Posts

परफारमेंस काफी है पहचान के लिए-तापसी पन्नू

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     नीरज पाण्डेय की फिल्म ‘बेबी’ में तापसी पन्नू की सभी ने तारीफ की। फिल्म के नायक अजय की सहकर्मी प्रिया एक स्पेशल मिशन पर काठमांडू जाती है। वहां वसीम से सच जानने के लिए वह उसे अपने कमरे में ले आती है। वसीम को प्रिया का सच मालूम हो जाता है। वहां दोनों की भिड़ंत होती है। प्रिया अपने पुरुष सहकर्मी का इंतजार नहीं करती। वह टूट पड़ती और उसे धराशायी करती है। हिंदी फिल्मों में ऐसा कम होता है। ज्यादातर फिल्मों में स्त्री पात्र पुरुषों के हाथों बचायी जाती हैं। तापसी पन्नू चल रही तारीफ से खुश हैं। - क्या वसीम से भिडंत के सीन करते समय यह खयाल आया था कि इसे ऐसी सराहना मिलेगी? 0 यह उम्मीद तो थी कि सराहना मिलेगी। फिल्म में मेरा रोल महत्वपूर्ण था। यह उम्मीद नहीं की थी कि मेरे सीन पर लोग तालियां और सीटियां मारेंगे। टिप्पणियां करेंगे। यह तो अविश्वसनीय सराहना हो गई है। -क्या नीरज पाण्डेय ने कोई इशारा किया था कि सीन का जबरदस्त इंपैक्ट होगा? 0 नीरज पाण्डेय अधिक बात करने में विश्वास नहीं करते। उन्होंने यही कहा था कि रियल लगना चाहिए। दर्शकों को यकीन हो कि लडक़ी ने खुद से ताकतवर व्यक्त

बहुमत की सरकार की आदर्श फिल्म: दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे 3

Image
विनीत कुमार ने आदित्‍य चोपड़ा की फिल्‍म दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे पर यह सारगर्भित लेख लिखा है। उनके विमर्श और विश्‍लेषण के नए आधार और आयाम है। चवन्‍नी के पाठकों के लिए उनका लेख किस्‍तों में प्रस्‍तुत है। आज उसका तीसरा और आखिरी अंश... -विनीत कुमार  फेल होना और पढ़ाई न करना हमारे खानदान की परंपरा है..भटिंडा का भागा लंदन में मिलिनयर हो गया है लेकिन मेरी जवानी कब आयी और चली गयी, पता न चला..मैं ये सब इसलिए कर रहा हूं ताकि तू वो सब कर सके जो मैं नहीं कर सका..- राज के पिता Xxx                                                                              xxxxxx मुझे भी तो दिखा, क्या लिखा है तूने डायरी में. मुझसे छिपाती है, बेटी के बड़ी हो जाने पर मां उसकी मां नहीं रह जाती. सहेली हो जाती है- सिमरन की मां. फिल्म के बड़े हिस्से तक सिमरन की मां उसके साथ वास्तव में एक दोस्त जैसा व्यवहार करती है, उसकी हमराज है लेकिन बात जब परिवार की इज्जत और परंपरा के निर्वाह पर आ जाती है तो “ मेरे भरोसे की लाज रखना ” जैसे अतिभावनात्मक ट्रीटमेंट की तरफ मुड़ जाता है. ऐसा कहने औऱ व्यवहार करने में ए

फेमस होने के लिए फिल्में नहीं करती- राधिका आप्टे

Image
-अजय ब्रह्मात्मज     इस साल राधिका आप्टे की पांच फिल्में रिलीज होंगी। सबसे पहले 20 फरवरी को श्रीराम राघवन की ‘बदलापुर’ आएगी। उसके बाद र्फैटम और शेमारू के कोप्रोडक्शन में बनी ‘हंटर’ आएगी। फिर ‘कौन कितने पानी में’ आ जाएगी। ‘पाच्र्ड’ भी इसी साल रिलीज होगी। केतन मेहता की ‘माउंटेन मैन’ की तारीख की घोषणा नहीं हुई है। हिंदी की पांच फिल्मों के साथ एक मलयाली फिल्म ‘हरम’ है। एक तेलुगू फिल्म की शूटिंग चल रही है। रोहित बत्रा की इंटरनेशनल फिल्म ‘द फील्ड’ की तैयारी चल रही है। हिंदी फिल्मों के दो बड़े डायरेक्टर के साथ इंटरनेशनल सहयोग से बन रही दो शॉर्ट फिल्में भी हैं। अनुराग बसु के साथ एपिक चैनल के लिए ‘चोखेर बाली’ मिनी सीरिज पूरी हो चुकी है।     कह सकते हैं कि राधिका आप्टे बहुभाषी अभिनेत्री हैं। महाराष्ट्र के पुणे की निवासी इस सक्रियता के बावजूद हिंदी की सामान्य अभिनेत्रियों की तरह बात-व्यवहार नहीं करतीं। अपने काम के प्रति उत्साह तो रहता है,लेकिन उसके बारे में शोर मचाने से परहेज करती हैं राधिका। इधर एक फर्क आया है कि अब वह हिंदी फिल्मों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं,इसलिए उनकी अन्य भाषाओं की

बहुमत की सरकार की आदर्श फिल्म: दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे 2

Image
विनीत कुमार ने आदित्‍य चोपड़ा की फिल्‍म दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे पर यह सारगर्भित लेख लिखा है। उनके विमर्श और विश्‍लेषण के नए आधार और आयाम है। चवन्‍नी के पाठकों के लिए उनका लेख किस्‍तों में प्रस्‍तुत है। आज उसका दूसरा अंश...   -विनीत कुमार   ऐसा करके फिल्म ये दर्शकों का एक तरह से विरेचन करती है कि प्रेम तो अपनी जगह पर ठीक है लेकिन उस प्यार को हासिल करके आखिर क्या हो जाएगा जिसकी स्वीकृति अभिभावक से न मिल जाए.( छार उठाए लिन्हीं एक मुठी, दीन्हीं उठाय पृथ्वी झूठी)  इस संदर्भ को फिल्म समीक्षक नम्रता जोशी इस रूप में विश्लेषित करती है कि ये फिल्म दरअसल इसी बहाने दो अलग-अलग मिजाज,रुझान और पृष्ठभूमि की पीढ़ी के बीच सेतु का काम करती है. यही पर आकर पूरी फिल्म लव स्टोरी होते हुए भी प्रेमी-प्रेमिका का अभिभावकों के साथ निगोसिएशन की ज्यादा जान पड़ती है और इसी निगोएसिशन के बीच जो स्थितियां और संदर्भ बनते हैं वो अपनी बहुमत की सरकार के आदर्श सिनेमा की परिभाषा के बेहद करीब जान पड़ती है और तब राज वह युवा नहीं रह जाता जिसे अलग से संस्कारित करने की जरूरत रह जाती है बल्कि वह ऐसे नायक के रूप में

कैरेमल पॉपकॉर्न पसंद है आशुतोष को

Image
बर्थडे स्पेशल आशुतोष गोवारिकर के बर्थडे पर अभिषेक बच्चन बता रहे हैं उनके बारे में ... प्रस्तुति-अजय ब्रह्मात्मज आशुतोष गोवारिकर मेरे घनिष्ठ मित्र हैं। उनसे पहली मुलाकात अच्छी तरह याद है। उनके गले में चाकू घोंपा हुआ था। चाकू गले को आर-पार कर रहा था। उनके गले से खून निकल रहा था। वे सेट पर चहलकदमी करते हुए अपने शॉट का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने यह गेटअप ‘इंद्रजीत’ फिल्म के लिए लिया था। उस फिल्म में मेरे डैड अमिताभ बच्चन थे। उस फिल्म को रोज मूवीज ने प्रोड्यूस किया था। गोल्डी के पिता का तभी देहांत हुआ था तो वे अपनी बहन सृष्टि के साथ सेट पर आते थे। एक दिन मैं भी गया था तो मैंने आशुतोष को इस अवस्था में देखा। वे इस फिल्म में कैरेक्टर आर्टिस्ट का रोल प्ले कर रहे थे।     उसके बाद मैं जिन दिनों असिस्टैंट डायरेक्टर और अपनी कंपनी का प्रोडक्शन का काम देख रहा था तो उन्होंने मुझे ‘लगान’ की स्क्रिप्ट सुनाई थी। मुझे वह फिल्म बेहद पसंद आई थी। मैंने कहा था कि यह फिल्म जरूर बननी चाहिए। उसके बाद हम पार्टियों और बैठकों में सामाजिक तौर पर मिलते रहे। हमारे संबंध हमेशा मधुर रहे। ऐश्वर्या ने उनके साथ ‘जोधा अ

बहुमत की सरकार की आदर्श फिल्म: दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे

Image
विनीत कुमार ने आदित्‍य चोपड़ा की फिल्‍म दिलवाले दुल्‍हनिया ले जाएंगे पर यह सारगर्भित लेख लिखा है। उनके विमर्श और विश्‍लेषण के नए आधार और आयाम है। चवन्‍नी के पाठकों के लिए उनका लेख किस्‍तों में प्रस्‍तुत है। आज उसका पहला अंश... -विनीत कुमार हर सप्ताह ढेर सारी फिल्में रिलीज होती हैं लेकिन उनमे बमुश्किल ऐसी चीजें होती है जिनसे कि भारतीय कला और संस्कृति का प्रसार हो सके. हमारी कोशिश होगी कि हम सिनेमा के माध्यम से भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा दें, ऐसी फिल्मों को हर तरह से प्रोत्साहित करें जिसमे आर्थिक सहयोग भी शामिल है. हमने इस पर काम करना भी शुरु कर दिया है. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्म जिसकी कहानी भारत की महान परिवार परंपरा के इर्द-गिर्द ही घूमती है की हमें और जरूरत है.- मिथिलेश कुमार त्रिपाठी, राष्ट्रीय संयोजक, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ, भारतीय जनता पार्टी 1995 में रिलीज हुई फिल्म “ दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे ” के संदर्भ में यह कम दिलचस्प वाक्या नहीं है कि साल 2014 में बहुमत की सरकार बनाने जा रही  पार्टी इसे अपनी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की राजन

रॉय : पर्दे के पीछे : जयप्रकाश चौकसे

समानांतर कथाओं की सूत्रविहीन फिल्म  -जयप्रकाश चौकसे मेहमान कलाकाररणबीर कपूर, अर्जुन रामपाल और जैक्लीन की 'रॉय' में दो कहानियां समानांतर चलती हैं। एक कथा रॉय नामक अंतरराष्ट्रीय ख्याति के युवा चोर की है जिसने कभी कोई सबूत नहीं छोड़ा है। केवल उसकी आंखें एक व्यक्ति ने देखी हैं। एक गुप्तचर रजत वर्षों से उसकी तलाश में है। युवा रॉय का पथ प्रदर्शक एक बूढ़ा घाघ है और एक पेंटिंग के आधे भाग की तलाश है जिसके लिए करोड़ों रुपए मिल सकते हैं। रॉय उसी की तलाश में मलेशिया पहुंचता है और पेंटिंग हथियाने के बाद अपने पथ प्रदर्शक से वापस मांगता है क्योंकि पेंटिंग का शेष भाग बनाने वाली कन्या से वह प्यार करता है। गुरु चेले का द्वंद होता है और युवा जीत कर अपनी प्रेयसी से मिलता है। दूसरी कथा एक सनकी फिल्मकार की है जो दो चोरी की रोमांचक सफल फिल्में बना चुका है तथा तीसरी के लिए मलेशिया पहुंचा है जहां लंदन में रहने वाली भारतीय युवती भी अपनी फिल्म बनाने आई है और दिलफेंक फिल्मकार उसे अपना शिकार बनाते हुए स्वयं उससे सच्चा प्रेम करने लगता है परन्तु वह उसे समझ चुकी है और रॉय से ही उसे सच्चा प्यार

फिल्‍म समीक्षा : रॉय : गजेन्‍द्र सिंह भाटी

न महानगरीय, न कस्बाई दर्शकों की "रॉय’  ** 2/5 गजेंद्र सिंह भाटी  फिल्म खत्म होने के बाद हमें ये भूलना पड़ता है कि इसमें रणबीर कपूर, अर्जुन रामपाल और जैकलीन जैसे सितारे हैं। अंत में यही सत्य उभरता है कि विक्रमजीत सिंह की ये पहली फिल्म है और नौसिखिया फिल्म है। हो सकता है दस साल बाद वे इसे ज्यादा बेहतर बना पाएं। ट्रेलर्स से ऐसा लगता है कि रणबीर एक चोर रॉय बनकर एंटरटेन करते देखेंगे जबकि ऐसा नहीं है। वो सिर्फ फिल्ममेकर कबीर (अर्जुन) की स्क्रिप्ट का काल्पनिक पात्र है। ये जानकर निराशा होती है। लेकिन बाद में कबीर-आएशा (जैकलीन) की प्रेम कहानी कुछ लुभाने भी लगती है। "रॉय’ एक क्रिएटिव और स्वार्थी आदमी की जिदंगी के अमूर्त (Abstract) पहलुओं को दिखाती है जो नई बात है। अपनी फिल्म "गन्स-3’ बनाने तक कबीर एक जिम्मेदार आदमी बनकर उभरता है। दर्शकों को कैसा लगता है? पहले एक घंटे में वे कई बार दोहराते हैं कि ये हो क्या रहा है? क्योंकि दो समानांतर कहानियां अस्पष्ट रूप से चलती रहती हैं। अगर खूबसूरत लोकेशंस, वाइन, सिगरेट, क्रिएटिव लोगों की जिंदगी, खुलापन और प्यार की परतें प

फिल्‍म समीक्षा :रॉय : सौरभ द्विवेदी

Image
वैलंटाइंस डे के नाम पर अप्रैल फूल बनाया रॉय ने सौरभ द्विवेदी |  13 फरवरी 2015 | अपडेटेड: 18:16 IST रॉय का पोस्टर फिल्म रिव्यूः रॉय एक्टर- अर्जुन रामपाल, जैकलिन फर्नांडिस , रणबीर कपूर, अनुपम खेर डायरेक्टरः विक्रमजीत सिंह ड्यूरेशनः 2 घंटा 27 मिनट रेटिंगः 5 में 1 स्टार एक लंबी सांस लें. ध्यान केंद्रित करें. क्या नजर आ रहा है. हैंडसम रणबीर कपूर. सब भरम है. गौर से देखें. अब रौशनी क्या दिखा रही है. ओह, अर्जुन रामपाल. हां. अब धीमे धीमे आंखें मलें. सब लोग एक साथ ओउम कहते हुए सांस छोड़ें. आपका भ्रम छंट गया है. भाईसाहब और बहिन जी. एआईबी पर मुकदमा हो चुका है. इसलिए पूरी तरह से शालीन बना हुआ हूं. वर्ना तो रॉय देखकर जिस ढंग से रैंकने का मन कर रहा है, आप उसका बस अंदाजा ही लगा सकते हैं. इतनी अझेल, खखोर, चाट फिल्म है कि जिंदा रह गया, बस यही कमाल समझिए. इस फिल्म को देखते वक्त पक्का सेंसर बोर्ड वाले भी सो गए होंगे. इसीलिए सिगरेट वाले इतने सीन्स बिना कट के पास हो गए. तुर्रा यह कि कोने में लिखा आ रहा था. स्मोकिंग किल्स. लगता है कि स्याही

फिल्‍म समीक्षा : रॉय

Image
  *1/2 डेढ़ स्‍टार -अजय ब्रह्मात्‍मज  बहुत कम फिल्में ऐसी होती हैं,जो आरंंभ से अंत तक दर्शकों को बांध ही न पाएं। विक्रमजीत सिंह की 'रॉय' ऐसी ही फिल्म है। साधारण फिल्मों में भी कुछ दृश्य, गीत और सिक्वेंस मिल जाते हैं,जिसे दर्शकों का मन बहल जाता है। 'रॉय' लगातार उलझती और उलझाती जाती है। हालांकि इसमें दो पॉपुलर हीरो हैं। रणबीर कपूर और अर्जुन रामपाल का आकर्षण भी काम नहीं आता। ऊपर से डबल रोल में आई जैक्लीन फर्नांडिस डबल बोर करती हैं। आयशा और टीया में बताने पर ही फर्क मालूम होता है या फिर रणबीर और अर्जुन के साथ होने पर पता चलता है कि वे दो हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बैकड्राप पर बनी 'रॉय' इंडस्ट्री की गॉसिप इमेज ही पेश करती है। फिल्म के एक नायक कबीर ग्रेवाल के 22 संबंध रह चुके हैं। उनके बारे में मशहूर है कि वे अपनी प्रेमिकाओं की हमशक्लों को फिल्मों की हीरोइन बनाते हैं। कुछ सुनी-सुनाई बात लग रही है न ? बहरहाल,'रॉय' कबीर और रॉय की कहानी है। रॉय चोर है और कबीर उसकी चोरी से प्रभावित है। वह उस पर दो फिल्में बना चुका है। तीसरी फिल्म की