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फिल्‍म समीक्षा : शुद्ध देसी रोमांस

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-अजय ब्रह्मात्‍मज समाज में रोमांस की दो परंपराएं साथ-साथ चल रही हैं। एक नैसर्गिक और स्वाभाविक है। किशोर उम्र पार करते ही तन-मन कुलांचे मारने लगता है। प्यार हो न हो ..आकर्षण आरंभ हो जाता है। यह आकर्षण ही समय और संगत के साथ प्यार और फिर रोमांस में तब्दील होता है। प्यार की कोई पाठशाला नहीं होती। कुछ जवांदिल मनमर्जी से प्यार की गली में आगे बढ़ते हैं और उदाहरण पेश करते हैं। भारतीय समाज में दूसरे किस्म का रोमांस फिल्मों से प्रेरित होता है। पर्दे पर हमारे नायक के सोच-अप्रोच से प्रभावित होकर देश के अधिकांश प्रेमी युगल रोमांस की सीढि़यां चढ़ते हैं। मनीष शर्मा निर्देशित और जयदीप साहनी लिखित 'शुद्ध देसी रोमांस' इन दोनों परंपराओं के बीच है। 'शुद्ध देसी रोमांस' की पृष्ठभूमि में जयपुर शहर है। यह नाटक के स्क्रीन की तरह कहानी के पीछे लटका हुआ है। फिल्म में शहर किसी किरदार की तरह नजर नहीं आता। 'रांझणा' में हम ने बनारस को धड़कते हुए देखा था। 'शुद्ध देसी रोमांस' जयपुर जैसे किसी भी शहर की कहानी हो सकती है। लेखक का ध्यान शहर से अधिक किरदारों पर है। उन्हे

फिल्‍म समीक्षा : जंजीर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  हालांकि अपूर्वा लाखिया की 'जंजीर' अमिताभ बच्चन की 'जंजीर' की आधिकारिक रीमेक है, लेकिन इसे देखते समय पुरानी फिल्म का स्मरण न करें तो बेहतर है। अमिताभ बच्चन की प्रकाश मेहरा निर्देशित 'जंजीर' का ऐतिहासिक महत्व है। उस फिल्म से अमिताभ बच्चन की पहचान बनी थी। उन्हें एंग्री यंग मैन की इमेज मिली थी। इस ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अपूर्वा लाखिया की 'जंजीर' एक साधारण फिल्म लगती है। राम चरण के लिए हिंदी फिल्मों की यह शुरुआत है। कहानी और किरदारों के बीज वहीं से लिए गए हैं, लेकिन उन्हें स्टूडियो में विशेष निगरानी के साथ सींचा गया है, इसलिए पुरानी फिल्म की नैसर्गिकता चली गई है। वैसे भी अब शहरी जीवन में प्राकृतिक फूलों और पौधों की जगह कृत्रिम फूलों और पौधों ने ले ली है। उसी प्रकार की कृत्रिमता का एहसास 'जंजीर' देख कर हो सकता है। हां, अगर पुराने अनुभव और ज्ञान से वंचित या परिचित दर्शकों के लिए 'जंजीर' आज की फिल्म है। मल्टीप्लेक्स के दर्शकों को मजा भी आएगा। फिल्म में आज के कंसर्न के साथ आधुनिक किरदार हैं। सब कुछ बदल चुका

टाेकियो में मुनीष शर्मा के साथ...

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टाेकियो में मुनीष शर्मा के साथ...

दरअसल ... हिंदी की इंटरनेशनल फिल्म ‘द लंचबॉक्स’

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-अजय ब्रह्मात्मज     रितेश बत्रा निर्देशित ‘द लंचबॉक्स’ 20 सितंबर को पूरे भारत में रिलीज होगी। देश-विदेश के फिल्म समारोहों में प्रशंसित हो चुकी ‘द लंचबॉक्स’ के संयुक्त निर्माता गुनीत मोंगा, अनुराग कश्यप और अरुण रंगाचारी हैं। यह हिंदी में बनी पहली इंटरनेश्नल फिल्म है। इसके निर्माण में अनेक देशों के निर्माताओं और कंपनियों ने सहयोग दिया है। सबसे पहले सिख्सा एंटरटेनमेंट और आर्टे फ्रांस सिनेमा ने पहल की। भारत और फ्रांस के बीच 1984 में संयुक्त फिल्म निर्माण का समझौता हुआ था, लेकिन पिछले तीस सालों में दोनों देशों के सहयोग से बनी पहली फिल्म ‘द लंचबॉक्स’ है। इस फिल्म के निर्माण में भारत, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका की कंपनियों ने सहयोग किया है। इस साल कान फिल्म फेस्टिवल में श्रेष्ठ निर्देशक अवार्ड भी ले चुकी है। ऐसी उपलब्धियों के बावजूद यह माना जा रहा था कि भारत में इसे रिलीज करना मुमकिन नहीं होगा।     भारत के निर्माता, वितरक और प्रदर्शक की तिगड़ी ने महाजाल विकसित कर लिया है। इस महाजाल को छोटी और सार्थक फिल्में भेद नहीं पातीं। उन्हें सही ढंग से प्रदर्शित नहीं किया जाता। अधिकाधिक कमाई में

हिचकोले देने के लिए आया हूं.- इरफान

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इरफान जितने गंभीर दिखते हैं, उतने हैं नहीं. एक मुलाकात में रघुवेन्द्र सिंह ने उनके व्यक्तित्व, जीवन एवं सफर के रोचक पहलुओं को जाना बीता साल इरफान के नाम रहा. पान सिंह तोमर (हिंदी) और लाइफ ऑफ पाय (अंग्रेजी) फिल्मों के जरिए उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहना बटोरी. पान सिंह तोमर के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड हासिल किया. अभिनय के मामले में उन्होंने ऐसा स्तर कायम कर लिया है, जिसकी अब मिसाल दी जाती है. यह बात अब स्वयं इस धुरंधर कलाकार के लिए चुनौती बन चुकी है. इसीलिए उनके अंदर के अभिनेता की भूख और बढ़ गई है. वह नित कुछ नया तलाश रहे हैं. पंद्रह साल के अभिनय करियर में इरफान निरंतर आगे बढ़ते रहे हैं. जयपुर के खजुरिया गांव (टोंक जिला) के इस शख्स की यात्रा तिरस्कार, संघर्ष और पुरस्कार से भरी रही है. लेकिन उनमें कड़वाहट नहीं आई है. बल्कि ïअवसर और स्थान देने के लिए वह इंडस्ट्री के आभारी हैं. लेकिन उन्हें एक बात का अफसोस है. ''मैंने बचपन में ऊपर वाले से एक गलत दुआ मांग ली थी. मैंने कहा

खांचे और ढांचे से दूर सुशांत सिंह राजपूत

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-अजय ब्रह्मात्मज     पटना में पैदा हुए, दिल्ली में पले-बढ़े और मुंबई में पहले टीवी और अब फिल्मों में पहचान बना रहे सुशांत सिंह राजपूत की कामयाबी का सफर सपने को साकार करने की तरह है। ‘काय पो छे’  की सराहना और सफलता के पहले ही उन्हें राजकुमार हिरानी की ‘पीके’ और मनीष शर्मा की ‘शुद्ध देसी रोमांस’ मिल चुकी थी। प्रतिभा की तलाश में भटकते निर्माता-निर्देशकों को तो सिर्फ धमक मिलनी चाहिए। वे स्वागत और स्वीकार के लिए पंक्तिबद्ध हो जाते हैं। सुशांत सिंह राजपूत के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। अभी 6 सितंबर को उनकी दूसरी फिल्म रिलीज होगी, लेकिन उसके पहले ही वे फिर से दो-तीन फिल्में साइन कर चुके हैं। आप अगर मुंबई में लोखंडवाला के इलाके में रहते हों तो मुमकिन है कि वे किसी मॉल, जिम या रेस्तरां में आम युवक की तरह मटरगस्ती करते मिल जाएं। अभी तक स्टारडम को उन्होंने अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया है। वैसे फिल्म इंडस्ट्री में यह भी खबर फैल रही है कि सुशांत के तो भाव बढ़ गए हैं।     बहरहाल, हमार बातचीत ‘शुद्ध देसी रोमांस’ को लेकर होती है। इस फिल्म के बारे में वे बताते हैं, ‘हिंदी फिल्मों में हम रोमांस के नाम पर

मुश्किल था इला को जीना- निम्रत कौर

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-अजय ब्रह्मात्मज  रितेश बत्रा की फिल्म ‘लंचबॉक्स’ के ट्रेलर आने के साथ निम्रत कौर के प्रति रूचि और जिज्ञासा बढ़ी है। इस फिल्म में वह इरफान खान और नवाजुद्दीन सिद्दिकी के साथ हैं। प्यार, अलगाव, अजनबियत और दांपत्य के महीन तारों से बुनी इस संवेदनशील फिल्म को करण जौहर पेश कर रहे हैं। सीमित बजट की ‘लंचबॉक्स’ अब रेगुलर थिएटर में रिलीज होकर दर्शकों के बीच पहुंचेगी। निम्रत कौर को दर्शक विज्ञापनों के माध्यम से जानते हैं। फिल्म में पहली बार उन्हें ऐसी बड़ी पहचान मिल रही है।     निम्रत के पिता फौज में थे, इसलिए वह किसी भी शहर में तीन साल से ज्यादा नहीं टिक सकीं। उनका ननिहाल पंजाब में है और ददिहाल राजस्थान में। उनकी पढ़ाई के आखिरी साल दिल्ली में गुजरे। वहां से मुंबई आना हुआ। लगभग नौ साल पहले निम्रत मुंबई आ गई थीं। -नौ साल से आप मुंबई में हैं। क्या करती रहीं? मैंने ढेर सारे काम किए। यहां सबसे पहले विज्ञापन किए मैंने। फिर म्यूजिक वीडियो और रीमिक्स वीडियो में कुछ काम मिला। मैंने 80 के आसपास टीवीसी भी किए हैं। मुंबई में विज्ञापन बहुत बड़ा सहारा होता है। 6 साल पहले मैंने सक्रिय रूप से रंगमंच के लिए

जयदीप साहनी से बातचीत

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-अजय ब्रह्मात्मज     कुछ महीने पहले ‘शुद्ध देसी रोमांस’ फिल्म के नामकरण की घोषणा के साथ बताया गया था कि यह ‘चक दे इंडिया’ के लेखक जयदीप साहनी की लिखी फिल्म है, जिसे मनीष शर्मा निर्देशित कर रहे हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लेखकों को यह गरिमा और प्रतिष्ठा नहीं मिलती। जयदीप साहनी ने इसे हासिल किया है। शुरू में राम गोपाल वर्मा और फिर यशराज फिल्म्स के साथ जुड़े जयदीप साहनी ने कुछ सात (‘जंगल’, ‘कंपनी’, ‘बंटी और बबली’, ‘खोसला का घोसला’,  ‘चक दे इंडिया’,  ‘आजा नच ले’ और ‘राकेट सिंह’) फिल्में लिखी हैं। ‘शुद्ध देसी रोमांस’ उनकी आठवीं फिल्म होगी। इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत, परिणीति चोपड़ा और वाणी कपूर हैं। - ‘शुद्ध देसी रोमांस’ का बीज विचार कहां से आया? 0 मैंने इसका रफ ड्राफ्ट लिखा था। मैंने आदित्य चोपड़ा को दिखाया। मनीष शर्मा को भी फिल्म पसंद आई। और काम शुरू हो गया। यह फिल्म झटके में शुरू हो गई। पहली बार मैंने रोमांटिक कॉमेडी लिखी है। हां, गानों में रोमांस करता रहा हूं। ‘सलाम नमस्ते’, ‘आ जा नच ले’, ‘रब ने बना दी जोड़ी’ आदि में गाने लिखे हैं। - रोमांटिक कामेडी का ख्याल क्यों और कैसे आय

हा हा ...रीमेक राजकुमारी हूं मैं-प्रियंका चोपड़ा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  - बताएं ‘जंजीर’ के बारे में? 0 इस फिल्म को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। मूल ‘जंजीर’ को इस फिल्म के जरिए हम ट्रिब्यूट दे रहे हैं। मूल जैसी फिल्म तो नहीं बनायी जा सकती। अपूर्वा लाखिया ने इसकी जुर्रत भी नहीं की है। यह उनकी और मेरी भी फेवरिट फिल्म है। अगर इस फिल्म में कोई गलती दिखे तो मैं पहले से ही माफी मांगती हूं। - मूल फिल्म की जया भादुड़ी का किरदार आप निभा रही हैं। क्या कुछ तब्दीली की गई है? 0 मेरा किरदार पूरी तरह से बदल गया है। इस फिल्म में चाकू-छुरी वाली नहीं हूं। मैं न्यूयॉर्क से आई हूं। हिंदी फिल्मों की फैन हूं। भारत एक शादी में आई हूं। बहुत खुश हूं मुंबई आकर। आने के साथ ही एक हत्या की चश्मदीद गवाह बनती हूं। वहरीं से मेरी जिंदगी बदल जाती है। मेरा नाम माला ही है। - फिल्म के हीरो विजय से क्या रिश्ता रहेगा ? 0 हत्या की चश्मदीद गवाह होने की वजह से विजय खन्ना से संपर्क होता है। वे इस हत्या की तहकीकात कर रहे हैं। हम जुडते हैं और कहानी आगे बढती है। पूरी कहानी तो नहीं बता सकती। - रामचरण तेलुगू के पापुलर स्टार हैं। हिंदी में यह उनकी पहली फिल्म होगी। कैसा अनुभव रहा? 0 ह

यूट्यूब हिंदी टाकीज पर सत्‍याग्रह का रिव्‍यू

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सत्‍याग्रह का रिव्‍यू द हिंदी टाकीज पर...