एक विरासत,दो बहनें

-अजय ब्रह्मात्‍मज
एक अंतराल के बाद करिश्मा कपूर बड़े पर्दे पर लौट रही हैं। विक्रम भट्ट की 3डी फिल्म डेंजरस इश्क से उनकी वापसी हो रही है। इस बीच उनकी शादी हुई। बच्चे हुए। पति संजय कपूर से अनबन और मनमुटाव की खबरें आती रहती हैं। उनका ज्यादातर समय मुंबई में गुजरता है। फिल्मों में दूसरी पारी शुरू करने के पहले वे एंडोर्समेंट और इवेंट में दिखने लगी थीं। सार्वजनिक मौजूदगी में प्रशंसकों, समर्थकों और मीडिया से मिल रही निरंतर तारीफों और जिज्ञासाओं ने ही उन्हें फिल्मों में लौटने के लिए प्रेरित किया। हिम्मत बंधाई।
पिछले दिनों डेंजरस इश्क के फ‌र्स्ट लुक इवेंट में उन्हें सुनते हुए पुराने दिन याद आ गए। श्याम बेनेगल की फिल्म जुबैदा की शूटिंग के समय जयपुर में मैंने कुछ समय सेट पर गुजारा था। करिश्मा से अनौपचारिक बातें हुई थीं और फिर फिल्मों की रिलीज के समय इंटरव्यू का सिलसिला चला था। तब अभिषेक बच्चन के साथ उनका प्रेम चल रहा था। बच्चन और कपूर परिवार फिर से करीब आ रहे थे।
रिफ्यूजी की लॉन्चिंग करिश्मा कपूर के लिए बड़ी घटना थी। एक तरफ यह उनके प्रेमी अभिषेक बच्चन की पहली फिल्म थी तो दूसरी तरफ बहन करीना कपूर की भी। करिश्मा कपूर ने चाहा था कि हिंदी में करीना कपूर का पहला इंटरव्यू मैं करूं। पहले इंटरव्यू में करीना के अनगढ़ जवाबों में करिश्मा कपूर की सलाहों की झलक थी। छोटी बहन फिल्मों में प्रवेश कर रही थी और बड़ी बहन ने शादी करने का फैसला कर लिया था। और फिर अचानक किसी बात पर अभिषेक बच्चन और करिश्मा कपूर की सगाई टूट गई थी। निश्चित ही करिश्मा कपूर के लिए वे दुख और संताप भरे दिन थे। करिश्मा ने अज्ञातवास ले लिया। बाद में दिल्ली के संजय कपूर से शादी की।
फिल्मों का जबर्दस्त खिंचाव अभिनेता-अभिनेत्रियों को फिल्मों में लौटने के लिए उकसाता रहता है। करिश्मा के साथ भी यही बात हुई है। उन्होंने अपने करियर के प्राइम में फिल्मों से अवकाश ले लिया था। कायदे से अभी उनके करियर का द एंड नहीं हुआ था। उनके अभिनय में संजीदगी आई थी। वह चुनौतियां स्वीकार कर रही थीं। दर्शक और प्रशंसक सराहना कर रहे थे। तभी उनके करियर में अल्पविराम आ गया। निश्चित ही पर्सनल वजहों से वे नेपथ्य में चली गई और छोटी बहन ने मंच संभाल लिया।
दोनों बहनों के करियर और कपूर खानदान की विरासत पर रोचक किताब लिखी जा सकती है। सभी जानते हैं कि कपूर खानदान में लड़कियां फिल्मों में काम नहीं करती थीं। यहां तक कि अभिनेत्री रह चुकी बहुओं को भी शादी के बाद फिल्मों का परित्याग करना पड़ा। इस परिप्रेक्ष्य में बबीता की जिद से करिश्मा कपूर का फिल्मों में आना किसी बड़ी घटना से कम नहीं था। चूंकि कपूर खानदान का सपोर्ट नहीं था, इसलिए भव्य और जबर्दस्त लॉन्चिंग नहीं हुई। दक्षिण के अभिनेता हरीश के साथ उनकी पहली फिल्म प्रेम कैदी आई। करियर के आरंभ में उन्होंने बी ग्रेड फिल्में भी कीं। गोविंदा के साथ कॉमेडी फिल्मों में उनकी जोड़ी खूब चली। अनुभव और अभ्यास से अभिनय में पारंगत होने के बाद करिश्मा कपूर ने अपनी जगह बनाई। उनके संघर्ष का मीठा फल करीना कपूर को मिला।
करीना कपूर के लिए उन्होंने जमीन तैयार कर दी थी। फिल्मों और निर्देशकों के चुनाव में करिश्मा के अनुभव और सलाह से मदद मिली। साथ ही फिल्म इंडस्ट्री में टिके और बने रहने की युक्ति भी करीना ने करिश्मा से सीखी। बड़ी बहन की तमाम दिक्कतों के साथ लांछन और अपमान भी सहने पड़े। छोटी बहन फिल्मों में प्रवेश करने की क्रूर प्रक्रिया से बच गई।
सही मुकाम हासिल करने के लिए निश्चित ही करीना कपूर को संघर्ष करना पड़ा और इसमें उनका टैलेंट काम आया, फिर भी करीना कपूर के करियर में करिश्मा के योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
एक विरासत,दो बहनें

Comments

Seema Singh said…
जरूरत, महत्वाकांक्षा और इच्छा शक्ति इन्सान- को विरासत के बड़े -बड़े तमगें उतरने को ...?समय और जरूरत इन्सान से क्या कुछ नहीं करा देता है !

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