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जो पढ़ेगा वही बढ़ेगा - शाह रुख खान

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-अजय ब्रह्मात्‍मज शाह रुख खान का ज्‍यादातर समय अभी हैदराबाद में बीतता है। हैदराबाद का रामोजी राव स्‍टूडियो ही इन दिनों उनका ठिकाना बन गया है। वे वहीं से कहीं जाते हैं और फिर लौट कर वहीं आते हैं। यहां तक कि मुंबई में बांद्रा स्थित उनका बंगला मन्‍नत भी अस्‍थायी निवास हो गया है। छोटे बेटे अब्राम से मिलने का मन किया तो मुंबई आ गए या उसे हैदराबाद बुला लिया। कभी फुर्सत रही तो दोपहर के लंच के लिए आए और फिर हैदराबाद लौट गए। दरअसल,रोहित शेट्टी के निर्देशन में बन रही ‘ दिलवाले ’ का सेट वहां लगा हुआ है। उन्‍होंने हैदारबाद के रामोजी राव स्‍टूडियो में गोवा बसा रखा है। रोहित की फिल्‍मों में गोवा रहता ही है। यहां ‘ दिलवाले ’ के नायक काली (शाह रुख खान) का गैरेज बनाया गया है,जहां डिजायनर कार से लेकर मोटर मरम्‍मत के सभी काम होते हैं। उनका छोटा भाई भी उनके साथ रहता है। फिल्‍म के एक हिस्‍से की घटनाएं गोवा में घटती हैं।     बहरहाल,अपने जन्‍मदिन(2 नवंबर) से ठीक नौ दिन पहले उन्‍होंने सेट पर मिलने के लिए बुलाया। इस बार ‘ दिलवाले ’ में वे आक्रामक प्रचार से भिन्‍न तरीका अपना रहे हैं। विभिन्‍न शहर

‘दिलवाले’ में वरुण धवन

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-अजय ब्रह्मात्‍मज        इस साल 18 दिसंबर को रिलीज हो रही ‘ दिलवाले ’ वरुण धवन की 2015 की तीसरी फिल्‍म होगी। इस साल फरवरी में उनकी ‘ बदलापुर ’ और जून में ‘ एबीसीडी 2 ’ रिलीज हो चुकी हैं। ‘ दिलवाले ’ उनकी छठी फिल्‍म होगी। ‘ स्‍टूडेंट ऑफ द ईयर ’ के तीन कलाकारों में वरूण धवन बाकी दोनों आलिया भट्ट और सिद्ार्थ मल्‍होत्रा से एक फिल्‍म आगे हो जाएंगे। अभी तीनों पांच-पांच फिल्‍मों से संख्‍या में बराबर हैं,लेकिन कामयाबी के लिहाज से वरुण धवन अधिक भरोसेमंद अभिनेता के तौर पर उभरे हैं।     वरुण धवन फिलहाल हैदराबाद में रोहित शेट्टी की फिल्‍म ‘ दिलवाले ’ की शूटिंग कर रहे हैं। इस फिल्‍म में वे शाह रुख खान के छोटे भाई बने हैं। उनके साथ कृति सैनन हैं। इन दिनों दोनों के बीच खूब छन रही है। पिछले साठ दिनों से तो वे हैदराबाद में ही हैं। आउटडोर में ऐसी नजदीकी होना स्‍वाभाविक है। यह फिल्‍म के लिए भी अच्‍छा रहता है, क्‍योंकि पर्दे पर कंफर्ट और केमिस्‍ट्री दिखाई पड़ती है। हैदराबाद में फिल्‍म के फुटेज देखने को मिले,उसमें दोनों के बीच के तालमेल से भी यह जाहिर हुआ।     कृति सैनन और वरुण धवन की जोड़

जीवन के आठ पाठ - शाह रुख खान

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So here’s my first life lesson, inspired by the movie title ‘Deewana’: MaMadness (of the particularly nice / romantic kind) is an absolute prerequisite to a happy and successful life. Don’t ever treat your little insanities as if they are aberrations that ought to be hidden from the rest of the world. Acknowledge them and us them to define your own way of living the only life you have. All the beautiful people in the world, the most creative, the ones who led revolutions, who discovered and invented things, did so because they embraced their own idiosyncrasies. There’s no such thing as “normal”. That’s just another word for lifeless. Life Lesson 2: So my next lesson is the following: If you ever find yourself cheated of all your money and sleeping on a grave, do not fear, a miracle is near, either that or a ghost. All you have to do is fall asleep! In other words, no matter how bad it gets, life IS the miracle you are searching for. There is no other one around the

खानत्रयी (आमिर,शाह रुख और सलमान) का साथ आना

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अजय ब्रह्मात्मज किसी कार्यक्रम में खानत्रयी (आमिर, शाह रुख और सलमान) का साथ आना निस्संदेह रोचक खबर है। रजत शर्मा के टीवी शो ‘आप की अदालत’ की 21वीं वर्षगांठ पर आमिर, शाह रुख और सलमान तीनों दिल्ली में थे। वे एक साथ मंच पर आए। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। तीनों के प्रशंसक पहली बार सम्मिलित रूप से खुश हैं और समवेत स्वर में गा रहे हैं। तीनों के साथ आने का यह अवसर महत्वपूर्ण हो गया है। इस खबर को उस कार्यक्रम में आए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से अधिक कवरेज मिला है। हमारे दैनंदिन जीवन में मनोरंजन जगत की हस्तियों की बढ़ती दखल का यह लक्षण है। हम उन्हें देख कर खुश होते हैं। अपनी तकलीफें भूल जाते हैं। इस बार तो तीनों एक साथ आए। आमिर, शाह रुख और सलमान के इस सम्मिलन के बारे में कहा जा रहा है कि वे पहली बार एक साथ दिखे। इस खबर में सच्चाई है। शाह रुख-सलमान और आमिर-सलमान की फिल्में भी आ चुकी हैं, लेकिन तीनों एक साथ शायद ही कभी किसी कार्यक्रम में आए हों। ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता।साक्ष्य के लिए कोई तस्वीर नहीं है। दरअसल, पिछले आठ-दस सालों में मीडिया के प्रसार के

फिल्‍म समीक्षा : हैप्‍पी न्‍यू ईयर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज    फराह खान और शाह रुख खान की जोड़ी की तीसरी फिल्म 'हैप्पी न्यू इयर' आकर्षक पैकेजिंग का सफल नमूना है। पिता के साथ हुए अन्याय के बदले की कहानी में राष्ट्रप्रेम का तडका है। नाच-गाने हैं। शाहरुख की जानी-पहचानी अदाएं हैं। साथ में दीपिका पादुकोण, अभिषेक बच्‍चन, सोनू सूद, बोमन ईरानी और विवान शाह भी हैं। सभी मिलकर थोड़ी पूंजी से मनोरंजन की बड़ी दुकान सजाते हैं। इस दुकान में सामान से ज्‍यादा सजावट है। घिसे-पिटे फार्मूले के आईने इस तरह फिट किए गए हैं कि प्रतिबिंबों से सामानों की तादाद ज्‍यादा लगती है। इसी गफलत में फिल्म कुछ ज्‍यादा ही लंबी हो गई है। 'हैप्पी न्यू इयर' तीन घंटे से एक ही मिनट कम है। एक समय के बाद दर्शकों के धैर्य की परीक्षा होने लगती है। चार्ली(शाहरुख खान) लूजर है। उसके पिता मनोहर के साथ ग्रोवर ने धोखा किया है। जेल जा चुके मनोहर अपने ऊपर लगे लांछन को बर्दाश्त नहीं कर पाते। चार्ली अपने पिता के साथ काम कर चुके टैमी और जैक को बदला लेने की भावना से एकत्रित करता है। बाद में नंदू और मोहिनी भी इस टीम से जुड़ते हैं। हैंकिंग के उस्ताद

दरअसल : शाह रुख खान की सोच

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-अजय ब्रह्मात्मज        पिछले पांच सालों में हिंदी सिनेमा में विस्तार के साथ प्रगति हुई है। फिल्में बड़ी और विहविध हुई हैं। नई प्रतिभाओं को पहचान मिली है। एक जोश है,जो फिल्म निर्माण से लकर दर्शकों के बीच तक महसूस किया जा रहा है। कुछ लोग इस हलचल को समझते हुए अपनी फिल्मों की प्लानिंग कर रहे हैं तो कुछ अभी तक परंपरा में बेसुध पड़े हैं। उन्हें लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री वैसे ही चलती रहेगी,जैसे चलती आ रही है। परिवत्र्तन का समान्य नियम है कि बदलती चीजें तत्काल प्रभाव से दूष्टिगोचर नहीं होतीं। सुबह से शाम होने तक में धरती घूम जाती है। कुछ निठल्ले सोए रहते हैं।     हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आ रहे बदलाव को अच्छी तरह समझने वालों में एक शाह रुख खान हैं। उन्होंने हाल ही में एक टे्रड पत्रिका के पांच साल पूरे होने पर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का जायजा लेते हुए कुछ संकेत दिए हैं। उन्होंने बहुत सफाई से अपनी बात रखी है। संभावनाओं और खतरों की बातें करते हुए उन्होंने नई प्रतिभाओं से उम्मीद की है कि वे भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहेंगे। इस लेख में उन्होंने अपनी फिल्मों और फैसलों के साक्ष्य से समझाने

आत्मविश्वास से लंबे डग भरतेअभिषेक बच्चन

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-अजय ब्रह्मात्मज     हमेशा की तरह अभिषेक बच्चन की मुलाकात में मुस्कान तैरती रहती है। उनकी कबड्डी टीम पिंक पैंथर्स विजेता रही। इस जीत ने उनकी मुस्कान चौड़ी कर दी है। अलग किस्म का एक आत्मविश्वास भी आया है। आलोचकों की निगाहों में खटकने वाले अभिषेक बच्चन के नए प्रशंसक सामने आए हैं। निश्चित ही विजय का श्रेय उनकी टीम को है,लेकिन हर मैच में उनकी सक्रिय मौजूदगी ने टीम के खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ाया। इस प्रक्रिया में स्वयं अभिषेक बच्चन अनुभवों से समृद्ध हुए।     वे कहते हैं, ‘जीत तो खैर गर्व की अनुभूति दे रहा है। अपनी टीम के खिलाडिय़ों से जुड़ कर कमाल के अनुभव व जानकारियां मिली हैं। हम मुंबई में रहते हैं। सुदूर भारत में क्या कुछ हो रहा है? हम नहीं जानते। उससे अलग-थलग हैं। हमारी टीम में अधिकांश खिलाड़ी सुदूर इलाकों से थे। मैं तो टुर्नामेंट शुरू होने के दो हफ्ते पहले से उनके साथ वक्त बिता रहा था। उनसे बातचीत के क्रम में उनकी जिंदगी की घटनाओं और चुनौतियों के बारे में पता चला। उनके जरिए मैं सपनों की मायावी दुनिया से बाहर निकला। असली इंडिया व उसकी दिक्कतों के बारे में पता चला। उन तमाम दिक्कतों के

छह लूजर्स का ख्वाब है ‘हैप्पी न्यू ईयर’- शाह रुख खान

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  - आजादी की पूर्व संध्या पर ट्रेलर लाने का कोई खास मकसद है क्या? 0 इसके टेक्निकल कारण हैैं। ‘सिंघम रिटर्न्‍स’ 15 अगस्त को रिलीज हो रही है। इसी के साथ ‘हैप्पी न्यू ईयर’ का ट्रेलर आ रहा है। वितरक और मार्केटिंग टीम ही यह फैसला करती है। फिल्म का एक अलग पहलू भी है, इसमें कमर्शियल हैप्पी पैट्रियटिक फील है। ‘हैप्पी न्यू ईयर’ बहुत बड़ी फिल्म है। इसमें फन, गेम और फुल एंटरटेनमेंट है। आमतौर पर बॉलीवुड की फिल्मों के बारे में दुष्प्रचार किया जाता है कि वे ऐसी होती हैैं, वैसी होती हैैं। फराह खान ने जब इस फिल्म की स्टोरी सुनाई, तभी यह तय किया गया कि बॉलीवुड के बारे में जो भी अच्छा-बुरा कहा जाता है, वह सब इस फिल्म में रहेगा। बस इसे इंटरनेशनल स्तर का बनाना है। पूरे साहस के साथ कहना है, जो उखाडऩा है, उखाड़ लो। हम यहीं खड़े हैैं। इस फिल्म में गाना है, रिवेंज है, फाइट है, डांस है... अब चूंकि समय बदल गया है, इसलिए सभी चीजों के पीछे लॉजिक भी है। उन्हें थोड़ा रियल रखा गया है। अब ऐसा नहीं होगा कि कमरा खोला और स्विटजरलैैंड पहुंच गए। हमने ऐसा विषय चुना, जिसमें बॉलीवुड के सभी तत्व डाले

भारतीयता का आधुनिक अहसास - शाह रुख खान

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मेरी आगामी फिल्म ' हैप्पी न्यू इयर ' में छह किरदार हैं। फिल्म के अंदर हम खुद को इंडिया वाले बोलते हैं। मुझे यह शब्द अच्छा लग रहा है। अपनी फिल्म के लिए हमने इसे गढ़ा है। देशवासी , भारतीय , हिंदुस्तानी , इंडियन ये सब पहले से प्रचलित हैं। हम इनका इस्तेमाल करते रहे हैं। मुझे लग रहा है कि अब सब कुछ बदल रहा है तो ये शब्द भी बदल सकते हैं। भारतीय होने के मॉडर्न अहसास को यह शब्द सही तरीके से व्यक्त करता है। देशभक्ति पर मॉडर्न टेक है इंडिया वाले। हम देश के प्रति जो गर्व महसूस करते हैं वह समय के साथ आधुनिक हो गया है। पुराने समय के लोग कुछ अलग तरीके से सोचते थे। उनके लिए देशभक्ति का जो मतलब था , वह आज भी है। लेकिन अभी एक्सप्रेशन बदल गया है। मेरी हर फिल्म कामर्शियल होने के साथ कुछ अच्छी बातें भी करती हैं। मैंने कभी भी संदेश को मनोरंजन से बड़ा स्थान नहीं दिया , लेकिन मेरी हर फिल्म के आधार में नेक संदेश रहता है। उसी की वजह से मैं फिल्म करता हूं। अगर उसे कोई समझ ले तो बहुत अच्छा , जिसको अच्छा लगे वह अपना ले , जिसको बुरा लगे वह जाने दे। ' हैप्पी न्यू इयर Ó में माडर्न देशभक्ति है