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फट्टा टाकीज

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उमेश पंत का यह लेख हम ने गांव कनेक्‍शन से चवन्‍नी के पाठकों के लिए साभार लिया है।    -उमेश पंत  लखनउ से 14 किलोमीटर उत्तर दिशा में काकोरी नाम का एक छोटा सा कस्बा है। इस कस्बे में संकरी सी रोड पर चलते हुए हैंडपंप के पीछे चूने से पुती हुई एक दीवार पर लकड़ी का एक पटला सा दिखता है। उस पटले पर एक फिल्मी पोस्टर चस्पा है जिसपर लिखा है 'मौत का खेल'। दीवार से सटे हुए गेट के अन्दर जाने पर सामने की दीवार पर रिक्शेवाली और फांदेबाज़ से लेकर रजनीकांत की बाशा और संजय दत्त की अग्निपथ जैसी फिल्मों के पोस्टर एक कतार से लगे हैं। फिल्मी पोस्टरों की कतार के नीचे अग्निशम के लिये दो सिलिन्डर दीवार पर लटके हुए हैं। कुछ आगे बढ़ने पर टीन की दीवारों और काली बरसाती की छत वाला एक बड़ा सा हौल नज़र आता है। यह हौल काकोरी और उसके आस पास के कई गांवों की 13 हज़ार से ज्यादा जनसंख्या के मनोरंजन का एक अहम साधन है। काकोरी और आसपास के इन गांवों में इसे फट्टा टॉकीज़  के नाम से जाना जाता है। जीनिया वीडियो सिनेमा नाम के इस ग्रामीण मिनी सिनेमा हॉल को पिछले बीस सालों से चलाने वाले नियाज़ अहमद ख