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Showing posts from May, 2018

दरअसल : पानी के लिए लड़ते किरदार

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दरअसल पानी के लिए लड़ते किरदार - अजय ब्रह्मात्‍मज विक्रमादित्य मोटवानी का सुपरहीरो भावेश जोशी मुंबई के वाटर माफिया को के खिलाफ खड़ा होता होता है। भावेश जोशी 21 वीं का सजग युवक है , जो मुंबई में रहता है। वह अपने आसपास के भ्रष्टाचार और समाज के स्वार्थी व्यक्तियों के आचरण से उक्त चूका है। उसे कोई रास्ता नहीं सूझता तो वह नक़ाब पहन कर उन्हें बेनक़ाब करने की मुहीम पर निकलता है। यह सिस्टम से नाराज़ आज के यवक की कहानी है। विक्रमादित्य अपनी पीढ़ी के संवेदनशील फ़िल्मकार हैं। इस बार वे किरदारों के परस्पर मानवीय रिश्तों और उनकी उलझनों से निकल कर समाज से जूझते और टकराते किरदार को सुपरहीरो के तौर पर पेश कर रहे हैं। यथार्थ कठोर और जटिल हो तो साहित्य और फिल्मों में फंतासी का सहारा लिया जाता है। ज़िन्दगी में नामुमकिन लग रही मुश्किलों को फंतासी से सुलझाने का क्रिएटिव प्रयास किया जाता है। विक्रमादित्य का विषय आज की मुंबई और मुंबई की रोज़मर्रा की समस्याएं हैं। उनमें पानी एक विकट समस्या है। ख़बरों और फिल्मों के जरिये महानगरों में पर्याप्त पानी के लिए तरसते नागरिकों की व्यथा हम देखते रहे हैं। हम मे

सिनेमालोक : बनारस के बैकड्रॉप में ‘नक्काश’

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सिनेमालोक बनारस के बैकड्रॉप में ‘ नक्काश ’ - अजय ब्रह्मात्मज कान फिल्म फेस्टिवल में हिंदी फिल्मों की हेरोइनों की धूम-झूम और कुछ फिल्मों के बड़े स्टार की कवरेज में मीडिया में ‘ नक्काश ’ को नज़रअंदाज किया। ज़ैग़म इमाम निर्देशित यह फिल्म बनारस की गंगा-जमुनी तहजीब के दरकते पहलुओं को छूती हुई कुछ वाजिब सवाल उठाती है। ‘ ज़ैग़म बनारस की पृष्ठभूमि में हिन्दू-मुसलमान किरदारों को लेकर मौजूं मसलों पर बातें करते हैं। उनकी यह खास खूबी है।  ‘ दोजख ’ और ‘ अलिफ़ ’ के बाद इसी परंपरा में ‘ नक्काश ’ उनकी तीसरी फिम है। इसमें फिल्मिस्तान ’ और ‘ एयरलिफ्ट ’ फेम इनामुल हक़ इसमें मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के अपने अनुभवों को इनामुल ने शेयर किया था। उनके अनुसार ,’ बनारस में शूटिंग का पहला दिन था...छोटे शहरों की ' सिनेमाई जिज्ञासा ' भीड़ में बदलने लगी थी , उसी भीड़ से कुछ नौजवान ये कहते हुए नज़दीक आ रहे थे कि चलो देखते हैं ' हीरो ' कौन है "?... जैसे ही उनकी ये बात मेरे कानों तक पड़ी ' ब-ख़ुदा ' मैं छुप गया था... वजह बहुत सीधी सी है..उन

दरअसल : संजू की ज़िंदगी का नया ‘प्रस्थान’

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दरअसल संजू की ज़िंदगी का नया ‘ प्रस्थान ’ - अजय ब्रह्मात्मज खबर आई है कि संजय दत्त माँ नरगिस दत्त के जन्मदिन 1 जून से अपने होम प्रोडक्शन की नई फिल्म की शूटिंग आरम्भ करेंगे। सात सालों   के बाद उनके करियर का यह नया ‘ प्रस्थान ’ होगा।   उनकी इस फिल्म का निर्देशन मूल तेलुगू ‘ प्रस्थानम ’ के निर्देशक देवा कट्टा ही करेंगे। इस नई शुरुआत के लिए संजय दत्त को बधाई और यह ख़ुशी की बात है कि उन्होंने इसके लिए माँ का जन्मदिन ही चुना। इसी महीने माँ नरगिस के पुण्य दिवस के मौके पर उन्होंने एक ट्वीट किया था कि ‘ मैं जो भी हूँ , तुम्हारी वजह से हूँ।   मैं तुम्हारी कमी महसूस करता हूँ। ’ माँ के प्रति उमड़े उनके प्यार की क़द्र होनी चाहिए। सचमुच संजय आज जो भी हैं , उसमें नरगिस दत्त की परवरिश और लाड-प्यार का बड़ा योगदान है। राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘ संजू ’ में माँ-बेटे के सम्बन्ध को देखना रोचक होगा। उनके निर्देशन में मनीषा कोइराला ने अवश्य नरगिस के लाड , चिंता और तकलीफ को परदे पर उतारा होगा। संजय दत्त पर छिटपुट रूप से इतना कुछ लिखा जा चुका है कि माँ-बेटे के बीच की भावनात्मक उथल-पुथल औ