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इंसानी दिमाग का अंधेरा लुभाता है मुझे: विशाल भारद्वाज

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मकडी से कमीने तक के सफर में ही विशाल भारद्वाज ने अपना खास परिचय दे दिया है। उनकी फिल्मों की कथा-भूमि भारतीय है। संगीत निर्देशन से उनका फिल्मी करियर आरंभ हुआ, लेकिन जल्दी ही उन्होंने निर्देशन की कमान संभाली और कामयाब रहे। उनकी फिल्में थोडी डार्क और रियल होती हैं। चलिए जानते हैं उनसे ही इस फिल्मी सफर के बारे में। डायरेक्टर बनने की ख्वाहिश कैसे पैदा हुई? फिल्म इंडस्ट्री में स्पॉट ब्वॉय से लेकर प्रोड्यूसर तक के मन में डायरेक्टर बनने की ख्वाहिश रहती है। हिंदुस्तान में फिल्म और क्रिकेट दो ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में हर किसी को लगता है कि उससे बेहतर कोई नहीं जानता। सचिन को ऐसा शॉट खेलना चाहिए और डायरेक्टर को ऐसे शॉट लेना चाहिए। हर एक के पास कहानी है। रही मेरी बात तो संगीतकार के तौर पर जगह बनाने के बाद मैं फिल्मों की स्क्रिप्ट पर डायरेक्टर से बातें करने लगा था। स्क्रिप्ट समझने के बाद ही आप बेहतर संगीत दे सकते हैं। बैठकों से मुझे लगा कि जिस तरह का काम ये कर रहे हैं, उससे बेहतर मैं कर सकता हूं। इसी दरम्यान संगीत के लिए फिल्में मिलनी कम हुई तो लगा कि इस रफ्तार से तो दो सालों बाद काम ही नहीं रहे

मैं अपनी इमेज को फन की तरह लेती हूं-मल्लिका सहरावत

- अजय ब्रह्मात्मज करीब महीने भर पहले ‘ डबल धमाल ’ के लिए मल्लिका सहरावत लॉस एंजेल्स के लंबे प्रवास से लौटीं। वहां वह अपनी फिल्म ‘ हिस्स ’ के पोस्ट प्रोडक्शन और हालीवुड स्टारों की संगत में समय बिता रही थीं। दूर देश में होने के बावजूद वह अपने भारतीय प्रशंसकों के संपर्क में रहीं। ट्विटर ने उनका काम आसान कर दिया था। करीब से उन पर नजर रखने वालों ने लिखा कि विदेश के लंबे प्रवास से लौटने पर एयरपोर्ट से ही मल्लिका की जबान बदल गई थी। उन्हें बीच में जीभ ऐंठकर अमेरिकी उच्चारण के साथ बोलते सुना गया था , लेकिन एयरपोर्ट पर टीवी इंटरव्यू देते समय फिर से उनकी खालिस बोली की खनक सुनाई पड़ी। सालों पहले अपने ख्वाबों को लेकर हरियाणा से निकली मल्लिका ने अपने सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे। वह अभी शीर्ष पर नहीं पहुंची हैं , लेकिन उनकी अदा और अंदाज का निरालापन उन्हें नजरअंदाज नहीं होने देता। झंकार से यह खास बातचीत ‘ डबल धमाल ’ के लोकेशन पर मुंबई के उपनगर कांदिवली के एक स्कूल के पास हुई। वह थोड़ी फुर्सत में थी और उन्होंने परिचित पत्रकारों को बुला रखा था। हमारी मुलाकात लगभग पांच सालों के बाद हो रही थी।

लाखों-करोड़ों लोगों के लिए काम करता हूं: सलमान खान

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फिल्म के विज्ञापन और तस्वीरों से दर्शकों के बीच उत्साह बनता दिख रहा है। वीर में क्या जादू बिखेरने जा रहे हैं आप? मुझे देखना है कि दर्शक क्या जादू देखते हैं। एक्टर के तौर पर अपनी हर फिल्म में मैं बेस्ट शॉट देने की कोशिश करता हूं। कई बार यह उल्टा पड़ जाता है। दर्शक फिल्म ही रिजेक्ट कर देते हैं। वीर जैसी फिल्म करने का इरादा कैसे हो ्रगया? पीरियड फिल्म का खयाल क्यों और कैसे आया? और आप ने क्या सावधानियां बरतीं? यहां की पीरियड फिल्में देखते समय अक्सर मैं थिएटर में सो गया। ऐसा लगता है कि पिक्चर जिस जमाने के बारे में है, उसी जमाने में रिलीज होनी चाहिए थी। डायरेक्टर फिल्म को सीरियस कर देते हैं। ऐसा ल्रगता है कि उन दिनों कोई हंसता नहीं था। सोसायटी में ह्यूमर नहीं था। लंबे सीन और डायलाग होते थे। मल्लिका-ए-हिंद पधार रही हैं और फिर उनके पधारने में सीन निकल जाता था। इस फिल्म से वह सब निकाल दिया है। म्यूजिक भी ऐसा रखा है कि आज सुन सकते हैं। पीरियड फिल्मों की लंबाई दुखदायक होती है। तीन,साढ़े तीन और चार घंटे लंबाई रहती थी। उन दिनों 18-20 रील की फिल्मों को भी लोग कम समझते थे। अब वह जमाना चला गया है। इंट

हिन्दी फिल्मों में मौके मिल रहे हैं-आर माधवन

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-अजय ब्रह्मात्मज आर माधवन का ज्यादातर समय इन दिनों मुंबई में गुजरता है। चेन्नई जाने और दक्षिण की फिल्मों में सफल होने के बावजूद उन्होंने मुंबई में अपना ठिकाना बनाए रखा। अगर रहना है तेरे दिल में कामयाब हो गयी रहती, तो बीच का समय कुछ अलग ढंग से गुजरा होता। बहरहाल, रंग दे बसंती के बाद आर माधवन ने मुंबई में सक्रियता बढ़ा दी है। फोटोग्राफर अतुल कसबेकर के स्टूडियो में आर माधवन से बातचीत हुई। आपकी नयी फिल्म सिकंदर आ रही है। कश्मीर की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में क्या खास है? सिकंदर दो बच्चों की कहानी है। कश्मीर के हालात से हम सभी वाकिफ हैं। वहां बच्चों के साथ जो हो रहा है, जिस तरीके से उनकी मासूमियत छिन रही है। इन सारी चीजों को थ्रिलर फार्मेट में पेश किया गया है। वहां जो वास्तविक स्थिति है, उसका नमूना आप इस फिल्म में देख सकेंगे। क्या इसमें आतंकवाद का भी उल्लेख है? हां, यह फिल्म आतंकवाद की पृष्ठभूमि में है। आतंकवाद से कैसे लोगों की जिंदगी तबाह हो रही है, लेकिन लंबे समय सेआतंकवाद के साए में जीने के कारण यह उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। उन्हें ऐसी आदत हो गयी है कि लाश, हत्या या

इमरान खान से बातचीत

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-अजय ब्रह्मात्मज साल भर के स्टार हो गए हैं इमरान खान। उनकी फिल्म जाने तू या जाने ना पिछले साल 4 जुलाई को रिलीज हुई थी। संयोग से इमरान से यह बातचीत 4 जुलाई को ही हुई। उनसे उनकी ताजा फिल्म लक, स्टारडम और बाकी अनुभवों पर बातचीत हुई। प्रस्तुत हैं उसके अंश.. आपकी फिल्म लक आ रही है। खुद को कितना लकी मानते हैं आप? तकनीकी रूप से बात करूं, तो मैं लक में यकीन नहीं करता। ऐसी कोई चीज नहीं होती है। तर्क के आधार पर इसे साबित नहीं किया जा सकता। मैं अपनी छोटी जिंदगी को पलटकर देखता हूं, तो पाता हूं कि मेरे साथ हमेशा अच्छा ही होता रहा है। आज सुबह ही मैं एक इंटरव्यू के लिए जा रहा था। जुहू गली से क्रॉस करते समय मेरी गाड़ी से दस फीट आगे एक टहनी गिरी। वह टहनी मेरी गाड़ी पर भी गिर सकती थी। इसी तरह पहले रेल और अब फ्लाइट नहीं छूटती है। मैं लेट भी रहूं, तो मिल जाती है। शायद यही लक है, लेकिन मेरा दिमाग कहता है कि लक जैसी कोई चीज होती ही नहीं है। क्या हमारी सोच में ही लक और भाग्य पर भरोसा करने की बात शामिल है? हमलोग आध्यात्मिक किस्म के हैं। हो सकता है उसी वजह से ऐसा हो, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री की बात करें, तो यहां

एक्शन,थ्रिल और रोमांस का संगम है 'गजनी'-आमिर खान

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आमिर खान का एक इंटरव्यू २४ दिसम्बर को पोस्ट किया था.उसी इंटरव्यू का यह असंपादित मूल है.यहाँ आमिर खान से 'गजनी' के साथ और भी विषयों पर बातें हुईं.आमिर के प्रशंसकों और सिनेमा के अध्येताओं को यह इंटरव्यू विशेष खुशी देगा,क्योंकि अभिनेता आमिर ने यहाँ कुछ और भी बातें की हैं...पढने का आनंद लें... अपनी नई फिल्म गजनी के बारे में आमिर खान कहते हैं कि यह प्योर थ्रिलर फिल्म है, जो दर्शकों को बिल्कुल अलग तरह का अनुभव देगी। आमिर कहते हैं कि दर्शकों को मेरी फिल्मों को लेकर खास जिज्ञासा रहती है इसलिए उन्हें हमारी फिल्म से उम्मीद भी अधिक रहती है। आमिर ने गजनी सहित अपने फिल्मी जीवन और नई योजनाओं पर खुलकर उद्गार व्यक्त किए। -कहा जा रहा है कि आमिर खान ने 'गजनी' के प्रचार में बाजी मार ली है। यह कितना सचेत प्रयास है? <>जहां तक बाजी मारने की बात है तो उसके लिए फिल्म रिलीज होने दीजिए। हां, हाइप जरूर है। वह शायद इसलिए है कि मेरी फिल्में साल में एक दफा आती हैं तो लोगों की जिज्ञासा रहती है। मेरे मामले में दर्शकों की उम्मीद हर फिल्म के साथ बढ़ती जा रही है। पिछली फिल्म उन्हें अच्छी लगती है तो