पहली सीढ़ी:राज कुमार हिरानी से अजय ब्रह्मात्मज की baatcheet
'पहली सीढ़ी' निर्देशकों के इंटरव्यू की एक सीरिज है। मेरी कोशिश है कि इस इंटरव्यू के जरिए हम निर्देशक के मानस को समझ सकें। पहली फिल्म की रिलीज के बाद हर निर्देशक की गतिविधियां पत्र-पत्रिकाओं और टीवी चैनल के माध्यम से दुनिया के सामने आ जाती हैं। हम पहली फिल्म के पहले की तैयारियों में ज्यादा नहीं जानते। आखिर क्यों कोई निर्देशक बनता है और फिर अपनी महत्वाकांक्षा को पाने के लिए उसे किन राहों, अवरोधों और मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। आम तौर पर इस पीरियड को हम 'गर्दिश के दिन' या 'संघर्ष के दिन' के रूप में जानते हैं। वास्तव में यह 'गर्दिश या 'संघर्ष से अधिक तैयारी का दौर होता है, जब हर निर्देशक मिली हुई परिस्थिति में अपनी क्षमताओं के उपयोग से निर्देशक की कुर्सी पर बैठने की युक्ति में लगा होता है। मेरी कोशिश है कि हम सफल निर्देशकों की तैयारियों को करीब से जानें और उस अदम्य इच्छा को पहचानें जो विपरीत स्थितियों में भी उन्हें भटकने, ठहरने और हारने से रोकती है। सफलता मेहनत का परिणाम नहीं होती। अनवरत मेहनत की प्रक्रिया में ही संयोग और स्वीकृति की कौंध है सफलता... क्यों