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एक्शन,ऐडवेंचर और एक्ट्रेस

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-सौम्‍या अपराजिता  एक्शन और ऐडवेंचर की जब बात होती है,तो एक्शन छवि वाले अभिनेताओं की तस्वीर आँखों के सामने दौड़ जाती है। ...और अभिनेत्रियों के  हिस्से 'कोमल','खूबसूरत' और 'ग्लैमरस' जैसे विशेषण ही आते हैं । ...हालांकि, कुछ अभिनेत्रियां हैं जो शिद्दत से अपने साथ जुड़े इन विशेषणों को हाशिए पर रखकर एक्शन और ऐडवेंचर जैसे शब्दों के साथ खुद को जोड़ना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि अपने सह अभिनेताओं की तरह वे भी  एक्शन और रोमांच का ताना-बाना पर्दे पर पेश करें। वे 'एक्शन स्टार' बनना चाहती हैं और बता देना चाहती हैं कि यदि अवसर दिया जाए तो उनमें भी विलेन के छक्के छुड़ाने का दम-ख़म है। सिर्फ नाच-गाना नहीं दरअसल , रोमांटिक और नाच-गाने वाली भूमिकाओं से अभिनेत्रियां ऊब चुकी हैं। लद गए वे दिन जब अभिनेत्रियां फिल्मों में थोड़े बहुत नाच-गाने और रोने-धोने वाली  भूमिकाओं से संतुष्ट हो जाती थी। अब उन पर भी बदलते समय ने अपना प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। अब वे भी अभिनेताओं की तरह एक्शन में हाथ आजमाना चाहती हैं। अभिनेत्रियों के मन के किसी कोने में दबी इस बात

स्मॉल स्क्रीन है ना !

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-सौम्या अपराजिता जब किसी मंच पर अपेक्षित सफलता और प्रशंसा नहीं मिलती है,तो कलाकार नए जोश के साथ खुद को बेहतर साबित करने के लिए दूसरे मंच और अवसर का इंतज़ार करते हैं। रुसलान मुमताज ने भी वही किया। फिल्मों में मिली असफलता से रुसलान निराश नहीं हुए। बेहतर अवसर मिलने पर उन्होंने स्मॉल स्क्रीन का दामन थामने में देर नहीं लगाई। पिछले दिनों रुसलान के पहले धारावाहिक 'कहता है दिल ...जी ले ज़रा' का प्रसारण शुरू हुआ। गौरतलब है कि लोकप्रिय अभिनेत्री अंजना मुमताज के पुत्र रुसलान ने अपनी पहली फिल्म 'एमपीथ्री- मेरा पहला पहला प्यार' से उम्मीदें जगाई थीं। ...पर प्रतिभा के बावजूद बेहतर अवसर के अभाव में फिल्मों में वे खुद को साबित नहीं कर पाएं। रुसलान से पूर्व भी फिल्मों से अपने सफ़र की शुरुआत करने वाले कलाकार असफलता और अच्छे अवसर के अभाव के कारण  स्मॉल स्क्रीन का रुख करते रहे हैं। रोचक बात है कि  स्मॉल स्क्रीन पर उन्हें सफलता और लोकप्रियता भी मिली। वे अब स्मॉल स्क्रीन के सफल कलाकारों में शुमार हैं। रुसलान के करीबी मित्र नकुल मेहता ने 'प्यार का

रीमेक की जंजीर .....

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चवन्‍नी के पाठकों के लिण्‍ सौम्‍य वचन से साभार। उनके अन्‍य लेख वहां जाकर पढ़ सकते हैं। -सौम्या अपराजिता  कहते हैं बीता वक़्त लौटकर नहीं आता,पर हिंदी फिल्मों के सन्दर्भ में ऐसा नहीं है। हिंदी फिल्में लौटकर आती रहीं है। रीमेक के रूप में पुरानी हिंदी फिल्मों की वापसी होती रही है। हालांकि नए कलेवर में पेश की जाने वाली पुरानी फिल्मों के नए संस्करण पहले-सा जादू नहीं चला पाते हैं। नए कलाकारों और नए अंदाज में पेश की जाने वाली रीमेक फ़िल्में दर्शकों के दिलों में बसी पुरानी (मौलिक) फिल्मों की यादों को भूला नहीं पाती हैं। उम्मीदों और अपेक्षाओं पर खरा उतरने के दबाव के बावजूद रीमेक की जंजीर ने हिंदी फिल्मों को जकड रखा है। पुरानी लोकप्रिय हिंदी फिल्मों को नयी तकनीक और आधुनिक दृष्टिकोण की चाशनी में डूबोकर पेश करने का सिलसिला जारी है। अमिताभ का रीमेक कनेक्शन जंजीर' की रीमेक की पहली झलक पिछले दिनों प्रस्तुत की गयी। अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी सफ़र में मील का पत्थर साबित हुई थी 'जंजीर'। 'जंजीर' ने सदी के महानायक की एंग्री यंग मैन की छवि की नींव रखी थी। ऐसे म

अब वो डायलॉग कहाँ?

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-सौम्‍या अपराजिता और रघुवेन्‍द्र सिंह संवाद अदायगी का अनूठा अंदाज और उसका व्यापक प्रभाव हिंदी फिल्मों की विशेषता रही है, लेकिन वक्त के साथ इस खासियत पर जमने लगी हैं धूल की परतें मेरे पास मां है.. लगभग एक वर्ष पूर्व ऑस्कर अवॉर्ड के मंच पर हिंदी फिल्मों का यह लोकप्रिय संवाद अपने पारंपरिक अंदाज में गूंजा था। सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का पुरस्कार ग्रहण करने के बाद ए.आर. रहमान ने कहा, ''भारत में एक लोकप्रिय संवाद है- 'मेरे पास मां है।' हिंदी फिल्मों के इस संवाद के साथ मैं अपनी मां को यह अवॉर्ड समर्पित करता हूं।'' जी हाँ, विश्व सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित मंच पर पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए ए.आर. रहमान को अपने असंख्य गीतों की कोई पंक्ति नहीं, बल्कि दीवार फिल्म का लोकप्रिय संवाद ही सूझा। गुम हो रहे हैं संवाद इसके उलट विडंबना यह है कि अब कम शब्दों में प्रभावी ढंग से लिखे जाने वाले संवादों और उनकी अदायगी की विशिष्ट शैली को अस्वाभाविक माना जाने लगा है। नए रंग-ढंग के सिनेमा के पैरोकारों ने अपनी फिल्मों को स्वाभाविकता और वास्तविकता के रंग में घोलने

रिएलिटी शोज : उत्तर भारतीयों का धमाल

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-सौम्‍या अपराजिता रिएलिटी शोज में उत्तर भारत के प्रतिभागियों का जलवा बरकरार है। पिछले दिनों एक ही दिन प्रसारित हुए दो रिएलिटी शोज के फाइनल में विजेता उत्तर भारत के प्रतियोगी रहे। जहां स्टार प्लस के रिएलिटी शो मास्टर शेफ इंडिया में लखनऊ की पंकज भदौरिया के सर विजेता का ताज सजा, वहीं सारेगामापा सिंगिंग सुपरस्टार में पटियाला के कमल खान विजेता घोषित किए गए। रोचक है कि मास्टर शेफ इंडिया में लखनऊ की पंकज का सामना लखनऊ के ही जयनंदन के साथ था। जाहिर है, कि रिएलिटी शो में उत्तर भारत के प्रतियोगियों का जलवा बरकरार है। [छोटा शहर, बड़ा सपना] उत्तर भारत के प्रतिभागियों की रिएलिटी शो में बढ़ती धमक ने छोटे शहरों में बड़े सपने देख रहे लोगों का हौसला बढ़ाया है। उनके मन में भी रिएलिटी शो के जरिए लोकप्रियता और सफलता के सोपान छूने की उमंग ने हिलोरे मारना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश पंजाब और हरियाणा के लोगों में रिएलिटी शो को लेकर जागरुकता बढ़ी है। उन्हें अहसास हुआ है कि यदि अपनी प्रतिभा को सार्वजनिक करना है, तो रिएलिटी शो से बेहतर माध्यम कुछ नहीं हो सकता। इसी का परिण

अमिताभ बच्‍चन : हो जाए डबल आपकी खुशी -सौम्‍या अपराजिता /अजय ब्रह्मात्‍मज

कल 11 अक्टूबर को अमिताभ बच्चन का 68वां जन्मदिन है और कल ही शुरू हो रहा है 'कौन बनेगा करोड़पति' का चौथा संस्करण। इस अवसर पर उनसे एक विशेष साक्षात्कार के अंश.. [कल आपका जन्मदिन है। प्रशंसकों को क्या रिटर्न गिफ्ट दे रहे हैं?] उम्मीद करता हूं कि मेरा जन्मदिन मेरे चाहने वालों के लिए खुशियों की डबल डुबकी हो। जन्मदिन तो आते रहते हैं, पर इस बार कौन बनेगा करोड़पति मेरे जन्मदिन पर शुरू हो रहा है, यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। अभी तक मैंने जितने भी एपिसोड की शूटिंग की है, उसमें ज्यादातर प्रतियोगी छोटे शहरों और गांवों के लोग हैं। इंटरनेट और कंप्यूटराइजेशन की वजह से उनके पास भी बहुत सारा ज्ञान है। वे सब जानते हैं, पर धनराशि के अभाव में वे प्राइमरी एजुकेशन के बाद ज्यादा नहीं पढ़ पाते हैं। कई ऐसे प्रतियोगी केबीसी में आए हैं, जिन्होंने मुझे बताया कि मेरे पास पचास हजार रुपए नहीं थे, इसलिए मैं एमबीए नहीं कर पाया। सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी थी, पर पैसे नहीं थे, तो आम लोगों के लिए यह एक अच्छा अवसर है। अभी कौन बनेगा करोड़पति शुरू होगा उसके बाद फिल्में होगी, जो अगले साल प्रदर्शित होंगी। राज

आन बान और खान-सौम्‍या अपराजिता/रघुवेंद्र सिंह

देखते ही देखते सलमान खान की दबंग ने आमिर खान की 3 इडियट के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को पीछे छोड़ दिया। दबंग ने पहले हफ्ते में 81 करोड़ रुपए से अधिक का व्यवसाय किया, जबकि 3 इडियट ने 80 करोड़ रुपए की कमाई की थी। बॉक्स ऑफिस पर इस नए रिकॉर्ड को कायम कर सलमान ने आमिर से बाजी मारते हुए शाहरुख के लिए चुनौती पेश की है। रा.वन फिल्म से अब इस चुनौती पर खरा उतरना शाहरुख खान की आन, बान और शान के लिए जरूरी हो गया है। उनके सामने पहले ही हफ्ते में 80-81 करोड़ रुपए से अधिक कमाई करने की चुनौती रहेगी। [स्टार पॉवर की होगी परीक्षा] ''दबंग के रिकॉर्ड को शाहरुख अवश्य चुनौती के रूप में लेंगे। यह उनकी फितरत है। वे हर चीज को चुनौती के रूप में लेते हैं'', वरिष्ठ फिल्म पत्रकार मीना अय्यर के इस कथन से ज्ञात होता है कि दबंग से मिली चुनौती से शाहरुख खान भली-भांति वाकिफ हैं। जब भी सलमान या आमिर की कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफलता के नए सोपान छूती है, तब उनके स्टार पॉवर की परीक्षा की घड़ी आ जाती है। ऐसा ही कुछ दबंग की रिलीज के बाद हो रहा है। ट्रेड व‌र्ल्ड एवं फिल्म इंडस्ट्री में इस बात पर बहस छिड़ चुकी है कि क्

..और भी फिल्में हुई हैं 50 की

-सौम्‍या अपराजिता इन दिनों मुगलेआजम के प्रदर्शन की स्वर्णजयंती मनायी जा रही है। हर तरफ इस फिल्म की भव्यता, आकर्षण और महत्ता की चर्चा हो रही है, पर क्या आपको पता है कि वर्ष 1960 में मुगलेआजम के साथ-साथ कई और क्लासिक फिल्मों के प्रदर्शन ने हिंदी सिनेमा को समृद्ध बनाया था। बंबई का बाबू, चौदहवीं का चांद, छलिया, बरसात की रात, अनुराधा और काला बाजार जैसी फिल्मों ने मधुर संगीत और शानदार कथ्य से दर्शकों का दिल जीत लिया था। आज भी जब ये फिल्में टेलीविजन चैनलों पर दिखायी जाती हैं, तो दर्शक इन क्लासिक फिल्मों के मोहपाश में बंध से जाते हैं। 'छलिया मेरा नाम.हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबको मेरा सलाम' इस गीत से बढ़कर सांप्रदायिक सौहा‌र्द्र का संदेश क्या हो सकता है? एक साधारण इंसान के असाधारण सफर की कहानी बयां करती छलिया को राज कपूर, नूतन और प्राण ने अपने बेहतरीन अभिनय और मनमोहन देसाई ने सधे निर्देशन से यादगार फिल्मों में शुमार कर दिया। प्रयोगशील सिनेमा की तरफ राज कपूर के झुकाव की एक और बानगी उसी वर्ष जिस देश में गंगा बहती है में दिखी। राज कपूर-पद्मिनी अभिनीत और राधु करमाकर निर्देशित इस फिल्म को उस