नीरजा सी ईमानदारी है सोनम में : राम माधवानी




-अजय ब्रह्मात्‍मज
लिरिल के ऐड में प्रीति जिंटा के इस्‍तेमाल से लेकर हरेक फ्रेंड जरूरी होता है जैसे पॉपुलर ऐड कैंपेन के पीछे सक्रिय राम माधवानी खुद को एहसास का कारोबारी मानते हैं। वे कहते हैं, हमलोग ऐड  फिल्‍म और दूसरे मीडियम से फीलिंग्‍स का बिजनेस करते हैं। अपनी नई फिल्‍म नीरजा के जरिए वे दर्शकों को रूलाना, एहसास करना, एहसास देना और सोचने पर मजबूर करना चाहते हैं। लेट्स टॉक के 14 सालों बाद उनकी फिल्‍म नीरजा आ रही है।
-         पहली और दूसरी फिल्‍म के बीच में 14 सालों का गैप क्‍यों आया। क्‍या अपनी पसंद का को‍ई विषय नहीं मिला या दूसरी दिक्‍कतें रहीं?
विषय तो कई मिले। मैंने कोशिशें भी कीं। अपनी फिल्‍मों के साथ कई लोगों से मिला। बातें हुईं, लेकिन कुछ भी ठोस रूप में आगे नहीं बढ़ सका। फिल्‍म इंडस्‍ट्री में मेरी अच्‍छी जान-पहचान है। वे लोग मेरी इज्‍जत भी करते हैं। उनमें से कुछ ने मुझे ऑफर भी दिए, जिन्‍हें मैंने विनम्रता से ठुकरा दिया। मेरी पसंद की फिल्‍मों में बजट, स्क्रिप्‍ट और एक्‍टर की समस्‍या रही। अभी कह सकता हूं कि यूनिवर्स मुझसे कुछ और करवाना चाह रहा था। मैं नीरजा के लिए अतुल कसबेकर का नाम लेना चाहूंगा। उन्‍होंने यह फिल्‍म मुझे ऑफर की।
-नीरजा पर सहमति कैसे बनी?
अतुल ने जब इस फिल्‍म का प्रस्‍ताव दिया तो मैंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। देश के आम दर्शकों की तरह ही मैंने नीरजा के बारे में सुन और पढ़ रखा था। फिल्‍म बनाने की बात आई, तब परेशानी बढ़ी। इस फिल्‍म से प्रसून जोशी जुड़े। बाकी टीम में वही लोग हैं, जिनके साथ मैं ऐड फिल्‍में करता रहा हूं। फिल्‍म की शूटिंग के दौरान मैंने आमिर खान, अनिल कपूर और राजकुमार हिरानी जैसे मित्रों की भी मदद ली। उनकी सलाहों से मुझे लाभ हुआ।
-         नीरजा में ऐसी क्‍या बात थी कि आप निर्देशन के लिए राजी हो गए?
इस फिल्‍म के बारे में मैंने दुबारा नहीं सोचा। प्रस्‍ताव मिलते ही हां करने की वजह यही थी कि मैं नीरजा की कहानी पर्दे पर लाने को तैयार हो गया। दो सालों के रिसर्च और लेखन के बाद नीरजा की कहानी में मेरी रूचि बढ़ती गई। नीरजा के बारे में ज्‍यादातर लोग यही जानते हैं कि वह एक अपह्रत विमान में एयरहोस्‍टेस थी। और यात्रियों की जान बचाने में उसकी जान चली गई थी। नीरजा की कहानी का यह उत्‍कर्ष उसके जीवन के दूसरे फैसलों का परिणाम था। हमने उस लड़की को नजदीक से देखा और जाना कि उसमें यह बहादुरी कहां से आई। वह एक ईमानदार पत्रकार की संवेदनशील बेटी थी। पिता और परिवार से मिले जीवन-मूल्‍यों को उसने अपनाया और उन पर अमल किया। चुनौती और परीक्षा की घड़ी में वह नहीं डरी। अपने कर्तव्‍य का पालन करते हुए उसने जान तक दे दी।
-नीरजा के किरदार के लिए सोनम कपूर ही क्‍यों?
सोनम से मैं मिलता रहा हूं। उनके व्‍यक्तित्‍व में बेसिक ईमानदारी और सादगी है। ग्‍लैमर और चमक-दमक के बावजूद इनकी झलक उनकी मौजूदगी में दिखती है। सोनम को नीरजा में ढालने में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी।

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