टशन: एक फंतासी

-अजय ब्रह्मात्मज

इसे यशराज फिल्म्स की टशन ही कहेंगे।

इतने सारे स्टार, ढेर सारे खूबसूरत लोकेशन, चकाचक स्टाइल और लुक, नई तकनीक से लिए गए एक्शन दृश्य, थोड़ा-बहुत सीजीआई (कंप्यूटर जेनरेटड इमेजेज), नॉर्थ इंडिया का कनपुरिया लहजा और इन सभी को घोल कर बनायी गयी टशन। ऊपर से आदित्य चोपड़ा की क्रिएटिव मार्केटिंग ़ ़ ़ हिंदी फिल्मों के सबसे बड़े और कामयाब प्रोडक्शन हाउस से आई फिल्म है टशन का बाजार गर्म था। यही तो यशराज फिल्म्स की टशन है।

सिंपल सी कहानी है। कानपुर शहर में एक उचक्का रिक्शेवाला एक बेटी के सामने उसके बाप की हत्या कर देता है। बेटी उस हत्यारे के पीछे लग जाती है और अपने पिता की अस्थियां विसर्जित करने के साथ ही उस हत्यारे से पिता के खून का बदला लेती है। वह साफ कहती है कि हम सीधे और शरीफ लोग नहीं हैं। हम कमजोर भी नहीं हैं। वक्त पड़ने पर एक-दूसरे की मदद से कुछ भी कर सकते हैं। टशन में कुछ भी कर दिखाने की जिम्मेदारी पूजा सिंह (करीना कपूर), बच्चन पांडे (अक्षय कुमार) और जिम्मी क्लिफ (सैफ अली खान) की है।

इन दिनों खल किरदारों को लेकर फिल्म बनाने का चलन जोरों पर है। इस फिल्म के ही सारे किरदार खल स्वभाव के हैं। कोई थोड़ा कम तो कोई थोड़ा ज्यादा। भैया जी के नाम से मशहूर लखन सिंह कानपुर से मुंबई आकर अंडर व‌र्ल्ड सरगना बन जाता है। उसके दो ही शौक हैं - हत्या करना और अंग्रेजी बोलना। चूंकि अंग्रेजी आती नहीं, इसलिए वह अंग्रेजी सीखने के लिए कॉल सेंटर के कर्मचारी और टीचर जिम्मी क्लिफ को गुरू बना लेता है। जिम्मी क्लिफ को लड़कियां बदलने का शौक है। वह पूजा सिंह के प्रेम में गिरफ्तार हो जाता है। पूजा उसके प्रेम को भुनाती है। वह जिम्मी का इस्तेमाल करती है और भैया जी की बड़ी रकम लेकर चंपत हो जाती है। अब उस लड़की को खोजने के लिए बच्चन पांडे को कानपुर से बुलाया जाता है। देसी किस्म के गुंडों और सरगनों की स्टाइलिश धड़-पकड़, मारपीट और छल-कपट में कुछ भी हो सकता है। कोई भी चीज उड़ सकती है। कुछ भी भहरा कर गिर सकता है और ऐसी घटनाएं घट सकती हैं, जो सिर्फ सपनों में घटती हैं।

टशन एक फंतासी है। मॉर्डन तकनीक और टेस्ट की फंतासी, जो संभव है कि देश के अधिकांश दर्शक नहीं समझ पाएं। टशन की टीम ने रंगीन, आकर्षक, चमकदार, हैरतअंगेज, काल्पनिक और लाउड किस्म की इस फंतासी में नाच-गाना, रोमांस, अश्लील संवाद और हरकतें सब कुछ देसी टशन के नाम पर ठूंस दिया है। बस, एक ही चीज छूट गयी है ़ ़ ़ वह है कहानी। फिल्म का प्रभाव बढ़ाने के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक भी इतना लाउड है कि कानों पर असर करता है।

कहते हैं अनिल कपूर का टपोरी अंदाज आदित्य चोपड़ा को बहुत पसंद है। अनिल कपूर निराश नहीं करते। बच्चन पांडे के रूप में अक्षय कुमार भी दिल जीतते हैं। हां,दर्शकों को रिझाने के लिए जो अश्लील हरकतें उन्होंने की है,उनसे बचा जा सकता था। करीना कपूर को सेक्सी दिखना था। वह दिखी हैं। फिल्म समझ में न आए तो यह दर्शकों का ही कसूर है। यशराज फिल्म्स ने तो अपनी टशन में एक एंटरटेनिंग फिल्म बनाने की कोशिश की है।

Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम