दरअसल:क्यों पसंद आई हाउसफुल?
-अजय ब्रह्मात्मज हाउसफुल रिलीज होने के दो दिन पहले एक प्रौढ़ निर्देशक से फिल्म की बॉक्स ऑफिस संभावनाओं पर बात हो रही थी। पड़ोसन, बावर्ची और खट्टा मीठा जैसी कॉमेडी फिल्मों के प्रशंसक प्रौढ़ निर्देशक ने अंतिम सत्य की तरह अपना फैसला सुनाया कि हाउसफुल नहीं चलेगी। यह पड़ोसन नहीं है। इस फिल्म को चलना नहीं चाहिए। 30 अप्रैल को फिल्म रिलीज हुई, महीने का आखिरी दिन होने के बावजूद फिल्म को दर्शक मिले। अगले दिन निर्माता की तरफ से फिल्म के कलेक्शन की विज्ञप्तियां आने लगीं। वीकएंड में हाउसफुल ने 30 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। अगर ग्लोबल ग्रॉस कलेक्शन की बात करें, तो वह और भी ज्यादा होगा। बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के इस आंकड़े के बाद भी हाउसफुल का बिजनेस शत-प्रतिशत नहीं हो सका। हां, दोनों साजिद (खान और नाडियाडवाला) फिल्म की रिलीज के पहले से आक्रामक रणनीति लेकर चल रहे थे। उन्होंने फिल्म का नाम ही हाउसफुल रखा और अपनी बातचीत, विज्ञापन और प्रोमोशनल गतिविधियों में लगातार कहते रहे कि यह फिल्म हिट होगी। आप मानें न मानें, लेकिन ऐसे आत्मविश्वास का असर होता है। आम दर्शक ही नहीं, मीडिया तक इस आक्रामक प्रचार के चपेट