उनकी तस्‍वीरें उतारने लगे। जगदीश्‍वर मिश्रा की पैनी निगाहों से कोई बचा नहीं रहा। वे सभी का अभिनंदन कर रहे थे। इस बीच चलते-चलते ड्रेसमैन ने उनका काला कोट उतार दिया। जगदीश्‍वर मिश्रा ने कमीज ढीली की और परिचित मुस्‍कराहट के साथ अक्षय कुमार में तब्‍दील हो गए। आप सभी को पता ही है कि सुभाष कपूर की नर्द फिल्‍म ‘ जॉली एलएलबी2 ’ में अक्षय कूमार वकील जगदीश्‍वर मिश्रा की भूमिका निभा रहे हैं। वे पहली बार वकील का किरदार निभा रहे हैं। अनुशासित और समय के पाबंद अक्षय कुमार फिल्‍मों की रिलीज के पहले कुछ ज्‍यादा व्‍यस्‍त हो जाते हैं। उन्‍होंने इंटरव्‍यू के ल

दरअसल : एकाकी हैं करण जौहर

Image
दरअसल     एकाकी हैं करण जौहर -अजय ब्रह्मात्‍मज         करण जौहर की ‘ ऐन अनसुटेबल ब्‍वॉय ’ मीडिया में चर्चित है। इसके कुछ अंश विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपे हैं। किताबों से वैसे रोचक प्रसंग लिए गए हैं, जहां करण जौहर अपने सेक्सुऐलिटी के बारे में नहीं बताना चाहते। वे सेक्स की बातें करते हैं, लेकिन अपने सेक्स ओरिएंटेशन को अस्पष्‍ट रखते हैं। उनकी अस्पष्‍टता के कई मायने निकाले जा रहे हैं। शायद पाठकों को मजा आ रहा होगा। करण जौहर बेहद स्मार्ट फिल्मी हस्ती हैं। उन्होंने दर्शकों और पाठकों को मुग्ध करने और अपने प्रति आकर्षित करने की कला सीख ली है। वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पहली डिजाइनर पर्सनैलिटी हैं, जिनके बात-व्‍यवहार से लेकर चाल-ढाल और प्रस्तुति सब कुछ नपी-तुली होती है। उन्हें मालूम है कि उनका लेफ्ट प्रोफाइल ज्यादा अच्छा लगता है तो कैमरे के सामने आते ही वे हल्का सा दाहिना एंगल ले लेते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा सधा व्‍यक्तित्व नहीं है। पत्र-पत्रिकाओं में शाह रुख खान से उनके संबंध और काजोल से बिगड़ते रिश्‍तों के विवरण के अंश भी प्रकाशित हुए। दरअसल, फिल्मों से संबंधित हर किस

हमने ही खींची हैं लकीरें - जैगम इमाम

Image
-अजय ब्रह्मात्‍मज जैगम इमाम उत्‍तरप्रदेश के बनारस शहर के हैं। उनकी दूसरी फिल्‍म ‘ अलिफ ’ आ रही है। पत्रकार और लेखक जैगम ने पिछली फिल्‍म ‘ दोजख ’ की तरह इस बार भी अपने परिवेश की कहानी चुनी है। मुस्लिम समाज की पृष्‍ठभूमि की यह फिल्‍म अपनी पहचान पाने की एक कोशिश है। अभी देश-दु‍निया में मुसलमानों को लेकर अनेक किस्‍म के पूर्वाग्रह चल रहे हैं। ‘ अलिफ ’ उनसे इतर जाकर उस समाज की मुश्किलों और चाहतों की बात करती है। जैगम की यह जरूरी कोशिश है। -‍िपछली फिल्‍म ‘ दोजख ’ से आप ने क्‍या सीखा ? 0 ‘ दोजख ’ मेरी पहली फिल्‍म थी। मैं पत्रकारिता से आया था तो मेरा अप्रोच भी वैसा ही था। फिल्‍म की बारीकियों का ज्ञान नहीं था। उस फिल्‍म से मुझे महीन सबक मिले। मेरी पहली कोशिश को सराहना मिली। सिनेमा का तकनीकी ज्ञान बढ़ा। ‘ अलिफ ’ में कई कदम आगे आया हूं। - ‘ अलिफ ’ क्‍या है ? और यही फिल्‍म क्‍यों ? 0 ईमानदारी से कहूं तो मैं पॉपुलर लकीर पर चल कर पहचान नहीं बना सकता। मेरी फिल्‍म किसी से मैच नहीं करती। मैं अपने परिवेश की कहानी दिखाना चाहता हूं। मैं अपनी जमीन और मिट्टी लेकर आया हूं। इस फिल्‍म की

फिल्‍म समीक्षा : कुंगफू योगा

Image
जैकी चान की बॉलीवुड यात्रा कुंगफू योगा -अजय ब्रह्मात्‍मज भारत और चीन के संबंध सदियों पुराने हैं। बौद्ध धर्म ने दोनों देशों के आध्‍यात्मिक और राजनयिक संबंधों को बढ़ाया। भारत की आजादी और चीन की मुक्ति के बाद दोनों देशों के बीच भाई-भाई का नारा लगा, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद संबंधों में खटास आ गई। सीमा विवाद की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध पहले की तरह मजबूत और भरोसेमंद नहीं हो पा रहे हैं। दोनों देशों को करीब लाने में फिल्‍मों की अप्रत्‍यक्ष भूमिका है। लंबे समय तक भारतीय खास कर हिंदी फिल्‍में चीन में लोकप्रिय रही हैं। यह सिलसिला फिर से जुड़ा है। आमिर खान की ‘ 3 इडियट ’ और ‘ पीके ’ ने चीन में अच्‍छा कारोबार किया। सच है कि एक आम चीनी हिंदी फिल्‍मों के बारे में जितना जानता है, उतना आम भारतीय नहीं जानते। इस पृष्‍ठभूमि में जैकी चान का महत्‍व बढ़ जाता है। वे अपनी फिल्‍मों में भारत को और एक्‍सप्‍लोर कर रहे हैं। ‘ कुंगफू योगा ’ के पहले उन्‍होंने मल्लिका सहरावत के साथ ‘ द मिथ ’ भी बनाई थी। इस बार उन्‍होंने भारतीय कलाकार सोनू सूद, दिशा पाटनी और अमायरा दस्‍तूर को म

फिल्‍म समीक्षा - अलिफ

Image
फिल्‍म रिव्‍यू पढ़ना जरूरी है अलिफ -अजय ब्रह्मात्‍मज जैगम इमाम ने अपनी पिछली फिल्‍म ‘ दोजख ’ की तरह ही ‘ अलिफ ’ में बनारस की जमीन और मिट्टी रखी है। उन्‍होंने बनारस के एक मुस्लिम मोहल्‍ले के बालक अलिफ की कहानी चुनी है। अलिफ बेहद जहीन बालक है। शरारती दोस्‍त शकील के साथ वह एक मदरसे में पढ़ता है। कुरान की पढ़ाई के अलावा उनकी जिंदगी में सामान्‍य मौज-मस्‍ती है। लेखक व निर्देशक जैगम इमाम बहुत सादगी से मुस्लिम मोहल्‍ले की जिंदगी पर्दे पर ले आते हैं। बोली,तहजीब,तौर-तरीके और ख्‍वाहिशें.... ‘ मुस्लिम सोशल ’ की श्रेणी में यह फिल्‍म रखी जा सकती है,लेकिन यह नवाबों की उजड़ी दुनिया नहीं है। यह बनारस की एक आम बस्‍ती है,जो अपनी आदतों और रवायतों के साथ धड़क रही है। अलिफ की जिंदगी में तब हलचल मचती है,जब दशकों बाद उसकी फूफी पाकिस्‍तान से आ जाती हैं। दुखद अतीत की गवाह फूफी जहरा रजा आधुनिक सोच की हैं। उनकी निजी तकलीफों ने उन्‍हें जता दिया है कि दुनिया के साथ जीने और चलने में ही भलाई है। वह जिद कर अपने भतीजे अलिफ का दाखिला कवेंट स्‍कूल में करवा देती हैं। वह चाहती हैं कि वह बड़ा होकर डाक