बॉक्स ऑफिस:२९.०८.२००८

नही चला मल्लिका का जादू

सिंह इज किंग ने यह ट्रेंड चालू कर दिया है कि शुक्रवार को फिल्म रिलीज करो और अगले सोमवार को कामयाबी का जश्न मना लो। इसके दो फायदे हैं- एक तो ट्रेड में बात फैलती है कि फिल्म हिट हो गयी है और दूसरे कामयाबी के जश्न की रिपोर्टिग देख, सुन और पढ़ कर दूसरे शहरों के दर्शकों को लगता है कि फिल्म हिट है, तभी तो पार्टी हो रही है। इस तरह कामयाबी के प्रचार से फिल्म को नए दर्शक मिल जाते हैं।
पिछले सोमवार को फूंक की कामयाबी की पार्टी थी। एक बुरी फिल्म की कामयाबी का जश्न मनाते हुए निर्देशक राम गोपाल वर्मा की संवेदना अवश्य आहत हुई होगी। मन तो कचोट रहा होगा, लेकिन कैसे जाहिर करें? बहरहाल, फूंक के प्रचार से आरंभिक दर्शक मिले। पहले दिन इसका कलेक्शन 70 प्रतिशत था। राम गोपाल वर्मा की पिछली फिल्मों के व्यापार को देखते हुए इसे जबरदस्त ओपनिंग मान सकते हैं। शनिवार को दर्शक बढ़े, लेकिन रविवार से दर्शक घटने आरंभ हो गए। इस फिल्म की लागत इतनी कम है कि सामान्य बिजनेस से भी फिल्म फायदे में आ गयी है।
मान गए मुगले आजम और मुंबई मेरी जान का बुरा हाल रहा। संजय छैल की मान गए मुगले आजम देखने दर्शक गए ही नहीं, जबकि उसमें मल्लिका शेरावत थीं। दर्शक कंफ्यूज रहे कि किस तरह की फिल्म है? मुंबई मेरी जान का प्रचार सही नहीं था। इसे समीक्षकों की सराहना मिली, लेकिन इसे देखने गंभीर दर्शक ही गए। मुंबई की जिंदगी को दर्शाती इस फिल्म ने दूसरे शहरों में दर्शकों को आकर्षित नहीं किया।
पिछली फिल्मों में बचना ऐ हसीनों औसत व्यापार कर रही है। यशराज फिल्म्स के लिए यह राहत की बात है। सिंह इज किंग का उफान कम हुआ है। अब उसके दर्शक घट रहे हैं।

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