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Showing posts from September, 2011

मौसम में मुहब्बत है-सोनम कपूर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज मौसम को लेकर उत्साहित सोनम कपूर को एहसास है कि वह एक बड़ी फिल्म का हिस्सा हैं। वे मानती हैं कि पंकज कपूर के निर्देशन में उन्हें बहुत कुछ नया सीखने को मिला.. आपके पापा की पहली फिल्म में पंकज कपूर थे और आप उनकी पहली फिल्म में हैं..दो पीढि़यों के इस संयोग पर क्या कहेंगी? बहुत अच्छा संयोग है। उम्मीद है पापा की तरह मैं भी पंकज जी के सानिध्य में कुछ विशेष दिखूं। मौसम बहुत ही इंटेंस लव स्टोरी है। जब मुझे आयत का किरदार दिया गया तो पंकज सर ने कहा था कि इसके लिए तुम्हें बड़ी तैयारी करनी होगी। पहले वजन कम करना होगा, फिर वजन बढ़ाना होगा। बाडी लैंग्वेज चेंज करनी पड़ेगी। ज्यादा मेकअप नहीं कर सकोगी। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया रही? मैंने कहा कि इतना अच्छा रोल है तो मैं सब कुछ कर लूंगी। इस फिल्म में चार मौसम हैं। मैंने हर सीजन में अलग उम्र को प्ले किया है। इस फिल्म में मैं पहले पतली हुई, फिर मोटी और फिर और मोटी हुई। अभी उसी वजन में हूं। वजन कम नहीं हो रहा है। वजन का खेल आपके साथ चलता रहा है। पहले ज्यादा फिर कम..। बार-बार वजन कम-ज्यादा करना बहुत कठिन होता है। पहले तो अपनी लांचिंग फिल्

मुझे हंसी-मजाक करने में मजा आता है-जूही चावला

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-अजय ब्रह्मात्‍मज कलर्स पर आज से बच्चों के लिए जूही चावला लेकर आ रही हैं 'बदमाश कंपनी'। शो में वह नजर आएंगी होस्ट की भूमिका में.. क्या है 'बदमाश कंपनी'? 'बदमाश कंपनी' का टाइटल मुझे अच्छा लगा है। शीर्षक से ही जाहिर है कि यह सीधा-स्वीट प्रोग्राम नहीं है। इसमें शरारत है। इस प्रोग्राम को देखते हुए आप हंसेंगे जरूर। बच्चे कभी-कभी अपनी बातों से हमें शर्मिदा या चौंकने पर मजबूर कर देते हैं। वे कुछ सोच कर वैसा नहीं बोलते। सच्चे मन से बोल रहे होते हैं। वे कभी-कभी ऐसी बातें बोल देते हैं, जो आप सोच भी नहीं सकते। जब वे थोड़े बड़े हो जाते हैं, तो फिर हम उन्हें अपनी तरह बना देते हैं। फिर वे सोच कर बोलते हैं और सही चीजें ही बोलते हैं। आप इस 'बदमाश कंपनी' में क्या कर रही है? आप मुझे उनके साथ प्रैंक करते देखेंगे। बंद कमरे में एक सेगमेंट है। फिर एक सेगमेंट बच्चों और पैरेंट्स का है। आपको लगता है कि आप अपने बच्चे को जानते हैं, तो फिर चेक कर लेते हैं कि आप कितना जानते हैं? छोटे-छोटे गेम्स होंगे और फिर हम बच्चों और पैरेंट्स से उनके बारे में पूछेंगे। हमने जवाब पहले से रिकार्ड कर

अब बीवी रोती-बिसूरती नहीं है-तिग्‍मांशु धूलिया

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-अजय ब्रह्मात्‍मज ‘ साहब बीवी और गैंगस्टर ’ ़ ़ ़ इस फिल्म का नाम सुनते ही गुरुदत्त अभिनीत ‘ साहब बीवी और गुलाम ’ की याद आती है। 1962 में बनी इस फिल्म का निर्देशन अबरार अल्वी ने किया था। इस फिल्म में छोटी बहू की भूमिका में मीना कुमारी ने अपनी जिंदगी के दर्द और आवाज को उतार दिया था। उस साल इस फिल्म को चार फिल्मफेअर पुरस्कार मिले थे। यह फिल्म भारत से विदेशी भाषा की कैटगरी में आस्कर के लिए भी भेजी गई थी। इस मशहूर फिल्म के मूल विचार लेकर ही तिग्मांशु धूलिया ने ‘ साहब बीवी और गैंगस्टर ’ की कल्पना की है। तिग्मांशु धूलिया के शब्दों में , ‘ हम ने मूल विचार पुरानी फिल्म से ही लिया है। लेकिन यह रिमेक नहीं है। हम पुरानी फिल्म से कोई छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं। ‘ साहब बीवी और गैंगस्टर ’ संबंधों की कहानी है , जिसमें सेक्स की राजनीति है। यह ख्वाबों की फिल्म है। जरूरी नहीं है कि हर आदमी मुख्यमंत्री बनने का ही ख्वाब देखे। छोटे ख्वाब भी हो सकते हैं। कोई नवाब बनने के भी ख्वाब देख सकता है। ’ इस फिल्म में गुलाम की जगह गैंगस्टर आ गया है। उसके आते ही यह आंसू और दर्द की कहानी र

केरल के ममूटी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके और बाबा साहेब अंबेडकर की भूमिका निभा चुके ममूटी की तस्वीर दिखाकर भी उनका नाम पूछा जाए, तो उत्तर भारत में बहुत कम फिल्मप्रेमी उन्हें पहचान पाएंगे। हिंदी सिनेमा के दर्शक अपने स्टारों की दुनिया से बाहर नहीं निकल पाते। पत्र-पत्रिकाओं में भी दक्षिण भारत के कन्नड़, तमिल, मलयाली या तेलुगू स्टारों पर हमारा ध्यान नहीं जाता। हम हॉलीवुड की फिल्मों और स्टारों से खुश होते हैं। यह विडंबना है। ममूटी ने दक्षिण के दूसरे पॉपुलर स्टारों की तरह हिंदी में ज्यादा फिल्में नहीं की हैं। हिंदी फिल्मों के निर्देशक उनके लिए भूमिकाएं नहीं चुन पाते। मैंने तो यह भी सुना है कि हिंदी के कुछ पॉपुलर स्टार दक्षिण के प्रतिभाशाली स्टारों के साथ काम करने से घबराते हैं। उन्हें डर रहता है कि उनकी पोल प˜ी खुल जाएगी। उल्लेखनीय है कि दक्षिण के स्टारों के पास अपनी भाषा में ही इतना काम रहता है कि वे हिंदी की तरफ देखते भी नहीं। प्रतिष्ठा, फिल्में और पैसे हर लिहाज से वे संपन्न हैं तो भला क्यों मुंबई आकर प्रतियोगिता में खड़े हों? बहरहाल, पिछले 7 सितंबर को ममूटी का जन्मदिन था। अब वे सा

स्‍टैंड आउट करेगी 'मौसम'-शाहिद कपूर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज समाज के बंधनों को पार करती स्वीट लव स्टोरी है 'मौसम'। मैं हरिंदर सिंह उर्फ हैरी का किरदार निभा रहा हूं। कहानी पंजाब के एक छोटे से गांव से शुरू होती है। हरिंदर की एयरफोर्स में नौकरी लगती है। जैसे-जैसे मैच्योरिटी के ग्राफ में अंतर आता है, आयत से उसका प्यार भी उतना ही खूबसूरत अंदाज लेता जाता है। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में 'मौसम' के शुद्ध प्यार से दर्शक जुड़ पाएंगे क्या? कुछ साल पहले जब मैंने 'विवाह' की थी, तब भी ऐसे सवाल उठे थे कि क्या कोई पति ऐसी पत्नी को स्वीकार करेगा जिसका चेहरा झुलस गया हो? ऐसी फिल्में बननी कम हो गई हैं। मुझे लगता है कि 'मौसम' स्टैंड आउट करेगी। इसमें लड़का-लड़की मिलना चाहते हैं, लेकिन दूसरे कारणों से वे मिल नहीं पाते। दुनिया में कई ऐसी चीजें घटती हैं, जिन पर हमारा नियंत्रण नहीं रहता, लेकिन उनकी वजह से हमारा जीवन प्रभावित होता है। फिल्म के प्रोमो में आप और सोनम एक-दूसरे को ताकते भर रहते हैं..मिलने की उम्मीद या जुदाई ही दिख रही है? मिलना और बिछुड़ना दोनों ही हैं फिल्म में। 1992 से 2001 तक दस साल की कहानी है। छोटे शहरों म

पहला मंत्र है भाषा की समझ-अमिताभ बच्‍चन

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उनकी कला और संवाद अदायगी की कायल है अभिनेताओं की नई पीढ़ी। क्या है इसका रहस्य, बता रहे हैं अमिताभ बच्चन.. अभिषेक समेत नई पीढ़ी के सभी कलाकारों में से कोई भी मुझसे कुछ पूछना, जानना या समझना चाहते हैं तो मैं सबसे पहले कहता हूं कि भाषा समझिए। अगर आपकी भाषा सही होगी तो कला अपने आप आ जाएगी। भाषा सही हो जाए तो शब्दों को आप सही तरीके से पढ़ तो सकते हैं। मैंने ऐसा देखा है कि आजकल की पीढ़ी को भाषा नहीं आती। हिंदी लिखना नहीं आता। हिंदी पढ़ना नहीं आता। पढ़ते भी है तो रोमन में पढ़ते हैं। कुछ तो वह भी नहीं पढ़ सकते। उनके असिस्टैंट पढ़ कर सुनाते हैं। मेरा मानना है कि भाषा पर अधिकार नहीं है तो आपकी कला और अभिनय क्षमता भी बिम्बित नहीं हो पाएगी। आप को पता ही नहीं चलेगा कि भाषा का क्या ग्राफ है? कहां पर उतार आएगा और कहां पर चढ़ाव आएगा? कहां आप रूक सकते हैं और कहां आप जोड़ सकते हैं? भाषा का ज्ञान नहीं होने पर आप गुलाम हो जाते हैं ... आप लेखक और सहायक की तरफ मदद के लिए देखते हैं। मैं यह नहीं कहता कि लेखक ने गलत लिखा होगा। वे अच्छा लिखते हैं, लेकिन भाषा के जानकार होने पर आप संवाद के मर्म को अपने शब्दों में

सुपरहिट फिल्म के पांच फंडे

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-मिहिर पांड्या पिछले दिनों आई फिल्म बॉडीगार्ड को समीक्षकों ने सलमान की कुछ पुरानी सफल फिल्मों की तरह ही ज्यादा भाव नहीं दिया और फिल्म को औसत से ज्यादा रेटिंग नहीं मिली लेकिन फिल्म की बॉक्स-ऑफिस पर सफलता अभूतपूर्व है। दरअसल ऐसी फिल्मों की सफलता का फॉर्म्युला उनकी गुणवत्ता में नहीं, कहीं और है। क्या हैं वे फॉर्म्युले, फिल्म को करीब से देखने-समझने वालों से बातचीत कर बता रहे हैं मिहिर पंड्या : नायक की वापसी हिंदी फिल्मों का हीरो कहीं खो गया था। अपनी ऑडियंस के साथ मैं भी थियेटर में लौटा हूं। मैं भी फिल्में देखता हूं। थियेटर नहीं जा पाता तो डीवीडी पर देखता हूं। सबसे पहले यही देखता हूं कि कवर पर कौन-सा स्टार है? किस टाइप की फिल्म है? मैं देखूंगा उसकी इमेज के हिसाब से। हिंदी फिल्मों का हीरो वापस आया है। हीरोइज्म खत्म हो गया था। ऐक्टर के तौर पर मैं भी इसे मिस कर रहा था। मुझे लगता है कि मेरी तरह ही पूरा हिंदुस्तान मिस कर रहा होगा। कहीं-न-कहीं सभी को एक हीरो चाहिए। - सलमान खान, हालिया साक्षात्कार में। ऊपर दी गई बातचीत के इंटरव्यूअर और वरिष्ठ सिने पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज सलमान के घर के बाहर अभी नि

ये पिक्चर फिल्मी है!

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-अजय ब्रह्मात्‍मज कुछ हफ्ते पहले डर्टी पिक्चर की छवियां और ट्रेलर दर्शकों के बीच आए, तो विद्या बालन की मादक अदाओं को देख कर सभी चौंके। यह फिल्म नौवें दशक की दक्षिण की अभिनेत्री सिल्क स्मिता के जीवन से रेफरेंस लेकर बनी है। भारतीय सिनेमा में वह एक ऐसा दौर था, जब सेक्सी और कामुक किस्म की अभिनेत्रियों के साथ फिल्में बनाई जा रही थीं। हिंदी और दक्षिण भारतीय भाषाओं में ऐसी अभिनेत्रियों को पर्याप्त फिल्में मिल रही थीं। सिल्क स्मिता, डिस्को शांति, नलिनी और दूसरी अभिनेत्रियों ने इस दौर में खूब नाम कमाया। नौवें दशक की ऐसी अभिनेत्रियों को ध्यान में रख कर ही मिलन लुथरिया ने डर्टी पिक्चर की कल्पना की। डर्टी पिक्चर का निर्माण बालाजी टेलीफिल्म कर रही है। इस प्रोडक्शन कंपनी के प्रभारी तनुज गर्ग स्पष्ट कहते हैं, ''हमारी फिल्म पूरी तरह से कल्पना है। यह किसी अभिनेत्री के जीवन पर आधारित नहीं है। हम ने नौवें दशक की फिल्म इंडस्ट्री की पृष्ठभूमि में एक फिल्म की कल्पना की है। इसमें मुख्य भूमिका में विद्या बालन को इसलिए चुना है कि आम दर्शक इसे फूहड़ या घटिया प्रयास न समझें।'' विद्या बालन की वजह

फिल्‍म समीक्षा : मेरे ब्रदर की दुल्‍हन

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-अजय ब्रह्मात्‍मज पंजाब की पृष्ठभूमि से बाहर निकलने की यशराज फिल्म्स की नई कोशिश मेरे ब्रदर की दुल्हन है। इसके पहले बैंड बाजा बारात में उन्होंने दिल्ली की कहानी सफल तरीके से पेश की थी। वही सफलता उन्हें देहरादून के लव-कुश की कहानी में नहीं मिल सकी है। लव-कुश छोटे शहरों से निकले युवक हैं। ने नए इंडिया के यूथ हैं। लव लंदन पहुंच चुका है और कुश मुंबई की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आ गया है। उल्लेखनीय है कि दोनों का दिल अपने छोटे शहर की लड़कियों पर नहीं आया है। क्राइसिस यह है कि बड़े भाई लव का ब्रेकअप हो गया है और वह एकबारगी चाहता है कि उसे कोई मॉडर्न इंडियन लड़की ही चाहिए। बड़े भाई को यकीन है कि छोटे भाई की पसंद उससे मिलती-जुलती होगी, क्योंकि दोनों को माधुरी दीक्षित पसंद थीं। किसी युवक की जिंदगी की यह क्राइसिस सच्ची होने के साथ फिल्मी और नकली भी लगती है। बचे होंगे कुछ लव-कुश, जिन पर लेखक-निर्देशक अली अब्बास जफर की नजर पड़ी होगी और जिनका प्रोफाइल यशराज फिल्म्स के आदित्य चोपड़ा को पसंद आया होगा। इस क्राइसिस का आइडिया रोचक लगता है, लेकिन कहानी रचने और चित्रित करने में अली अब्बास जफर ढीले प

प्रोमोशन के दांव-पेंच

-अजय ब्रह्मात्‍मज खबरों, अपीयरेंस, संगत-सोहबत के अलावा अब आप फिल्मों के ट्रेलर और प्रोमोशन से भी समझ और जान सकते हैं कि इन दिनों हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की किस लॉबी में कौन-कौन हैं? कैसे? पिछले हफ्ते रिलीज हुई बॉडीगार्ड आपने देखी होगी। इस फिल्म के साथ करण जौहर की फिल्म अग्निपथ का ट्रेलर जारी किया गया। चार महीनों के बाद 2012 की जनवरी के दूसरे हफ्ते में यह फिल्म रिलीज होगी, लेकिन करण जौहर ने सुनिश्चित किया कि उनकी फिल्म का ट्रेलर बॉडीगार्ड के साथ जरूर आ जाए। करण जौहर इस फिल्म के निर्माता हैं। उन्होंने इस चाहत के लिए संजय दत्त और रितिक रोशन का इस्तेमाल किया। सलमान खान के साथ उनके संबंधों को पहले दुरुस्त किया और फिर उसका लाभ उठाया। सभी जानते हैं कि करण जौहर और शाहरुख खान के करीबी संबंध हैं, जबकि शाहरुख खान और सलमान खान की खुन्नस के बारे में भी सभी जानते हैं। सलमान खान की फिल्म बॉडीगार्ड ईद के मौके पर रिलीज हुई। जबरदस्त प्रचार और उम्मीद की इस फिल्म के साथ ट्रेलर आने का मतलब अपनी फिल्म के लिए अभी से दर्शकों में उत्सुकता बढ़ाना है। ईद के दिन रिलीज हुई बॉडीगार्ड के प्रोमोशन के लिए सलमान खान स्वय

एक तस्‍वीर : शाहरूख खान के प्रेमियों और प्रशंसकों के लिए

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जाना प्रोडक्शन डिजाइनर समीर चंदा का

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-अजय ब्रह्मात्‍मज हिंदी सिनेमा में पर्दे के पीछे सक्रिय व्यक्तियों में हम डायरेक्टर के अलावा म्यूजिक डायरेक्टर, गीतकार और कहानीकारों को जानते हैं। पिछले कुछ समय से ऐक्शन का जोर बढ़ा है, तो ऐक्शन डायरेक्टर के भी नाम आने लगे हैं। अफसोस की बात यह है कि आर्ट डायरेक्टर या प्रोडक्शन डिजाइनर की हम चर्चा कभी नहीं करते। उनके योगदान को रेखांकित ही नहीं किया जाता। फिल्म समीक्षाओं में भी उनके नामों का उल्लेख नहीं होता। सच्चाई यह है कि इन दिनों फिल्मों की लुक और फील तय करने में प्रोडक्शन डिजाइनर की बड़ी भूमिका होती है। वे फिल्म निर्माण का अहम हिस्सा होते हैं। दो हफ्ते पहले सक्रिय प्रोडक्शन डिजाइनर समीर चंदा का देहांत हो गया। वे अभी केवल 54 साल के थे। निर्माता-निर्देशकों के प्रिय समीर को कभी किसी ने ऊंची आवाज में बोलते नहीं सुना। आप कैसी भी जिम्मेदारी सौंपें और कितना भी कम समय दें, समीर दा के पास हमेशा कोई न कोई समाधान रहता था। उनसे काम कराने वाले निर्देशक बताते हैं कि वे कम से कम पैसों में उपयोगी सेट तैयार करते थे। उनके सेट की यह विशेषता होती थी कि वे ओरिजिनल जैसी ही लगती थी। उनके देहांत के बाद मशह

खानों से रिश्ता हुआ खास-करीना कपूर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज बॉडीगार्ड की रिलीज के बाद उत्साहित हैं करीना कपूर। उन्होंने झंकार से शेयर किए कॅरियर व पर्सनल लाइफ के राज.. बॉडीगार्ड के रिलीज होने की मुझे बहुत खुशी है। इसका सभी को इंतजार था। मेरे लिए भी खास फिल्म थी। इसमें सलमान खान ने पूरे दिल से काम किया है। बहुत प्यारी फिल्म बनी है। बॉडीगार्ड इमोशनल रोमांटिक एक्शन पैक्ड फिल्म है। आम-तौर पर सलमान की फिल्में कॉमेडी या एक्शन होती हैं, इस फिल्म में हर तरह का मसाला है। नहीं देखी है तो देख लें। मैं इसे इमोशनल रोमांटिक ही कहना पसंद करूंगी। गीत से अलग है दिव्या कॅरियर के लिहाज से मेरे लिए बॉडीगार्ड का रोल जब वी मेट की टक्कर का है। आप बॉडीगार्ड की दिव्या और जब वी मेट की गीत की तुलना नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों अलग-अलग तरह की लड़कियां हैं। सलमान खान की फिल्म में लड़की को इतना काम मिल जाना काफी था। इस फिल्म की यही खूबी रही कि बहुत ही रियल तरीके से इसे शूट किया गया था। ईद के मौके पर रिलीज होने की वजह से सलमान खान और मेरे प्रशंसकों ने इसे खूब पसंद किया। सिद्दीकी ने बहुत सुंदर काम किया। बिजी हूं खानों के साथ मैं अभी पांचों खानों के साथ बिजी ह