फिल्‍म समीक्षा : नो वन किल्‍ड जेसिका

-अजय ब्रह्मात्‍मज

परिचित घटनाक्रम पर फिल्म बनाना अलग किस्म की चुनौती है। राजकुमार गुप्ता की पहली फिल्म आमिर सच्ची घटनाओं पर काल्पनिक फिल्म थी। नो वन किल्ड जेसिका सच्ची घटनाओं पर वास्तविक फिल्म है, लेकिन यह डाक्यूमेंट्री नहीं है और न ही यह बॉयोपिक की तरह बनायी गयी है। कानूनी अड़चनों से बचने के लिए निर्देशकों ने जेसिका और रूबीना के अलावा बाकी किरदारों के नाम बदल दिए हैं। इस परिवर्तन से प्रभाव में थोड़ा फर्क पड़ा है, जिसे पाटने की राजकुमार गुप्ता ने सार्थक कोशिश की है।

जेसिका लाल की हत्या और उसके बाद के घटनाक्रमों से हम सभी वाकिफ हैं। कोर्ट-कचहरी, पॉलिटिक्स और मीडिया की बदलती भूमिकाओं और प्रभाव को इस मामले के जरिए देश ने करीब से समझा। राजकुमार गुप्ता ने जेसिका से संबंधित सामाजिक पाठ को एक कैप्सूल के रूप में रख दिया है। उन्होंने इसे अतिनाटकीय नहीं होने दिया है। फिल्म नारेबाजी या विजय अभियान जैसी मुहिम में भी शामिल नहीं होती। वास्तव में यह मुख्य घटनाक्रम में पहले एकाकी पड़ती सबरीना और उसे संघर्ष से एकाकार होती मीरा की कहानी है। मीरा निश्चित ही फिल्म में एक किरदार है, लेकिन वह उस सामूहिक विचार व चेतना का प्रतिनिधित्व करती है, जिसने अन्याय के खिलाफ सामान्य नागरिकों को लामबंद किया। इस सामूहिकता के दबाव में ही फाइलों में बंद हो चुका मामला फिर से खुला और अपराधियों को सजा मिली। नो वन किल्ड जेसिका भारतीय समाज के निष्क्रिय और सक्रिय पहलुओं को अनजाने ही आमने-सामने खड़ा कर देती है। यह खामोशी से न्याय के साथ खड़ी हो जाती है।

यह फिल्म विद्या के संजीदा और संयमित अभिनय के लिए याद की जाएगी। कम शब्दों में सिर्फ भावों और प्रतिक्रियाओं से किरदार के मनोभाव और मनोदशा को अभिव्यक्त कर देने का कौशल विद्या बालन में है। उन्हें लेखक और निर्देशक का भरपूर सहयोग मिला है। एक अंतराल के बाद रानी मुखर्जी ने जाहिर किया है कि उन्हें सुपरिभाषित किरदार और सही निर्देशन मिले तो वह निराश नहीं करेंगी। हालांकि कुछ दृश्यों में यह फिल्मी नाटकीयता को छूती हैं, फिर भी मीरा के पैशन और जोश को उन्होंने निभाया है। इस फिल्म की खूबी सहयोगी किरदार हैं। चूंकि वे अधिक परिचित नहीं हैं, इसलिए वास्तविक किरदार ही लगते हैं। समाज पर फिल्मों और मीडिया के प्रभाव का सकारात्मक पक्ष इस फिल्म में दिखता है।

हिंदी फिल्मों में आ रहे बदलाव का ताजा उदाहरण है नो वन किल्ड जेसिका रोमांस और नाच-गाने से परे भी रोचक कहानियां हैं। बस, बस जरूरत है कि आत्मविश्वास के साथ उन्हें पर्दे पर पेश किया जाए।

रेटिंग- ***1/2

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