पिंक पोएम

अनिरूद्ध रायचौधरी की फिल्‍म 'पिंक' में यह प्रेरक कविता है। इसे तनवीर क्‍वासी ने लिखा है।फिल्‍म में अमिताभ बच्‍चन ने इसका आेजपूर्ण पाठ किया है। फिल्‍म के संदर्भ में इस कविता का खास महत्‍व है। निर्माता शुजीत सरकार और उनकी टीम को इस प्रयोग के लिए धन्‍यवाद। हिंदी साहित्‍य के आलोचक कविता के मानदंड से तय करें कि यह कविता कैसी है? फिलहाल,'पिंक' वर्तमान समाज के प्रासंगिक मुद्दे पर बनी फिल्‍म है। लेख,निर्माता और निर्देशक अपना स्‍पष्‍ट पक्ष रखते हैं। कलाकारों ने उनके पक्ष को संजीदगी से पर्दे पर पेश किया है।

तू ख़ुद की खोज में निकल ,
तू किस लिये  हताश है ।
तू चल तेरे वजूद की ,
समय को भी  तलाश है ।

जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ,
समझ न इन को वस्त्र तू ।
यॆ बेड़ियाँ पिघाल के ,
बना ले इन को शस्त्र तू ।

चरित्र जब पवित्र है ,
तो कयुँ है यॆ दशा तेरी ।
यॆ पापियों को हक नहीं ,
कि ले परीक्षा तेरी ।

जला के भस्म कर उसे ,
जो क्रूरता का  जाल है ।
तू आरती की लौ नहीं ,
तू क्रोध की मशाल है ।

चूनर उड़ा के ध्वज बना ,
गगन भी कपकपाऐगा ।
अगर तेरी चूनर गिरी ,
तो एक भूकम्प आएगा ।

तू ख़ुद की खोज में निकल ,
तू किस लिये  हताश है ।
तू चल तेरे वजूद की  ,
समय को भी  तलाश है ।

Comments

बहुत ही अद्भुत जानकारी और सुन्दर कविता से रूबरू करवाया आपने अजय भाई | बहुत बहुत शुक्रिया
Pranav Mishra said…
Very inspiring poetry.
कवि को शत् शत् नमन्....परन्तु कवि कौन हैं...किनकी रचना है यह...काश यह भी तो बताने की कृपा की होती...हर व्यक्ति इतना प्रखर ज्ञानी नहीं होता.
chavannichap said…
प्रसून जी,
कविता पढ़ी आप ने। ऊपर लिखा विवारण नहीं पढ़ा। कवि का नाम वहीं है।
Udan Tashtari said…
सुन्दर कविता...आभार इस जानकारी का
Onkar said…
बहुत सुन्दर कविता

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