दरअसल : कंगना के आरोप से फैली तिलमिलाहट



दरअसल...
कंगना के आरोप से फैली तिलमिलाहट
-अजय ब्रह्मात्‍मज
कल कंगना रनोट का जन्‍मदिन था। रिकार्ड के मुताबिक वह 30 साल की हो गई। उनकी स्‍क्रीन एज 13 साल की है। 2004 में आई अनुराग बसु की गैंगस्‍टर से उन्‍होंने हिंदी फिल्‍मों में धमाकेदार एंट्री की। 13 सालों में 31 फिल्‍में कर चुकी कंगना को तीन बार अभिनय के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिल चुके हें। अपने एटीट्यूड और सोच की वजह से वह पॉपुर फिल्‍म अवार्ड की चहेती नहीं रहीं। वह परवाह नहीं करतीं। उन अवार्ड समारोहों में वह हिस्‍सा नहीं लेतीं। मानती हैं कि ऐसे सामारोहों और इवेंट में जाना समय और पैसे की फिजूलखर्ची है। अपनी बातों और बयानों से सुर्खियों में रही कंगना रनोट ने हिंदी फिल्‍मों में खास मुकाम हासिल किया है। कह सकते हैं कि हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में बाहर से आकर अपनी ठोस जगह और पहचान बना चुकी अभिनेत्रियों में वह सबसे आगे हैं। उनकी आगामी फिल्‍म हंसल मेहता निर्देशित सिमरन है। पाठकों को याद होगा कि पहली फिल्‍म गैंगस्‍टर में उनका नाम सिमरन ही था। सिमरन से सिमरन तक के इस सफर से एक चक्र पूरा होता है। एक दिन देर से ही सही,उन्‍हें जन्‍मदिन की बधाई।
कंगना रानोट को याद करने की खास वजह है। पिछले दिनों कॉफी दि करण शो में उन्‍होंने मेजबान करण जौहर पर प्रत्‍यक्ष आरोप लगाया था कि वह नेपोटिज्‍म(भाई-भतीजावाद) के झंडबरदार हैं। करण ने शो में कंगना के आरोप ज्‍यों के त्‍यों जाने देकर वाहवाही और टीआरपी बटोरी थी,लेकिन उनकी यह उदारता कुछ दिनों में ही फुस्‍स हो गई। उन्‍होंने एक बातचीत में कंगना के आरोप का जवाब देते हुए सलाह दिया कि अगर कंगना को इतनी ही दिक्‍कत है तो वह इंडस्‍ट्री छोड़ दें। उन्‍होंने यह भी कहा कि वह विक्टिम और वीमैन कार्उ खेलती हैं। कंगना चुप नहीं रहीं। कोई उन्‍हें टपकी मार कर निकले और वह खामोश रहें...हो ही नहीं सकता। कंगना ने फिर से जवाब दिया। उसके बाद से फिल्‍म इंडस्‍ट्री से आए इनसाइडर स्टार और कुछ बाहर से आए आउटसाइडर ने भी कहना-बताना शुरू कर दिया है कि हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में कोई नेपोटिज्‍म नहीं है। उनके पास अपने विकलांग तर्क हैं,जिनसे हिंदी फिल्‍मों में मौका और जगह पाने की कोशिश में जूझता कोई भी महात्‍वाकांक्षी सहमत नहीं हो सकता।
वे अमिताभ बच्‍चन, शाह रूख खान और सुशांत सिंह राजपूत जैसे अपवादों के उदाहरण भी देते हैं। सच्‍चाई यह है कि हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में प्रवेश करना और प्रतिभा के अनुरूप ऊंचाई हासिल करना किसी परीकथा की तरह है। रोजाना सैकड़ों प्रतिभाएं मौके की उम्‍मीद में दम तोड़ रही हैं। निराशा और हताशा की यह सुरंग इतनी गहरी और अंधेरी है कि कामयाबी की रोशनी की आस में उम्र बीत जाती है। कंगना के प्रत्‍यक्ष आरोप से फिल्‍म इंडस्‍ट्री की तिलमिलाहट इस तथ्‍य से भी समझी जा सकती है कि करण जौहर से लेकर आलिया भट्ट तक सफाई और दुहाई दे रहे हैं। कुमार गौरव और अभिषेंक बच्‍चन के साक्ष्‍य से वे दंभ भरते हैं कि आख्रिकार प्रतिभा चलती है। प्रतिभा के प्रभाव से कौन इंकार करता है। सवाल है कि क्‍या बाहरी प्रतिभाओं को समान अवसर मिल पाते हैं। फिल्‍म इंडस्‍ट्री ने तो अजय देवगन और रोहित शेट्टी को भी समान अवसर नहीं दिए।
भारतीय समाज के दूसरे क्षेत्रों की तरह हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री भी भाई-भतीजावाद से ग्रस्‍त है। कंगना रनोट ने दुखती रग और वह भी सीधे करण जौहर पर उंगली रख दी तो सभी तिलमिला गए हैं।
कहानी की खोज
मसान और आंखिन देखी जैसी फिल्‍मों के निर्माता मनीष मुंद्रा चाहते हैं कि देश के कोने-अंतरों से उन्‍हें कहानियं मिलें। उन्‍होंने 20 मार्च से 20 अप्रैल के बीच लेखकों से हिंदी या अंग्रेजी में लिखी कहानियां मांगी हैं। इस साल पांच कहानियां चुनी जाएंगी। लेखकों को कहानी के अधिकार और क्रेडिट के लिए 5 लाख रुपए मिलेंगे। मनीष मुंद्रा अभी तक सनडांस फिल्‍म फस्टिवल के साथ मिल कर स्क्रिप्‍ट लैब चलाते रहे हैं। प्रविष्टि की विस्‍तृत जानकारी दृश्‍यम फिल्‍म्‍स के वेबसाइट पर उपलब्‍ध है। हिंदीभाषी इलाकों के लेखकों के लिए यह अच्‍दा मौका है।
abrahmatmaj@mbi.jagran.com        

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