सवाल-जवाब : मनोज बाजपेयी


मनोज बाजपेयी से फेसबुक मित्रों ने पूछे सवाल और मनोज बाजपेयी ने दिए उनके बेधड़क जवाब। यह पोस्‍ट उन सभी मित्रों के लिए है,जिनके मन में ऐसी ही जिज्ञासाएं हैं।

उमैर हाशमी : अगली पिंजर कब आ रही है?

मनोज बाजपेयी : अलीगढ़ ही मेरी अगली पिंजर है।



सौरभ महाजन : क्‍या स्‍टार्स एक्‍टर्स के साथ काम करने से परहेज़ करते हैं?

मनोज बाजपेयी : स्‍टार के साथ काम करने वाले प्रोड्यूसर और डायरेक्‍टर एक्‍टर के साथ काम करने में परहेज करते हैं।



अभिषेक पंडित : क्‍या कभी भोजपुरी फिल्‍म का ऑफर मिले तो करेंगे?



मनोज बाजपेयी : मेरे लिए स्‍क्रिप्‍ट सर्वेसर्वा है। भाषा कोई भी हो। अगर मातृभाषा में स्क्रिप्ट मिले, तो अच्‍छा लगता है।



निशांत यादव : उनकी फिल्म अलीगढ के के सम्बन्ध में प्रश्न है : क्या भारत में समलैंगिंकता अब स्वीकार्य हो जानी चाहिए, अब जो समाज का ऊपरी तबका है, उसमें थोड़ी बहुत स्वीकृति तो है लेकिन नीचे का तबका इसे मानसिक विकृति या वासना का पर्याय मानता है, आप क्या मानते हैं... ये कोई रोग है या प्राकृतिक भावना?



मनोज बाजपेयी : सबसे पहले उनके पक्ष में कानून बन जाए। उसके बाद समाज भी उन्‍हें धीरे-धीरे स्‍वीकार कर लेगा।



संजीव श्रीवास्‍तव : रोमांटिक रोल की कितनी संभावना है? या आप के लिए रोमांटिक होने की कोई डिफिनिशन है?



मनोज बाजपेयी : जिस आदमी के भीतर भरपूर प्‍यार हो, वही रोमांटिक है। वह आकर्षक होता है। अलीगढ़ के प्रोफेसर सीरस बहुत रोमैंटिक हैं। ऐसा रोमैंटिक किरदार मुझे नहीं मिला है।



मुदित बंसल पंख : उनकी सात उचक्‍के और ट्रैफिक कब रीलीज होगी। 2014 में शूट कंप्‍लीट हो चुका है।



मनोज बाजपेयी : सात उचक्‍के दो महीनों के बाद रीलीज होगी। ट्रैफिक के लिए फॉक्‍स स्‍टूडियो से सवाल करें।



प्रफुल्‍ल माली : मान सिंह (बैंडिट क्‍वीन), भीकू म्हात्रे (सत्या) , समर प्रताप सिंह (शूल) इन सब मे कौन सा रोल चैलेंजिंग था?



मनोज बाजपेयी : समर प्रताप सिंह सबसे ज्‍यादा चैलेंजिंग था। उसने मुझे मानसिक रूप से बहुत तंग किया था।



सुदीप कुमार : अगर उनके पास काम हो तो क्या वो बिहार से या फिर चंपारण के किसी कलाकार को हिंदी सिनेमा मे मौका देंगे?



मनोज बाजपेयी : बिहार के प्रतिभाशाली कलाकारों को मैं प्रोत्‍साहित करता रहता हूं। मेरे लिए क्षेत्र से अधिक महत्‍वपूर्ण प्रतिभा है। प्रतिभा ही सर्वोपरि है।



रुद्र ठाकुर : अभिनय क्या है? आप किसी भी चरित्र को इतनी आसानी से कैसे करते हैं?



मनोज बाजपेयी : जो आपको इतना आसान लगता है, उसे निभाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है।



सचिन जायसवाल : बस एक बात - मनोज सर की एक्टिंग बहुत लाजवाब है।



मनोज बाजपेयी : बहुत बहुत धन्‍यवाद। आपका भला हो।



सूरज भारद्वाज : भोजपुरी फिल्‍मों से दूरी क्‍यों? इस तरह के एक्‍टर अगर रीजनल फिल्‍मों में आते हैं, तो शायद कंटेंट और मेकिंग में कुछ सुधार आये।



मनोज बाजपेयी : एक्‍टर से किसी सिनेमा का सुधार नहीं होता। राइटर और डायरेक्‍टर सुधार कर सकते हैं।



कृष्‍ण गोपाल : सिनेमा अभिनेता को मंच की तरह अपना चरित्र जीने का फ्लो नहीं देता। ऐसे मे आप के अंदर का अभिनेता मंच (theater) की डिमांड नहीं करता?



मनोज बाजपेयी : मैं बहुत जल्‍द थिएटर करने वाला हूं। मैं जैसी फिल्‍में करता हूं, वे मुझे हमेशा चुनौती देती हैं। वे कभी आराम नहीं करने देते।



बशर हबीबुल्‍लाह : बिहार के लिए कब एक अच्‍छी छवि वाले सिनेमा में काम करेंगे?



मनोज बाजपेयी : जिस दिन एक अच्‍छी स्क्रिप्‍ट मिली, उस दिन वह फिल्‍म हो जाएगी।



रोहित झा : पहले नियमित ब्लॉग लिखा करते थे। अब क्यों नहीं लिखते?



मनोज बाजपेयी : जैसे ही फुर्सत मिलेगी, मैं नियमित हो जाऊंगा।



ऋषि अजीत पाण्डेय : क्या शूल का रिमेक बनाएंगे?



मनोज बाजपेयी : कोई अच्‍छा विस्‍तार करे, तो जरूर बनाऊंगा।



अंजुले एलुज्‍ना : उनका ड्रीम रोल कौन सा है? या कोई ऐसा रोल, जिसे देखकर उन्हें किस दूसरे एक्टर की किस्मत से जलन फिल होती है?



मनोज बाजपेयी : ड्रीम रोल तो भविष्‍य के गर्भ में है। मुझे किसी से जलन नहीं होती है। और बेहतर करने का उत्‍साह बढ़ जाता है।



ब्रजेश अनय : प्रकाश झा की फिल्‍में अब क्‍यों? आरक्षण, सत्‍याग्रह में अपना हश्र देखने के बाद भी?



मनोज बाजपेयी : उन्‍होंने राजनीति और आरक्षण में मुझे बेहतर मौका दिया। आगे भी कोई उचित ऑफर मिलेगा, तो फिर से करूंगा।



सत्‍येंद्रम शुभम : मनोज जी, आपने फिल्मों में आने के लिए कितनी जद्दोजेहद की तथा फिल्मों में आने के बाद आप बिहार को क्यों भूल गये?



मनोज बाजपेयी : आपको कैसे लगा कि मैं बिहार को भूल गया? मैं आपसे ज्‍यादा बिहारी हूं।



पार्थ कुमार : कला और कलाकार के लिए भविष्य में क्या करना चाहेंगे?



मनोज बाजपेयी : अच्‍छे काम से मैं अपना योगदान करता रहता हूं। और यही मेरे वश में है।



प्रदीप मिश्रा : शूल के बाद अभिनय का वो ज्‍वालामुखी फिर नहीं फटा... वजह क्या रही?



मनोज बाजपेयी : फटता रहता है। आप अनभिज्ञ हैं, क्‍योंकि आप मेरी फिल्‍में नहीं देखते हैं।



रोहित पांडे : आप कमाल के एक्‍टर हैं। आप खुद से कितना संतुष्‍ट रहते हैं। एज एन एक्टर।



मनोज बाजपेयी : मैं कभी संतुष्‍ट नहीं रहता। संतुष्टि मेरी किस्‍मत में नहीं है।



डॉ राजेश शर्मा : अलीगढ़ फ़िल्म के चरित्र को उन्होंने क्या सोच कर जिया और किस चरित्र को अभिनय के समय दिमाग़ में रखा?



मनोज बाजपेयी : अभिनय करते समय मिला चरित्र ही मेरे दिमाग़ में रहता है। उसी से दीवानगी मिलती है। प्रोफेसर सीरस का चरित्र कुछ ऐसा ही है।



दीनू झरबड़े : आज आप फिल्‍में तो कर रहे हैं और शॉर्ट मूवी तांडव भी कर रहे हैं। क्‍या यह आपकी क्रिएटिव भूख है?



मनोज बाजपेयी : अंदर में भूख बढ़ती रहती है। वह शांत ही नहीं हो पा रही है।



धामा वर्मा : बिहार के शान हो आप?



मनोज बाजपेयी : बहुत बहुत धन्‍यवाद। बिहार मेरी शान है।



अभिषेक साहू : क्‍या कभी निर्देशन के क्षेत्र में आएंगे?



मनोज बाजपेयी : अगर कोई स्क्रिप्‍ट खींच कर ले जाए, तो जरूर निर्देशन करूंगा।



राहुल त्रिपाठी शिवोहम : क्यों नहीं अब उन्हें निर्देशन करना चाहिए?



मनोज बाजपेयी : अभी तो अभिनेता ही दिमाग़ में रहता है।  

Comments

Pranjal Dhar said…
अच्छा लगा। हार्दिक बधाई।
सादर
Pranjal Dhar said…
अच्छा लगा। हार्दिक बधाई।
सादर

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