फिल्‍म समीक्षा : दूल्‍हा मिल गया

अधूरी कहानी, कमजोर फिल्म

-अजय ब्रह्मात्‍मज

डायरेक्टर और अभिनेत्री के बीच समझदारी और केमिस्ट्री हो तो फिल्म बहुत अच्छी बनती है। राज कपूर से लेकर संजय लीला भंसाली तक की फिल्में उदाहरण के रूप में देखी जा सकती हैं। बहरहाल, हर नियम के अपवाद होते हैं। मुदस्सर अजीज की फिल्म दूल्हा मिल गया ऐसी ही अपवाद फिल्म है। सुष्मिता सेन, शाहरुख खान और फरदीन खान की मौजूदगी और विदेशों के आकर्षक लोकेशन के बावजूद फिल्म बांध नहीं पाती। ऐय्याश और फिजूलखर्ची के शौकीन बेटे को वसीयत से सुधारने की पुरानी तरकीब में नए किस्म के छल-प्रपंच, प्रेम और सहानुभूति को जोड़कर बनी दूल्हा मिल गया में कई पुरानी फिल्मों की झलकियां मिल सकती हैं। मुदस्सर अजीज के पास कहानी का ढांचा नहीं है। वे एकसामान्य कहानी को दूसरी फिल्मों के दृश्य से सजाते चले जाते हैं। यहां तक कि मुख्य किरदारों का भी विश्वसनीय चरित्रांकन नहीं कर पाते। शाहरुख खान को उपयोग के लिए जबरदस्ती पीआर जी का कैरेक्टर गढ़ा गया है। अपनी व्यस्तता के बीच से समय निकालकर शाहरुख खान ने बेमन से शूटिंग पूरी करने की औपचारिकता निभा दी है।

सुष्मिता सेन के लिए अपने किरदार को निभा पाना मुश्किल नहीं रहा है। वह एक माडल की अदाओं और भंगिमाओं को पर्दे पर उतारती हैं, लेकिन क्या वैसी भाव-भंगिमाएं आवश्यक थीं? फरदीन खान अपने मोटापे की वजह से थके-थकेलगते हैं। उन्हें खुद को फिर से खोजने की जरूरत है। इन दिनों पापुलर स्टार नए किरदारों को निभाने की चुनौतियां स्वीकार कर रहे हैं, जबकि फरदीन खान की लापरवाही अब स्क्रीन पर नजर आने लगी है। नयी अभिनेत्री ईशिता शर्मा में आकर्षण है और उन्होंने अपने किरदार पर मेहनत भी की है, लेकिन अधूरे ढंग से लिखी कहानी में उनके किरदार के विकास पर लेखक-निर्देशक ने विशेष ध्यान नहीं दिया है।

*1/2 डेढ़ स्टार


Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम