इश्किया के गाने

कुछ शब्‍द इधर-उधर हुए हैं। गुलजार के प्रशंसकों पहले ही माफी मांग रहा है चवन्‍नी।

इब्‍न-ए-बतूता

इब्‍न-ए-बतूता ता ता ता ता ता ता ता ता ता

इब्‍न-ए-बतूता ता ता

बगल में जूता ता ता

इब्‍न-ए-बतूता ता ता

बगल में जूता ता ता

पहने तो करता है चुर्र

उड़ उड़ आवे आ आ, दाना चुगे आ आ

उड़ उड़ आवे आ आ, दाना चुगे आ आ

इब्‍न-ए-बतूता ता ता, बगल में जूता ता ता

पहने तो करता है चुर्र

उड़ उड़ गावे, दाना चुगे ये

उड़ जावे चिड़िया फुर्र

फुर्र

इब्‍न-ए-बतूता

इब्‍न-ए-बतूता

यहीं अगले मोड़ पे, मौत खड़ी है

अरे मरने की भी, क्‍या जल्‍दी है

इब्‍न-ए-बतूता

अगले मोड़ पे, मौत खड़ी है

अरे मरने की भी क्‍या जल्‍दी है

हॉर्न बजाके, आवे जाये

दुर्घटना से देर भली है

चल उड़ जा उड़ जा फुर्र फुर्र

इब्‍न-ए-बतूता ता ता

बगल में जूता ता ता

पहने तो करता है चुर्र

उड़ उड़ आवे आ आ, दाना चुगे आ आ

उड़ जावे चिड़िया फुर्र

इब्‍न-एएएएएएएएए-बतूता

इब्‍न-एएएएएएएएए-बतूता

दोनो तरफ से, बजती है ये

आए हाय जिंदगी, क्‍या ढोलक है

दोनों तरफ से, बजती है ये

आए हाय जिंदगी, क्‍या ढोलक है

हॉर्न बजाके, आ बगियन में

अरे थोड़ा आ गए

अरे चल चल चल उड़ जा उड़ जा

फुर्र, फुर्र फुर्र

इबन-ए-बतूता ता ता

(इबन-ए-बतूता ता ता)

बगल में जूता ता ता

(बगल में जूता ता ता)

पहने तो करता है चुर्र

उड़ उड़ आए आ आ

(उड़ उड़ आए आ आ)

दाना चुगे आ आ

उड़ जाए चिड़िया फुर्र

दिल तो बच्‍चा है

ऐसी उलझी नजर उनसे हटती नहीं

दांत से रेशमी डोर कटती नहीं

उम्र कब की बरस के सुफेद हो गई

कारी बदरी जवानी की छंटती नहीं

वरना ये धड़कन बढ़ने लगी है

चेहरे की रंगत उड़ने लगी है

डर लगता है तनहा सोने में जी

दिल तो बच्‍चा है जी

दिल तो बच्‍चा है जी

थोड़ा कच्‍चा है जी

हां दिल तो बच्‍चा है जी

ऐसी उलझी नजर उनसे हटती नहीं

दांत से रेशमी डोर कटती नहीं

उम्र कब की बरस के सुफेद हो गई

कारी बदरी जवानी की छंटती नहीं

किसको पता था पहलू में रखा

दिल ऐसा पाजी भी होगा

हम तो हमेशा समझे थे कोई

हम जैसा हाजी ही होगा

हां ये जोर करे, कितना शोर करे

बेवजह बातों पे ऐवैं गौर करें

दिल सा कोई कमीना नहीं

कोई तो रोके, कोई तो टोके

इस उम्र अब खाओगे धोखे

डर लगता है इश्‍क करने में जी

दिल तो बच्‍चा है जी

दिल तो बच्‍चा है जी

थोड़ा कच्‍चा है जी

हां दिल तो बच्‍चा है जी

ऐसी उलझी नजर उनसे हटती नहीं

दांत से रेशमी डोर कटती नहीं

उम्र कब की बरस के सुफेद हो गई

कारी बदरी जवानी की छंटती नहीं

ऐसी उदासी बैठी है दिल पे

हंसने से घबरा रहे हैं

सारी जवानी कतरा के कटी

पीरी में टकरा गए हैं

दिल धड़कता है तो ऐसे लगता है वो

आ रहा है यहीं देखता ही न वो

प्रेम की मारे कटार रे

तौबा ये लम्‍हे कटते नहीं

क्‍यों आंखों से मेरी हटते नहीं क्‍यों

डर लगता है तुझसे कहने में जी

दिल तो बच्‍चा है जी

दिल तो बच्‍चा है जी

थोड़ा कच्‍चा है जी

हां दिल तो बच्‍चा है जी

ऐसी उलझी नजर उनसे हटती नहीं

दांत से रेशमी डोर कटती नहीं

उम्र कब की बरस के सुफेद हो गई

कारी बदरी जवानी की छंटती नहीं

Comments

Anonymous said…
पूरी समझ तो नहीं आई लेकिन interesting लगी, फुर्सत से फिर कभी आऊंगा और दोबारा पढूंगा.

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