रोज़ाना : ‘बोर्डर के 20 साल



रोज़ाना
बोर्डर के 20 साल
-अजय ब्रह्मात्‍मज
20 सालों पहले 13 जून 1997 को जेपी दत्‍ता निर्देशित बोर्डर रिलीज हुई थी। 1971 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध के समय बीकानेर के पास लोंगोवाल सीमांत पर हुई मुठभेड़ में भारतीय सैनिकों की इस शौर्यगाथा को देश के दर्शकों ने खूब सराहा था। 1997 में बाक्‍स आफिस पर सबसे ज्‍यादा कलेक्‍शन करने वाली राष्‍ट्रीय भावना की इस फिल्‍म के साथ देश के दर्शकों का भावनात्‍मक रिश्‍ता है। हम इसे भारत के विजय प्रयाण के प्रतीक के रूप में भी देखते हैं। पिछले साल रक्षा मंत्रालय और फिल्‍म समारोह निदेशालय ने आजादी की 70 वीं सालगरिह की शुरुआत के मौके पर पिछले साल बोर्डर का विशेष प्रदर्शन किया था। बोर्डर को कुल 62 पुरस्‍कार मिले थे।
पिछले रविार को जेपी दत्‍ता ने बोर्डर के 20 साल पूरे होने के उपलक्ष्‍य में यूनिट और मीडिया के सदस्‍यों को याद किया। उन्‍होंने इस मौके पर ट्राफी बांटी। फिल्‍म के मुख्‍य कलाकार सनी देओल शहर से बाहर होने की वजह से नहीं पहुंच सके। सुनील शेट्टी,जैकी श्राफ,पूजा भट्ट ने इस मौके पर बोर्डर के निर्माण के दिनों को याद किया। सभी के लिए बोर्डर यादगार फिल्‍म थी। जेपी दत्‍ता ने अपने भाई दिव्‍य दत्‍ता के बलिदान और डायरी से इस फिल्‍म की कथा सच्‍ची घटनाओं के आधार पर बुनी थी। फिल्‍म के सिनेमाई रुपांतरण में थोड़ी नाटकीय छूट ली गई थी।
जेपी दत्‍ता ने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा कि ततकालीन प्रधनमंत्री नरसिंहा राव ने इस फिल्‍म को पूर्ण समर्थन दिया था। विनोद खन्‍ना के साथ जेपी दत्‍ता उनसे मिलने गए थे। फिल्‍म के बारे में जानने के बाद उन्‍होंने सेना और अ  न्‍य संबंधित विभागों को पूर्ण सहयोग का आदेश दिया था। सेना और सरकार के सहयोग के बिना इस पैमाने की फिल्‍म सोची भी नहीं जा सकती थी। जेपी दत्‍ता ने बोर्डर के निर्माण में सैलनको की भरपूर मदद ली थी। यह फिल्‍म उन्‍होंने भारतीय सेना को समर्पित भी की थी। हिंदी में वार फिल्‍में कम बनी हैं। बोर्डर बेहतरीन वार फिल्‍म है,जिसमें एक एंटी वार संदेश भी था। युद्ध की व्‍यर्थता को जावेद अख्‍तर ने सार्थ शब्‍द दिए थे...
मेरे दुश्‍मन,मेरे भाई,मेरे हमसाये
हम अपने अपने खेतों में, गेहूँ की जगह चावल की जगह
ये बन्दूकें क्यों बोते हैं
जब दोनों ही की गलियों में, कुछ भूखे बच्चे रोते हैं
आ खाएं कसम अब जंग नहीं होने पाए
और उस दिन का रास्ता देखें,
जब खिल उठे तेरा भी चमन, जब खिल उठे मेरा भी चमन
तेरा भी वतन मेरा भी वतन, मेरा भी वतन तेरा भी वतन
मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरे हमसाये

20 सालों के बाद भी भारत-पाकिस्‍तान के बीच स्थितियां बहुत अधिक नहीं बदली हैं। युद्धविरोधी संदेश पर गौर नहीं किया गया। दोनों तरफ से गोलीबारी होती है और आए दिन जवान व सामान्‍य नागरिक हताहत होते हैं।
जेनी दत्‍ता ने एक अंतराल के बाद फिर से निर्देशन में आने का फैसला किया है। युद्ध की पृष्‍ठभूमि पर ही वे पलटन का निर्माण और निर्देशन करेंगे। यह फिल्‍म सितंबर में फ्लोर पर जा रही है।

Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम