फिल्‍म समीक्षा : हाउसफुल 2

-अजय ब्रह्मात्‍मज

कामेडी में आयटम का पैबंद


सलीम की गली छोड़-छाड़ कर अनारकली डिस्को जाते हुए जब कम कपड़ों में अपने अंगों को झटके देती है तो पर्दे पर जग्गा डाकू और पुलिस अधिकारी बटुक पटेल भी नाचने को मजबूर हो जाते हैं। अगले दिन अनारकली उनकी बीवियों सरला और हेतल के नाम से उन्हें रिझाती है और उनके बीच फूट डालती है। पूरा गीत और प्रसंग फिल्म में पैबंद की तरह जोड़ा गया है। कैमरे की नजर से यह दर्शकों को थोड़ी देर की उत्तेजना देता है, लेकिन फिल्म के मूल प्रवाह को रोकता भी है। साजिद खान की फिल्मों में कहीं न कहीं बुजुर्गो की दमित सेक्स फैंटेसी भी जाहिर होती रहती है। दर्शकों को बहलाने का यह फूहड़ तरीका है।

साजिद खान की फिल्में देखते समय तर्क और विवेक दोनों के परे जाना होता है। उनकी सभी फिल्मों में लतीफों का सिलसिला रहता है। उन लतीफों को केंद्र में रख कर दृश्य लिखे जाते हैं। एक माहौल सा बन जाता है। हमें किरदारों की बेवकूफ हरकतों पर हंसी आने लगती है। हाउसफुल-2 में साजिद खान ने 12 मुख्य कलाकार रखे हैं। दृश्यों को जोड़ने और बढ़ाने का काम सनी (अक्षय कुमार) करता है, इसलिए उसे हीरो मान सकते हैं। अक्षय कुमार की जोड़ी असिन के साथ है, इसलिए वह हीरोइन हो गई। हीरो-हीरोइन के बिल्ले हटा दें तो सारे किरदार बराबरी के स्तर पर हैं। एक-एक कर उन्हें अपने परफार्मेस से हंसाने का मौका मिलता है। अपने पुकार के नाम डब्बू और चिंटू के रोल में रणधीर कपूर और ऋषि कपूर को देखना रोचक लगता है। दोनों भाइयों ने अपने किरदारों पर मेहनत की है। फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती अपने बदलते रूपों में जमते हैं। गंगापुर के जग्गा डाकू के लंदन में जेडी बनने और फिर फोर्बेस मैग्जीन की अमीरों की सूची में आने का प्रसंग मजेदार है।

फिल्म के उद्देश्य को अक्षय कुमार, जॉन अब्राहम, रितेश देशमुख और श्रेयस तलपड़े अपनी अदाकारी से पूरी करते हैं। अभिनेत्रियों का उपयोग दृश्यों को भरने और दिखाने के लिए किया गया है। मगरमच्छ और अजगर के दृश्यों पर बच्चों को हंसी आ सकती है, अगर दोनों जानवर रितेश और श्रेयस के शरीर के किसी और अंग को हबकते तो कम हंसी आती क्या? लेकिन ऐसे सवाल साजिद खान से पूछने का कोई मतलब नहीं है। उनका उद्देश्य अजीबोगरीब और अश्लील फूहड़ दृश्यों से दर्शकों को हंसाना है।

** दो स्टार


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