जयप्रकाश चौकसे के साथ अजय ब्रह्मात्मज की बातचीत
-अजय ब्रह्मात्मज जयप्रकाश चौकसे लगातार लिखते रहे हैं और जानकारी देने के अलावा आप दिशा भी देते रहे कि कैसे फिल्मों को देखा जाए और कैसे समझा जाए। एक पीढ़ी नहीं अब तो कई पीढिय़ां हो गई हैं जो उनको पढ़ कर फिल्मों के प्रति समझदार बनी। हम उनका नाम रोजाना पढ़ते हैं , लेकिन बहुत सारे लोग उनके बारे में जानते नहीं हैं। -पहला सवाल यही कि आप अपने बारे में संक्षेप में बताएं। कहां रहते हैं ? कहां रहते थे ? कहां से शुरुआत हुई ? 0 खांडवा से आगे एक छोटा शहर है बुरहानपुर। यह महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश का बॉर्डर टाउन है। मेरा जन्म बुरहानपुर में हुआ है। उस समय वह एकदम छोटा शहर था। दस-पंद्रह हजार आबादी वाला शहर होगा, लेकिन उस छोटे शहर में एजुकेशन की फैसीलिटी थी। कम पॉपुलेशन के बावजूद करीब सात-आठ स्कूल थे। आगे जा कर कुछ समय बाद कॉलेज भी खुल गया था वहां। मेरे पिता व्यापारी थे, पर एजुकेशन प्रति उनका लगाव बहुत गहरा था। हम चार भाई हैं। मैं सबसे छोटा हूं। हमारे परिवार में नौकर इसलिए रखा था हमारे पिता जी ने कि वह साइकिल से लालबाग रेलवे स्टेशन जाता था और अखबार खरीद कर लाता था। बुरहानपुर में रे