किरदारों के साथ जीना चाहता हूं -जॉन अब्राहम




-अजय ब्रह्मात्‍मज
जॉन अब्राहम की फोर्स 2 एसीपी यशवर्द्धन की कहानी है। यह फिल्‍म पिछली फोर्स से आगे बढ़ती है। एसीपी यशवर्द्धन की मुश्किलें बढ़ चुकी है। समय के साथ वे नई चुनौतियों के समक्ष हैं। इस फिल्‍म में एक्‍शन भी ज्‍यादा है।
फोर्स 2 के बारे में जॉन अब्राहम की बातें...
फिल्‍म में देशभक्ति की झलक
डेढ़ साल पहले जब हम ने फोर्स 2 के बारे में सोचा तो मैा कैप्‍टन कालिया की स्‍टोरी से काफी प्रेरित हुआ था। वे भारतीय जासूस थे। मैंने यही कहा कि ऐसी और भी कहानियां होंगी। तब यही विचार बना था कि ऐसी कहानियों से फोर्स 2 का विस्‍तार करें। इस बार वह देश को बचाने की कोशिश में लगा है। हमारी फिल्‍म सच्‍ची घटनाओं से प्रेरित है। पिछली फिल्‍म से ज्‍यादा बड़ी और विश्‍वसनीय फिल्‍म है।
अभी हाल में उरी अटैक में हमारे जवान शहीद हुए। अचानक फोर्स2 प्रासंगिक फिल्‍म बन गई है। कोई कल्‍पना ही नहीं कर सकता था कि ऐसा कुछ होगा। हम ने देशभक्ति की भावना के साथ यह फिल्‍म बनाई है। हम इधर-उधर की  बातें नहीं कर रहे हैं। देश की रक्षा में सेना और सरकार की भूमिका भी दिखेगी। पाकिस्‍तान और चीन से लगी सीमाओं पर चल रही गतिविधियों की झलक मिलेगी। हम ने जरूरी रिसर्च के बाद कहानी लिखी और उसे सच के करीब रखा।
मेरा किरदार
फिल्‍म में एसीपी यशवर्द्धन पुलिस ऑफिसर है। उसका रॉ एजेंट दोस्‍त हरीश की मौत हो जाती है। उसकी मौत के बाद यश मिशन पर जानाउ चाहता है तो रॉ ऑफिसर कहते हैं कि तुम इस मिशन के लिए प्रशिक्षित नहीं हो। इस पर यश का जवाब होता है कि जो प्रशिक्षित थे,वे क्‍या जिंदा हैं? फिर बात आगे बढ़ती है और यश कहता है कि वक्‍त और देश बदल गया है। अभी हम घुस कर मारते हैं। आप देखें तो अब यह हो रहा है। इस फिल्‍म में एक गाना भी है,जो ऐसा लग सकता है कि उरी अटैक के बाद लिख गया हो। फोर्स 2 में आज की सोच दिखेगी। दुश्‍मनों को करारा जवाब देने की बात की गई है।
अंधराष्‍ट्रवाद से दूर रहता हूं
हम ने सच्‍ची और विश्‍वसनीय बातें की हैं। अंधराष्‍ट्रवाद जैसी चीज फिल्‍म में नहीं है। मैं खुद ऐसी बातों से दूर रहता हूं1 हमें अपने देश के जवानों के बारे में सोचना होगा। हम फिल्‍म सितारों से ध्‍यान हटा कर देश के बारे में सभी सोचें। फोर्स 2 ईमानदार तरीके से आज की बात करती है। इस फिल्‍म में विलेन ज्‍यादा खतरनाक हो गया है। अब वह गहरी साजिशें रचने लगा है।
निर्देशक की है बड़ी भूमिका
मैं अपने निर्देशक अभिनय देव को सारा श्रेय दूंगा। उसने पिछली फिल्‍म का कैनवास बढ़ा दिया। अभिनय देव ने दृश्‍य और संवादों में एक्‍शन और कंटेंट को साथ रखा है। इस फिल्‍म के ट्रेलर से प्रभावित लोग सही कह रहे हैं कि इसमें हॉलीवुड के स्‍तर का एक्‍शन है। शूटिंग के दरम्‍यान बुदापेस्‍ट में हमारा काम देख कर स्‍थानीय लोग दंग थे। अभी ग्‍लोबल दौर में दर्शक हर देश और भाषा की फिल्‍में देख रहे हैं। उनकी अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। हमारी खूबी है कि हम कम लागत में ज्‍यादा इंपैक्‍ट क्रिएट करते हैं। बजट की परेशानी तो है। हॉलीवुड तकनीकी लिहाज से हम से आगे है। उनके पास बजट भी रहता है। फिर भी हम मुकाबला कर रहे हैं।
बदलाव जरूरी है
बदलते समय के साथ बदलना होगा। प्रोपोजल नहीं बना सकते।  बगैर कहानी के पांच गाने डाल कर या हीरो को नचवा कर दर्शकों को नहीं बांधा जा सकता। दर्शकों को कहानी चाहिए। अगर हम खराब फिल्‍में बनाएंगे और दर्शकों को निराश करेंगे तो हॉलीवुड टेकओवर कर लेगा। हमें सेंसिबल फिल्‍में बनाने की जरूरत है। हमें भारतीय कंटेंट और कहानी पर ध्‍यान रखना होगा।
...ऐसे किरदार निभाने हैं
कुछ किरदार मेरे साथ रह गए हैं। मैं उन्‍हें पर्दे पर बार-बार निभाना चाहूंगा। एसीवी यशवर्द्धन उनमें से एक है। मान्‍या सुर्वे तो मर गया। अगर वह जिंदा रहता तो उसे फिर से जीना चाहता। धूम के कबीर को कभी भी जी सकता हूं। यही इच्‍छा रहती है कि फिल्‍मों के मेरे किरदार यादगार रह जाएं। उन्‍हें दर्शक बार-बार देखें और वे मेरे भी साथ रहें। मैं अपने करिअर में लगातार अलग फिल्‍में करता रहूंगा। रॉकी हैाडसम देख कर अक्षय कुमार ने मुझे बधाई दी और कहा कि ऐसी फिल्‍में करते रहना। मैं किसी होड़ में नहीं हूं। साल में एक फिल्‍म आए या तीन आए...मैं उेसी कोई प्‍लानिंग कर नहीं चलता।

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