रोज़ाना : सपना ही हैं शाह रुख



रोज़ाना
सपना शाह रुख ही हैं
-अजय ब्रह्मात्‍मज
देश भर से जागती आंखों में फिल्‍म स्‍टार बनने के सपने लिए मुंबई धमके सभी युवा कलाकारों का एक ही लक्ष्‍य होता है...देर-सबेर फिल्‍म इंडस्‍ट्री में अपनी पहचान के साथ जगह हासिल करना। उनके लक्ष्‍य को फिल्‍म स्‍टार का रूप दिया जाए तो वह शाह रुख खान ही होता है। पिछले कुछ सालों में शाह रुख खान की फिल्‍में नहीं चल रही हैं। फिर भी उनके स्‍टारडम में गिरावट नहीं आई है। वे आज भी बाकी दोनों खानों(आमिर और सलमान) के समकक्ष बने हुए हैं। फिल्‍म ट्रेड में भी उनके फ्यूचर के प्रति कोई आशंका नहीं है। उन्‍होंने खुद ही फिल्‍में कम कर दी हैं। उनकी चुनिंदा फिल्‍में दर्शकों को रास नहीं आ रही हैं। इन सभी लक्षणों के बावजूद मुंबई आया हर नया कलाकार शाह रुख ही बनना चाहता है। शाह रुख खान में ऐसा क्‍या है,जो फिलवक्‍त उनसे अधिक कामयाब सलमान खान और आमिर खान में नहीं है।
कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले तो सलमान खान सलीम खान के बेटे हैं। आमिर खान ताहिर हुसैन के बेटे हैं। ताहिर हुसैन के भाई नासिर हुसैन कामयाब निर्माता-निर्देशक थे। दोनों फिल्‍मी परिवारों से हैं। इनके विपरीत शाह रुख खान का फिल्‍म इंडस्‍ट्री से कोई सीधा ताल्‍लुक नहीं है। उन्‍होंने टीवी शो से शुरूआत की। चंद सालों के अंदर वे फिल्‍मों में आए और अपने साहसी फैसलों और फिल्‍मों के चुनाव से वे आमिर और सलमान के बराबर हो गए। उन्‍हें ‍िकंग खान् और बादशाह की उपाधियां दी गईं। वे आउटसाइडर हैं,जो अपने उत्‍कर्ष के दिनों में समकालीनों से अधिक देदीप्‍यमान थे और लंबे समय तक प्रतिद्वंद्वयों की ईर्ष्‍या का कारण बने रहे।
बाहर से आई प्रतिभाएं शाह रुख खान से खुद को कनेक्‍ट कर लेती हैं। उन्‍हें लगता है कि अगर शाह रुख खान सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं तो वे भी वहां तक पहुंचने की कोशिश कर स‍कते हैं। शाह रुख का मुखर और ऊर्जावान व्‍यक्त्त्वि उन्‍हें आकर्षित करता है। हिंदी फिल्‍मों के पारंपरिक स्‍आरों की खूबियां उनमें नहीं हैं,लेकिन अपने चुंबकीय व्‍यक्त्त्वि से वे सभी उम्र के दर्शकों का मन मोह लेते हैं। आमिर और सलमान की तुलना में वे अधिक प्रगल्‍भ और बातूनी हैं। दर्शकों और प्रशंसकों का प्रोफाइल समझ कर वे अंदाज-ए-बयां बदल देते हैं। आप उन्‍हें किसी यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ सुनें और किसी फिल्‍मी इवेंट में चुटकी लेते देखें। उनकी परतदार हाजिरजवाबी से उनके विस्‍तार और आम जीवन से रिश्‍ते का पता चलता है। हिंदी और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार है। वे वाक् पटु हैं। और भी कारण हैं। उन पर फिर कभी....

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