संडे नवजीवन : मोदी चरित की हड़बड़ी


मोदी चरित की हड़बड़ी
-अजय ब्रह्मात्मज
चुनाव के मौसम में नेताओं के जीवन की झांकियां शब्दों में प्रस्तुत की जाती रही हैं.कोई चालीसा लिखता है तो कोई पुराण...कुछ पॉपुलर फ़िल्मी धुनों पर गीत बनाते हैं.चुनाव के दौरान ऑडियो-वीडियो के जरिये नेताओं और संबंधित पार्टियों के बारे में आक्रामक प्रचार किया जाता है. एक ही कोशिश रहती है कि मतदाताओं को को लुभाया जा सके.पहली बार ऐसा हो रहा है कि सत्ताधारी प्रधानमंत्री के जीवन पर एक फिल्म और एक वेब सीरीज की तैयारी चल रही है.इन्हें भाजपा की तरफ से आधिकारिक तौर पर नहीं बनवाया जा रहा है,लेकिन उक्त पार्टी का मौन व मुग्ध समर्थन है.पूरी कोशिश है कि चुनाव के पहले इन्हें दर्शकों के बीच लाकर उनके मतों को प्रभावित किया जाए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बड़े परदे के साथ डिजिटल प्लेटफार्म पर पेश करने की हड़बड़ी स्पष्ट है.
फिल्म ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ और वेब सीरीज ‘मोदी’ का निर्माण चुनाव के मद्देनज़र ही हो रहा है. निर्माता संदीप सिंह,सुरेश ओबेरॉय,आनंद पंडित और आचार्य मनीष ने जनवरी के पहले हफ्ते में ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ का फर्स्ट लुक अनेक राष्ट्रिय भाषाओँ में जरी किया था. थी की तीन महीनों के बाद यह फिल्म 5 अप्रैल को रिलीज होने जा रही है. गौर करें तो फिल्म की रिलीज की पहली घोषणा 12 अप्रैल थी. 11 अप्रैल से आरम्भ हो रहे चुनाव को ध्यान में रखते हुए इसकी तारीख 5 अप्रैल कर दी गयी. निर्माता,निर्देशक और अभिनेता को संभवतः मुगालता है कि वे अपनी फिल्म से दर्शकों को प्रभावित कर सकेंगे. फिल्म का ट्रेलर आ चुका है.ट्रेलर में शामिल मोदी के संवादों को गौर से सुनें तो स्पष्ट हो जायेगा कि निर्देशक ओमंग कुमार का क्या मकसद है. यह ट्रेलर स्वयं मोदी ने भी देखा होगा और मुमकिन है कि उनके करीबी फिल्म भी देख चुके हों. अभी तक कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.हां,आम दर्शकों को यह ट्रेलर रत्ती भर भी फिल्म देखने के लिए प्रेरित नहीं कर सका है. खास दर्शकों की बात दीगर है. वे इसे देखेंगे और दिखायेंगे.
‘पीएम’ मोदी पर बनी फिल्म की कहानी अभी नहीं मालूम.ट्रेलर और कास्टिंग से  संकेत मिल रहा है कि इसमें उनकी मां,पत्नी,अमित शाह और रतन टाटा किरदार के तौर पर दिखेंगे. चाय बेचने से शुरु हुई उनकी यात्रा संन्यासी होने की चाहत और फिर देश सेवा के लिए संघ(यानि सेना) में शामिल होने के प्रसंग से गुअजरती हुई आगे बढती है. पूरे देश में तिरंगा फहराने का आह्वान करते हैं.कश्मीर के मसले पर वे उत्तेजित हैं और लाल चौक तिरंगा फहराते हैं. इंदिरा गाँधी के निर्देश पर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है. एक दृश्य में वे कहते हैं,हिंदुस्तान आतंक से नहीं,आतंक हिंदुस्तान से डरेगा, वे रतन टाटा को कहते हैं,जो डिसिशन एक मनात में नहीं होता,वह डिसिशन ही नहीं होता. और फिर अंत में कहते हैं,चेतावनी देता हूँ पाकिस्तान को...अगर दोबारा हम पर हाथ उठाया तो हाथ काट दूंगा. तुम ने हमारा बलिदान देखा है. अब बदला भी देखोगे.भारत माता की जय! फिल्म आने पर सभी संवादों,प्रसंगों और दृश्यों का सन्दर्भ समझ में आएगा.फिर भी नरेन्द्र मोदी के सार्वजानिक भाषणों से हम सभी जानते हैं कि वे क्या सोचते और चाहते हैं? उनके व्यक्तित्व और विचारों का फ़िल्मी रूप राष्ट्रवाद के फ़िल्मी डोज के रूप में ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ में दिखेगा.
फिल्म इंडस्ट्री में इन दिनों बायोपिक की लोकप्रिय मांग है.साथ में राष्ट्रवाद का तड़का लगाया जा रहा है.’पीएम नरेन्द्र मोदी’ में लोकप्रिय तत्वों के साथ प्रधानमंत्री को खुश करने की मंशा भी है.आनन्-फानन में बनी इस फिल्म से जुड़े निर्माता,निर्देशक और लीड कलाकार(विवेक ओबेरॉय) के अतीत को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि इस फिल्म का पहला और फौरी उद्देश्य सत्तारूढ़ पार्टी के आकाओं को खुश करना है.वे स्वयं भी सत्तारूढ़ पार्टी की विचारधारा के हिमायती हैं. देखना तो यह होगा कि क्या दर्शक इसे किसी फिल्म की तरह ही लेते हैं या प्रोपगंडा समझ का उदास रवैया अपनाते हैं. भक्त दर्शक इसे देखेंगे...और अगर उन्होंने ही देख लिया तो फिल्म झट से वीकेंड में ही 100 करोड़ी हो जाएगी. फ़िल्मकार और कलाकार ट्रेलर देखने के बाद भी रियेक्ट नहीं कर रहे हैं. एक सिद्ध फ़िल्मकार ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि फिल्म ‘टैकी’ लग रही है. परफार्मेंस में अपील नहीं है.विवेक ओबेरॉय के मोदी लुक पर अधिक काम नहीं किया गया है.मोदी का करिश्मा विवेक के अभिनय में नदारद है.
याद करें तो पिछले लोकसभा के चुनाव के पहले नरेन्द्र मोदी की जीत की हवा को भांपते हुए एक आप्रवासी भारतीय ने उन पर बायोपिक बनाने की सोची. उन्होंने भाजपा के समर्थक निर्देशकों को संपर्क किया. परेश रावल के नाम की घोषणा भी हो गयी थी कि वे मोदी की भूमिका निभाएंगे. २०१४ के इंटरनेशनल फिल्म समारोह के समय निर्माता मितेश शाह इस फिल्म की घोषणा के लिए आमादा थे,लेकिन उन्हें उपयुक्त कलाकार नहीं मिल पाया. मोदी की फिल्म खटाई में चली गयी. उन पर बन रही वेब सीरीज के लेखक मिहिर भूता भी तब अपनी इसी पटकथा पर फिल्म बनाने की सोच रहे थे. उन्होंने ने भी हाथ-पाँव मारे,लेकिन फिल्म फ्लोर पर नहीं जा सकी. खैर,उन्होंने फिल्म का खयाल छोड़ा और अब वेब सीरीज ‘मोदी’ लेकर आ रहे हैं.
मिहिर भूता गुजरती के लोकप्रिय नाटककार हैं. वे नरेन्द्र मोदी को उनके मुख्या मंत्री काल से जानते हैं. भाजपा के करीबी हैं. उनकी पत्नी माधुरी भूता भाजपा के महिला विंग में ज़िम्मेदार पद पर हैं. स्वयं मिहिर भूता संगठन के कार्य और विचार को लेकर सक्रिय रहे हैं. वे सीबीएफ़सी के भी सदस्य रहे. मिहिर भूता की पहली चाहत तो फिल्म बनाने की ही थी. वे संदीप सिंह और ओमंग कुमार की तरह नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता की बहती गंगा में हाथ धोने नहीं आये हैं. वे भाजपा के लिए समर्पित नाटककार हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में उनकी अटूट वैचारिक श्रद्धा है. मोदी के प्रधानमंत्री बन्ने के बाद यह श्रद्धा स्वाभाविक रूप से गढ़ी हो गयी है.
वेब सीरीज ‘मोदी’ इरोस नाउ नमक डिजिटल प्लेटफार्म पर आएगा. 10 एपिसोड के इस वेब सीरीज का निर्देशन उमेश शुक्ल कर रहे हैं. याद दिला दें कि उमेश शुक्ल ने ‘ओ माय गॉड’ और ‘102 नोट आउट’ फिल्मों का निर्देशन किया है. वे परेश रावल के प्रिय निर्देशक हैं. वेब सीरीज को मिहिर भूता ने राधिका आनंद के साथ लिखा है. इस सीरीज में 12 साल के नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनाने तक की रोमांचक राजनीतिक यात्रा होगी. उनके विभिन्न उम्र में चरित्र को निभाने के लिए लेखा-निर्देशक की टीम ने फैसल खान,आशीष शर्मा और महेश ठाकुर का चुनाव किया है. इरोस नाउ अपर आने के साथ इसके सारे 10 एपिसोड देखे जा सकते हैं. इरोस नाउ अभी नेटफ्लिक्स या अमेज़न की तरह लोकप्रिय प्लेटफार्म नहीं है. हो सकता है की इस वेब सीरीज की वजह से उसका प्रसार हो.
सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर फिल्म स्वयं मोदी और भाजपा की सहमति से बन रही हैं.अगर हां तो इसके पीछे की मंशा और मानसिकता समझी जा सकती है.मतदाताओं/दर्शकों को लुभाने का यह माध्यम कितना कारगर होगा यह तो चुनाव के नतीजों पर इनके प्रभाव के आकलन से पता चलेगा. फिलहाल यही कहा जा सकता है कि नरेन्द्र मोदी और भाजपा फिल्म और वेब सीरीज को लेकर आश्वस्त हैं. और कुछ नहीं तो भोले मतदाताओं के लिए प्रचार सामग्री तो बन ही जायेगा. सोशल मीडिया और मीडिया में छाये मोदी के लिए यह अतिरिक्त प्रयास और प्रभाव होगा.
पुनःश्च : ताज़ा सूचना है कि निर्माता संदीप सिंह ने इस फिल्म के लिए एक रैप गया है,जिसे पैरी जी ने लिखा है और हितेश मोदक ने संगीतबद्ध किया है. बताने की ज़रुरत नहीं कि फिल्म की कहानी भी संदीप सिंह की है.
इस फिल्म का पिछला क्रेडिट पोस्टर आया तो उसमें भाजपा और मोदी के धुर विरोधी जावेद अख्तर का बतौर गीतकार नाम देख कर सभी को हैरानी हुई.उनके साथ समीर का भी नाम था.पहले जावेद अख्तर और फिर समीर ने सोशल मीडिया अपना पक्ष रखा. दोनों ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया कि फिल्म से उनका कोई संबंध नहीं है. दरअसल फिल्म में जावेद अख्तर के गीत ‘इश्वर अल्लाह’(1947:अर्थ) और समीर के गीत ‘सुनो गौर से दुनिया वालों’(दस) का उपयोग किया गया है.स्पष्ट नहीं हुआ है कि संगीत कंपनियों ने बगैर गीतकारों की सहमति के अधिकार कैसे दिए? बाद में संदीप सिंह का हिमाकत भरा बयान आया कि दोनों गीतकारों को सोशल मीडिया पर ना जाकर मुझ से बात करनी चाहिए थी.मोदी पर फिल्म बनाने से आया यह दुस्साहस तो देखिये कि बगैर अनुमति लिए ही आप प्रतोश्थित गीतकारों के नाम पोस्टर पर छाप देते हैं.पूछने पर माफ़ी मांगने बजाय गाल बजाने लगते हैं.
दक्षिण भारत के अभिनेता सिद्धार्थ ने ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ का ट्रेलर देखने के बाद कटाक्ष किया है. उन्होंने ट्वीट किया है...ट्रेलर में यह तो बताया ही नहीं गया की पीएम नरेन्द्र मोदी ने कैसे देश को अकेले ही आज़ादी दिलवा दी.फिल्म रिलीज होने पर निश्चित ही मखौल उदय जायेगा और सोशल मीडिया मीम से भर जायेगा.पर यही तो उन्हें चाहिए...आप मजाक करें या भर्त्सना ....सभी के केंद्र में मोदी हों.
यह भी आशंका है कि चुनाव आयोग फिल्म और वेब सीरीज पर आचार संहिता के मद्देनज़र पाबन्दी लगा दे.


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