फ़िल्म समीक्षा:किस्मत कनेक्शन

लव स्टोरी में सोशल कंसर्न
-अजय ब्रह्मात्मज
हम आप खुश हो सकते हैं कि जाने तू या जाने ना जैसी मनोरंजक फिल्म की रिलीज के एक पखवारे के भीतर ही एक और मनोरंजक फिल्म किस्मत कनेक्शन आई है। हालांकि यह भी लव स्टोरी है, लेकिन इसमें अजीज मिर्जा का टच है। किस्मत कनेक्शन टोरंटो के बैकड्राप में बनी भारतीय इमोशन की प्रेम कहानी है, जिसमें कुछ घटनाएं और स्थितियां नई हैं।
अजीज मिर्जा की खासियत है कि उनकी फिल्में हकीकत के करीब लगती हैं। उनकी फिल्मों में यथार्थ का पुट रहता है। समानता, बराबरी, मानव अधिकार और वंचितों के अधिकार की बातें रहती हैं। लेकिन, यह सब कहानी का मुख्य कंसर्न नहीं होता। इसी फिल्म को लें। प्रतिभाशाली छात्र राज मल्होत्रा पढ़ाई पूरी करने के बाद बेरोजगार है। भविष्य बताने वाली हसीना बानो जान उसे समझाती है कि वह अपना लकी चार्म खोजे और उसे अपने साथ रखे तो उसके सारे काम हो जाएंगे।
राज मल्होत्रा की प्रिया से मीठी भिड़ंत होती रहती है। चंद भिड़ंतों के बाद राज को एहसास होता है कि प्रिया उसकी लकी चार्म है। दोनों में दोस्ती होती है और फिर दोस्ती प्यार में बदल जाती है..। जरा ठहरें, इतना सिंपल अंत नहीं है। इस बीच मनमुटाव, नोकझोंक और छोटे-मोटे हादसे भी होते हैं।
राज और प्रिया की प्रेमकहानी काल्पनिक नहीं है। वे इसी धरती पर रहते हैं। चूंकि इस फिल्म में वे टोरंटो में रहते हैं, इसलिए वहां की सामाजिक मुश्किलों से दो-चार होते हैं। अजीज मिर्जा ने राजू बन गया जेंटलमैन की मूल कहानी में कुछ घटनाएं जोड़-घटा कर किस्मत कनेक्शन बनाई है। कामयाब होने की राज की जिद और कम्युनिटी सेंटर को बचाने की प्रिया की कोशिश में हम रियल किस्म के किरदारों को देख पाते हैं।
फिल्म के सहज दृश्य और संवाद याद रह जाते हैं। शाहिद कपूर और विद्या बालन की जोड़ी बेमेल नहीं लगती। प्रिया थोड़ी मैच्योर और समझदार लड़की है, इसलिए विद्या उस रोल के लिए उपयुक्त हैं। शाहिद इस फिल्म में एक कदम आगे आए हैं। वे समर्थ अभिनेता के तौर पर उभर रहे हैं। फिल्म का गीत-संगीत विषय के अनुकूल है। उन्हें आयटम सौंग की तरह फिल्म की कहानी में चिप्पियों की तरह नहीं जोड़ा गया है।

Comments

Udan Tashtari said…
अच्छी रही समीक्षा..कोशिश करेंगे देखने की.
कुश said…
अज़ीज़ मिर्ज़ा साहब की फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी और चलते चलते दोनो ही देखने गये थे.. अब किस्मत कनेक्शन भी देखने ज्एंगे.. हालाँकि पढ़ा है हमने की ये होलीवूद की फिल्म 'जस्ट माय लक' से प्रेरित बताई जा रही है.. मैने वो फिल्म देखी है.. पर मैं मिर्ज़ा साहब को जनता हू.. वो साधारण सी कहानी में एक कशिश पैदा कर देते है.. आपकी समीक्षा बढ़िया रही.
रोचक शैली में सुंदरतम समीक्षा। साधुवाद।

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