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दरअसल: नया आइटम है अंडरवाटर शूटिंग

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-अजय ब्रह्मात्मज नवीनता के लिए तरस रही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को अंडरवाटर शूटिंग का नया आइटम मिल गया है। दरअसल, फिल्मों का आकर्षण बढ़ाने और दर्शकों को नए तरीकों से लुभाने की कोशिश में लगे निर्देशक इन दिनों अंडरवाटर शूटिंग पर जोर दे रहे हैं। दो हफ्ते पहले रिलीज हुई दोनों ही फिल्मों द्रोण और किडनैप में अंडरवाटर दृश्य थे। इसीलिए अब ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में फिल्मों में अंडरवाटर दृश्यों की अवधि बढ़ेगी। सूचना मिली है कि अष्टविनायक की एंथनी डी-सूजा निर्देशित फिल्म ब्लू में भी एक गाने की अंडरवाटर शूटिंग की जा रही है। इस गाने में संजय दत्त, अक्षय कुमार, जाएद खान, लारा दत्ता और कैटरीना कैफ पानी में नृत्य करते नजर आएंगे। निश्चित ही निर्देशक ने खुद के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर ली है, लेकिन यकीन मानें ब्लू का अंडरवाटर गीत फिल्म का मुख्य आकर्षण होगा। सिर्फ अंडरवाटर गीत देखने के लिए ही दर्शक फिल्म देख सकते हैं। पानी से निर्देशकों का पुराना लगाव रहा है। झरना, झील, तालाब, नदी और समुद्र जैसे प्राकृतिक जल स्रोतों का उपयोग लंबे समय से होता रहा है। वास्तव में, मनुष्य के जीवन की कल्पना पानी के ब

पटना के रिजेंट सिनेमाघर में दो दिनों में तीन फिल्में

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रिजेंट सिनेमाघर का टिकट (अगला-पिछला) पटना का गांधी मैदान … कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। गांधी मैदान के ही एक किनारे बना है कारगिल चौक। कारगिल में शहीद हुए सैनिकों की याद दिलाते इस चौराहे के पास एलफिंस्टन, मोना और रिजेंट सिनेमाघर हैं। मोना का पुनरूद्धार चल रहा है। कहा जा रहा है कि इसे मल्टीप्लेक्स का रूप दिया जा रहा है। अगर जल्दी बन गया तो यह पटना का पहला मल्टीप्लेक्स होगा। वैसे प्रकाश झा भी एक मल्टीप्लेक्स पटना में बनवा रहे हैं। पटना के अलावा बिहार और झारखंड के दूसरे जिला शहरों में भी मल्टीप्लेक्स की योजनाएं चल रही हैं। पूरी उम्मीद है कि अगले एक-दो सालों में बिहार और झारखंड के दर्शकों का प्रोफाइल बदल जाएगा। सिनेमाघरों में भीड़ बढ़ेगी और उसके बाद उनकी जरूरतों का खयाल रखते हुए हिंदी सिनेमा भी बदलेगा। फिलहाल, 1 अक्टूबर की बात है। भोजपुरी फिल्म 'हम बाहुबली' का प्रीमियर रिजेंट सिनेमाघर में रखा गया है। रिजेंट में आमतौर पर हिंदी फिल्में दिखाई जाती हैं। उस लिहाज से यह बड़ी घटना है। यहां यह बताना

बॉक्स ऑफिस:१७.१०.२००८

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सफल नही रही हैलो मुंबई में हैलो की सक्सेस पार्टी हो चुकी है। निर्माता और निर्देशक इसे कामयाब घोषित करने में लगे हैं। दावा तो यह भी है कि इसकी ओपनिंग जब वी मेट से अच्छी थी। जब भी किसी नयी रिलीज की तुलना पुरानी कामयाब फिल्म से की जाती है तो शक बढ़ जाता है। फिल्म हिट हो चुकी हो तो बताने की क्या जरूरत है? वह तो सिनेमाघरों में दिखाई पड़ने लगता है और सिनेमाघरों को देख कर हैलो को सफल नहीं कहा जा सकता। हैलो का आरंभिक कलेक्शन 30 से 40 प्रतिशत रहा। पिछले हफ्ते वह अकेले ही रिलीज हुई थी और उसके पहले रिलीज हुई द्रोण एवं किडनैप को दर्शकों ने नकार दिया था। फिर भी हैलो देखने दर्शक नहीं गए। लगता है चेतन भगत का उपन्यास वन नाइट एट कॉल सेंटर पढ़ चुके दर्शकों ने भी फिल्म में रुचि नहीं दिखाई। सलमान खान और कैटरीना कैफ आकर्षण नहीं बन सके। पुरानी फिल्मों में द्रोण और किडनैप फ्लॉप हो चुकी हैं। इस हफ्ते हिमेश रेशमिया की कर्ज रिलीज हो रही है। उसके साथ एनीमेशन फिल्म चींटी चींटी बैंग बैंग और लंदन के बम धमाकों पर आधारित जगमोहन मूदंड़ा की शूट ऑन साइट भी आ रही है।

बारिश में भीगता हुआ पोस्टर-दिनेश श्रीनेत

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हिन्दी टाकीज-१२ इस बार दिनेश श्रीनेत.दिनेश श्रीनेत इंडियन बाइस्कोप नाम से ब्लॉग लिखते हैं.हिन्दी में फिल्मों पर लिखनेवाले चंद गंभीर और महत्वपूर्ण में से एक हैं दिनेश श्रीनेत.इन दिनों वे एक हिन्दी पोर्टल की संपादन जिम्मेदारियों की वजह से बैंगलोर में रहते हैं.अपने बारे में उन्होंने लिखा है,बीते दस सालों से पत्रकारिता. फिलहाल बैंगलोर में. एक न्यूज़ पोर्टल में एडीटर. कुछ लेख, कुछ कहानियां प्रकाशित, सिनेमा तथा अन्य दृश्य विधाओं से गहरा लगाव. सिनेमा के प्रति सबसे पहले मन में कब अनुराग जन्मा यह तो नहीं कह सकता, पर इतना जरूर है कि जितनी स्मृतियां वास्तविक जीवन की हैं, उतनी ही सिनेमाई छवियों की भी. अगर सिनेमा को याद करूं तो मैं उन तमाम पोस्टरों को नहीं भूल सकता, जिन्होंने सही मायनों में इस माध्यम के प्रति मेरे मन में गहरी उत्सुकता को जन्म दिया। जबसे मैंने थोड़ा होश संभाला तो सिनेमा के पोस्टरों ने मेरा ध्यान खींचना शुरु किया। मुझे यह पता होता था कि ये फिल्में मैं नहीं देख सकता मगर पोस्टर से मैं उनकी कहानियों के बारे में कयास लगाया करता था। बाद के दिनों में भी पोस्टरों से इतना ज्यादा जुडा़ रहा

विश्वप्रिय अमिताभ बच्चन

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जन्मदिन 11 अक्टूबर पर विशेष... सम्राट अशोक के जीवन के एक महत्वपूर्ण प्रसंग पर डॉ।चंद्रप्रकाश द्विवेदी की अगली फिल्म है। इसमें अशोक की भूमिका अमिताभ बच्चन निभा रहे हैं। बिग बी के जन्मदिन (11 अक्टूबर) के मौके पर डॉ।द्विवेदी ने हमें अमिताभ बच्चन के बारे में बताया। इस संक्षिप्त आलेख में द्विवेदी ने भारतीय इतिहास के महानायक अशोक और भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन की कई समानताओं का उल्लेख किया है। बिग बी लोकप्रियता, पहचान और स्वीकृति की जिस ऊंचाई पर हैं, वहां उन्हें विश्वप्रिय अमिताभ बच्चन की संज्ञा दी जा सकती है। पश्चिम के साहित्यकार एचजी वेल्स ने अपनी एकपुस्तक में सम्राट अशोक का उल्लेख किया है। उनके उल्लेख का आशय यह है कि अगर विश्व के सम्राटों की आकाशगंगा हो, तो उसमें जो सबसे चमकता हुआ सितारा होगा, वह अशोक हैं। यह अभिप्राय ऐसे लेखक और चिंतक का है, जो अशोक को भारत के बाहर से देख रहा है। जापान में सोकोतु नामक राजा हुए। उन्हें जापान का अशोक कहा जाता है। गौरतलब है कि राजा सोकोतु ने अशोक की तरह ही घोषणाएं जारी की थीं। दक्षिण-पूर्व एशिया में जहां-जहां बौद्ध धर्म है, वहां-वहां बौद्ध धर्म के

फ़िल्म समीक्षा: हैलो

दर्शकों को बांधने में विफल -अजय ब्रह्मात्मज दावा है कि वन नाइट एट काल सेंटर को एक करोड़ से अधिक पाठकों ने पढ़ा होगा। निश्चित ही यह हाल-फिलहाल में प्रकाशित सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास रहा है। इसी उपन्यास पर अतुल अग्निहोत्री ने हैलो बनाई है। इस फिल्म के लेखन में मूल उपन्यास के लेखक चेतन भगत शामिल रहे हैं, इसलिए वे शिकायत भी नहीं कर सकते कि निर्देशक ने उनकी कहानी का सत्यानाश कर दिया। फिल्म लगभग उपन्यास की घटनाओं तक ही सीमित है, फिर भी यह दर्शकों को उपन्यास की तरह बांधे नहीं रखती। अतुल अग्निहोत्री किरदारों के उपयुक्त कलाकार नहीं चुन पाए। सोहेल खान की चुहलबाजी उनके हर किरदार की गंभीरता को खत्म कर देती है। हैलो में भी यही हुआ। शरमन जोशी पिछले दिनों फार्म में दिख रहे थे। इस फिल्म में या तो उनका दिल नहीं लगा या वे किरदार को समझ नहीं पाए। अभिनेत्रियों के चुनाव और उनकी स्टाइलिंग में समस्या रही। गुल पनाग, ईशा कोप्पिकर और अमृता अरोड़ा तीनों से ही कुछ दृश्यों के बाद ऊब लगने लगती है। उनकेलिबास पर ध्यान नहीं दिया गया। ले-देकर दिलीप ताहिल और शरत सक्सेना ही थोड़ी रुचि बनाए रखते हैं। जाहिर सी बात है कि द

दरअसल:गांव और गरीब गायब हैं हिंदी फिल्मों से

-अजय ब्रह्मात्मज बाजार का पुराना नियम है कि उसी वस्तु का उत्पादन करो, जिसकी खपत हो। अपने संभावित ग्राहक की रुचि, पसंद और जरूरतों को ध्यान में रखकर ही उत्पादक वस्तुओं का निर्माण और व्यापार करते हैं। कहने के लिए सिनेमा कला है, लेकिन यह मूल रूप से लाभ की नीति का पालन करता है। खासकर उपभोक्ता संस्कृति के प्रचलन के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने अपनी पूरी शक्ति वैसी फिल्मों के उत्पादन में लगा दी है, जिनसे सुनिश्चित कमाई हो। निर्माता अब उत्पादक बन गए हैं। माना जा रहा है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की अधिकांश कमाई मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों और विदेशों से होती है। नतीजतन फिल्मों के विषय निर्धारित करते समय इन इलाकों के दर्शकों के बारे में ही सोचा जा रहा है। यह स्थिति खतरनाक होने के बावजूद प्रचलित हो रही है। पिछले दिनों फिल्मों पर चल रही एक संगोष्ठी में जावेद अख्तर ने इन मुद्दों पर बात की, तो ट्रेड सर्किल ने ध्यान दिया। हिंदी पत्र-पत्रिकाओं और हिंदी पत्रकारों की चिंता के इस विषय पर फिल्म इंडस्ट्री अभी तक गंभीर नहीं थी, लेकिन जावेद अख्तर के छेड़ते ही इस विषय पर विचार आरंभ हुआ। लोग बैठकों में ही सही, ले