सठिया गए हैं बुड्ढे
चवन्नी बड़ी उम्मीद के साथ बुड्ढा मर गया देखने गया था.इस फिल्म में अनुपम खेर,परेश रावल,ओउम पुरी,प्रेम चोपडा और रणवीर शोरी एवं मुकेश तिवारी जैसे ऐक्टर थे.अभी चवन्नी बहुत दुःखी है..ऐसे फूहड़ दृश्य तो उसने घटिया फिल्मों भी नही देखे थे.उसे चोरी-चोरी देखी वो सारी फ़िल्में याद आयीं,जो उसने स्कूल के दिनों में देखी थीं. दादा कोंद्के भी ऐसी फूहड़ कल्पना नही कर सकते थे .क्या हो गया है हमारे सीनियर और अनुभवी कलाकारों को...क्या उनके सामने भी रोजी-रोटी की समस्या है?चवन्नी उन सभी के नाम से एक राहत आरम्भ करना चाहता है ताकी उन्हें भविष्य में ऐसी घटिया फ़िल्में करने की ज़रूरत ना पडे.फिल्मों में संबंधों का ऐसा घटिया चित्रण उसने आज तक नही देखा.चवन्नी सोच रह है कि ऐसे दृश्य करते समय क्या इन अनुभवी कलाकारों को शर्म ने नही घेरा होगा?इतना लम्बा और गहरा जीवन जीं चुकें क्या महज पैसों के लिए ऐसी घटिया फिल्म कि या फिर उनकी दमित इच्छा थी कि राखी सावंत को इसी भाने चूने का मौका मिल जायेगा.इस फिल्म के तीन बुद्धों की मौत राखी के साथ सोने से होती है.चवन्नी को लगता है कि उनके अन्दर के कलाकारों की मौत हो गयी है.चवन्नी बहु