'द्रोण' में मेरा लुक और कैरेक्टर एकदम नया है-अभिषेक बच्चन


-अजय ब्रह्मात्मज

कह सकते हैं कि अभिषेक बच्चन के करिअर पर थ्री डी इफेक्ट का आरंभ 'द्रोण' से होगा। यह संयोग ही है कि उनकी आगामी तीनों फिल्मों के टाइटल 'डी' से आरंभ होते हैं। 'द्रोण', 'दोस्ताना' और 'दिल्ली-६' में विभिन्न किरदारों में दिखेंगे। 'द्रोण' उनके बचपन के दोस्त गोल्डी बहल की फिल्म है। इस फंतासी और एडवेंचर फिल्म में अभिषेक बच्चन 'द्रोण' की शीर्षक भूमिका निभा रहे हैं। पिछले दिनों मुंबई में उनके ऑफिस 'जनक' में उनसे मुलाकात हुई तो 'द्रोण' के साथ ही 'अनफारगेटेबल' और बाकी बातों पर भी चर्चा हुई। फिलहाल प्रस्तुत हैं 'द्रोण' से संबंधित अंश ...

- सबसे पहले 'द्रोण' की अवधारणा के बारे में बताएं। यह रेगुलर फिल्म नहीं लग रही है।
0 'द्रोण' अच्छे और बुरे के सतत संघर्ष की फिल्म है। सागर मंथन के बाद देवताओं ने एक साधु को अमृत सौंपा था। जब साधु को लगा कि असुर करीब आ रहे हैं और वे उससे अमृत छीन लेंगे तो उसने अमृत घट का राज प्रतापगढ़ के राजा वीरभद्र सिंह को बताया और उनसे सौगंध ली कि वे अमृत की रक्षा करेंगे। इसी कारण उन्हें 'द्रोण' की उपाधि दी गयी। मैं इस फिल्म में आदित्य की भूमिका निभा रहा हूं। मैं वीरभद्र सिंह के वंश का हूं। इस पीढ़ी में मेरा दायित्व है कि मैं अमृत की रक्षा करूं, इसलिए मुझे द्रोण की उपाधि दी जाती है। आदित्य इन चीजों से अंजान सामान्य जिंदगी जी रहा होता है, लेकिन एकबारगी उसकी जिंदगी बदल जाती है।
- एक तरह से आप डबल रोल निभा रहे हैं। एक ही किरदार खास परिस्थिति में बदल जाता है?
0 जी हां, मैं पहले सामान्य युवक आदित्य हूं। 'द्रोण' की उपाधि मिलने के बाद मेरी जिंदगी बदल जाती है। मेरा दायित्व बढ़ जाता है। मेरे जीवन शैली में बदलाव आ जाता है। अब मुझे अपनी मां के साथ अमृत की रक्षा करनी है। देवताओं को दिए गए सौगंध की लाज रखनी है और असुरों को भी हराना है।
- इस फिल्म को लेकर कहा जा रहा है कि यह अभिषेक बच्चन की सुपरहीरो फिल्म है?
0 मालूम नहीं, कहां से यह बात फैली है। यह सुपरहीरो फिल्म नहीं है। द्रोण के पास कोई सुपरपावर नहीं है। वह एक शक्तिशाली राजा जरूर है। उसकी शक्तियां अलौकिक लग सकती हैं, लेकिन वह कहीं से भी सुपरहीरो नहीं कहा जा सकता।
- इस फिल्म की योजना कैसे बनी?
0 गोल्डी पहले किसी और विषय पर फिल्म लिख रहे थे। वह क्राइम थ्रिलर थी। उन्हें अचानक इस विषय का खयाल आया। उन्होंने 'गुरु' की शूटिंग के दौरान आकर मुझ से बात की और कहा कि बड़े पैमाने पर वे एक फिल्म की योजना बना रहे हैं। मैंने उनसे इतना ही कहा कि अगर आप अपने विषय को लेकर आश्वस्त हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। गोल्डी के साथ मेरा ऐसा ही रिश्ता है। मुझे भी लगा कि मैं 'द्रोण' करूं या न करूं, लेकिन मैं इसे देखना चाहूंगा। इस विषय ने मुझे इतना आकर्षित किया कि मैंने गोल्डी को फट से हां कह दिया।
- इस फिल्म में विरासत की बात की गयी है। अभिषेक बच्चन स्वयं और द्रोण के किरदार के रूप में उसे कितना महत्व देते हैं?
0 'द्रोण' का वजूद ही इस विरासत की वजह से है। मैं अपनी बात करूं तो मैं विरासत को बहुत महत्व देता हूं। मेरे माता-पिता, दादा-दादी और उनसे भी पहले के हमारे पूर्वजों ने हमें विरासत सौंपी है। हमें उसकी रक्षा करने के साथ उसे आगे भी बढ़ाना चाहिए। हम क्या हैं? वास्तव में हम उसी विरासत के हिस्से हैं। मेरे लिए दादा जी द्वारा दिया गया बच्चन नाम और उसकी विरासत सबसे मूल्यवान धरोहर है। मैं उस पर गर्व करता हूं।
- 21वीं सदी में विरासत की बात करना ... क्या ऐसा नहीं लगता कि यह सामंती सोच है?
0 इसे सामंती व्यवस्था और मूल्यों से जोड़ कर न देखें। विरासत क्या है? मेरे लिए यह पिता और दादा द्वारा दिए गए मूल्य और सिद्धांत हैं, जो किसी भौतिक संपदा से अधिक मूल्यवान हैं।
- निजी तौर पर आपके लिए 'द्रोण' का अनुभव कैसा रहा? यह रेगुलर किस्म की फिल्म नहीं है और न ही आपका किरदार हिंदी फिल्मों का रेगुलर हीरो है?
0 मेरे लिए तो बहुत ही अलग रहा। मैंने 'द्रोण' जैसी कोई फिल्म पहले नहीं की थी। मुझे नहीं लगता कि जल्दी ही कोई दूसरा मौका भी नहीं मिलेगा। यह फिल्म बड़े पैमाने पर बनी है। मेरी अभी तक की सबसे महंगी फिल्म है 'द्रोण'। इस फिल्म का लुक और मेरा कैरेक्टर एकदम नया है। मुझे इस लाइन पर बनी कोई और हिंदी फिल्म याद नहीं आती। यह अपनी तरह की पहली फिल्म है और यही सबसे बड़ी चुनौती रही। मेरे लिए कोई रेफरेंस पाइंट नहीं था।
- किस तरह की चुनौतियां या मुश्किलें रहीं?
0 बड़ी फिल्म की मुश्किलें भी बड़ी होती हैं। अगर हम बड़ा काम करते हैं तो उसकी जांच होती रहती है। हमें अपनी मेहनत और लगन से वह अर्जित करना पड़ता है। मुश्किलें स्वाभाविक रूप से आती हैं। प्राग में ऐसी बर्फ गिरी की दो दोनों तक हम बैठे रहे। बीकानेर जैसी जगह में ऐसी बारिश हुई कि सेट बह गया। नामीबिया में शूटिंग कर रहे थे तो चक्रवात आया। हम ने तो सोचा भी नहीं था कि ऐसा कुछ होगा।
- ऐसी फिल्म में अभिनय और अभिव्यक्ति की निरंतरता पर कितना ध्यान पड़ता है?
0 हर फिल्म में वैसी निरंतरता पर ध्यान देना पड़ता है। एक एक्टर की मेहनत किसी भी फिल्म में कम नहीं होती। ऐसी फिल्मों में दूसरों की मेहनत बढ़ जाती है कि क्या पहना था और आगे क्या पहनना है? उसमें एक कंटीन्यूटी रखनी पड़ती है। इस किरदार के लिए मुझे पांच-छह चीजों का प्रशिक्षण लेना पड़ा। फिल्म में मेरा कॉस्ट्यूम 10 से 15 किलोग्राम के बीच रहता था। वह पहन कर चलना पड़ता था। मुझे मजा आया।
- इस फिल्म में अंडरवाटर स्टंट भी किया है आपने?
0 जी हां, और वह बहुत खतरनाक था। मुझे बगैर ऑक्सीजन मास्क के पानी में रहना था। स्टंट के समय अपनी सांसें रोक कर रखनी थी। अगर आक्सीजन की अचानक जरूरत महसूस हो तो सहायता के लिए एक आदमी रहता था। 20 फीट गहरे पानी के टैंक में इसकी शूटिंग हुई थी। पहले दिन तो पानी के दबाव के कारण नाक से खून बहने लगा था। रोजाना आठ से नौ घंटे पानी में शूटिंग करनी पड़ी थी। मैं उस कठिन शूटिंग को नहीं भूल सकता। उसका अलग रोमांच था।
- आप एक सुपरस्टार के बेटे होने के साथ दुनिया की सबसे खूबसूरत इंटरनेशनल आइकॉन के पति भी हैं। इनके कारण कोई दबाव या चुनौती महसूस करते हैं?
0 बिल्कुल नहीं। न ही कोई दबाव रहता है और न कोई चुनौती महसूस करता हूं। मैं इसके बारे में सोचता ही नहीं। अगर यह सब देखने और सोचने लगूं तो अपनी नार्मल जिंदगी तबाह कर लूंगा। मुझे अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करते हुए काम करना चाहिए और परिणाम दर्शकों पर छोड़ देना चाहिए। मैं वही करता हूं।
- अब पिता अमिताभ बच्चन से आपकी तुलना नहीं की जाती। आप ने अपनी जगह पा ली है क्या?
0 मैं नहीं कह सकता कि मेरी कोई जगह बनी है या नहीं। लोग पहले पापा से मेरी तुलना करते थे और यह नैचुरल था। बाद में उन्हें लगा कि मेरी शैली अलग है। अगर कोई समानता दिखती है तो भी मैं शर्मिंदा नहीं हूं। मैं उनका बेटा हूं। उनके गुण मुझ में आने और रहने चाहिए। अगर कोई कहता है कि मैं तो अमिताभ बच्चन की तरह एक्टिंग करता हूं तो मेरे लिए यह बड़ी सराहना है। आप अमिताभ बच्चन को एक्टर के तौर पर देखें और फिर उनसे मेरी तुलना का महत्व समझें।

- मां के साथ भी आ रहे हैं आप 'द्रोण' में?

0 मां के साथ एक और फिल्म कर चुका हूं। मां तो मां हैं। शॉट के बाद वह मां हो जाती हैं। मैं चाहूंगा कि उनके साथ एक पूरी फीचर फिल्म करूं। इसमें उनका रोल बहुत छोटा है। उनके साथ काम करने में मजा आया। मां के साथ तो दुलार पाना निश्चित है।




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