दरअसल : बधाई आलिया भट्ट

-अजय ब्रह्मात्‍मज
पिछले शुक्रवार को विवादित फिल्‍म उड़ता पंजाब रिलीज हुई। अभिषेक चौबे की इस फिल्‍म के निर्माताओं में अनुराग कश्‍यप भी हैं। उन्‍होंने इस फिल्‍म की लड़ाई लड़ी। सीबीएफसी के खिलाफ उनकी इस जंग में मीडिया और फिल्‍म इंडस्‍ट्री का साथ रहा। कोर्ट के फैसले से एक कट के साथ उड़ता पंजाब सिनेमाघरों में पहुंच गई। हाल-फिलहाल में किसी और फिल्‍म को लेकर निर्माता और सीबीएफसी के बीच ऐसा घमासान नहीं हुआ था। इस घमासान में उड़ता पंजाब विजयी होकर निकली है। इस फिल्‍म में मुख्‍य कलाकारों के परफारमेंस की तारीफ हो रही है। शाहिद कपूर और आलिया भट्ट दोनों ने अपनी हदें तोड़ी हैं। उन्‍होंने निर्देशक अभिषेक चौबे की कल्‍पना को साकार किया है।
पिछले शुक्रवार रिलीज के दिन ही ग्‍यारह बजे रात में महेश भट्ट का फोन आया। गदगद भाव से वे बता रहे थे कि आलिया भट्ट की चौतरफा तारीफ हो रही है। उन्‍होंने मुझे मेरी ही बात याद दिलाई। मैं इम्तियाज अली की फिल्‍म हाईवे की काश्‍मीर की शूटिंग से लौटा था। मैंने उन्‍हें बताया था कि एक पहाड़ी पर मैंने आलिया का जमीन पर गहरी नींद में लेटे देखा। मेरे लिए वह सामान्‍य घटना नहीं थी। मुंबई में जुहू के इलाके में संपन्‍न फिल्‍मी परिवार में पली-बढ़ी लड़की का यह आचरण चौंकाने वाला था। वह दो शॉट्स के बीच में एक पेड़ के नीचे निश्चिंत लेटी नींद पूरी कर रही थी। तब उसे छेड़ना उचित नहीं लगा था। पावर नैप के बाद वह जगी तो कुछ झेंपती सी मुस्‍कराई। उस नैसि‍र्गक मुस्‍कराहट में लगन और प्रतिभा की झलक थी। मैंने भट्ट साहब से यही कहा था कि आप की लड़की बहुत आगे जाएगी। वह फिल्‍म के लिए कुछ भी कर सकती है। सारी तकलीफें सह सकती है। तप सकती है।
इम्तियाज अली की हाईवे में सभी ने आलिया भट्ट की तारीफ की थी। उस फिल्‍म में उसने अपनी इमेज के कंट्रास्‍ट रोल में सभी को प्रभावित किया था। किसी भी एक्‍टर की प्रतिभा भूमिकाओं की विविधता में जाहिर होती है। वही एक्‍टर की पहचान होती है। अगर कोई एक ही इमेज या एक ही किस्‍म के रोल में कामयाब है तो वह स्‍टार है। स्‍टार और एक्‍टर के बीच का यह मामली फर्क भी याद रखें तो हमें कलाकारों के वर्गीकरण का सहज समीकरण मिल सकता है। आलिया भट्ट के करिअर पर गौर करें तो उसने आरंभ से ही फिल्‍मों के चुनाव में विविधता रखी। मालूम नहीं फिल्‍मों के चुनाव में कौन उसकी मदद करता है। अगर वह खुद करती है तो यकीनन वह अपनी पीढ़ी की समझदार अभिनेत्री है। ऐसी अभिनेत्री की कामयाबी में पिता का खुश और आह्लादित होना लाजिमी है। उस रात भट्ट साहब की बातचीत में खुशी की यही तरलता थी।
उड़ता पंजाब में आलिया भट्ट ने बिहारिन मजदूर का किर दार निभाया है। वह हाकी की खिलाड़ी रह चुकी है। पंजाब आने के बाद एक दिन लालच में आकर वह गलत फैसला लेती है और फिर खुद ही फंस जाती है। कैद की लाचारी के बावजूद वह हिम्‍मत नहीं छोड़ती। वह बहादुर और जुझारू है। हालांकि फिल्‍म में प्रभाव और निर्वाह के लिए तर्क को किनारे कर दिया गया है। भाषा और भावमुद्रा में परफेक्‍शन नहीं है, लेकिन उस किरदार को निभाने में आलिया भट्ट की नीयत और ईमानदारी पर संदेह नहीं किया जा सकता। आलिया की कोशिश परफारमेंस की कमियों को ढक देती है। आलिया पनी पीढ़ी की प्रयोगशील और समर्थ अभिनेत्री के तौर पर उभर रही है। उसने अभी तक जितनी फिल्‍में की हैं,उन सभी फिल्‍मों में वह किरदारों के बेहद करीब पहुंची है। अब जरूरत है कि वह अपने अनुभवों का विस्‍तार करे। अपनी सुविधाओं और सुरक्षित जिंदगी से बाहर निकले। खूब पढ़े और देशाटन करे। फिल्‍म करते समय निश्चित अवधि में ही चरित्र पर काम करना होता है। कलाकारों को कुछ दिनों और घंटों की ही मोहलत मिलती है। उसमें लगन और मेहनत से किरदारों को समझा और आत्‍मसात किया जा सकता है,लेकिन वह अनुभवों से संचारित हो तो किरदार वास्‍तविक और विश्‍वसनीय हो जाते हैं।

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सतह के नीचे कई सच होते हैं। आलिया बेहतरीन परफॉर्मेंस यार, वाकई तुमने तो दिल जीत लिया। लगे रहो।

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