हिन्दी फ़िल्म:महिलायें:वर्तमान दशक

यह दशक अभी समाप्त नहीं हुआ है.अगले दो साल में अभी न जाने किस-किस अभिनेत्री का दीदार होगा और न जाने किसका जादू दर्शकों के सिर चढ़ कर बोलेगा?फिलहाल दीपिका पदुकोन और सोनम कपूर अपने-अपने हिसाब से जलवे बिखेर रही हैं.दोनों एक ही दिन ९ अक्टूबर २००७ को परदे पर आयीं और छ गयीं.दीपिका की पहली फिम 'ओम शान्ति ओम' थी,जिसे फराह खान ने निर्देशित किया था.सोनम के निर्देशक संजय लीला भंसाली हैं.उनकी 'सांवरिया' से सोनम का आगमन हुआ.ऐसा लगता है कि दोनों का सफर लंबा है.हाँ,रास्ते अलग-अलग हैं. अब थोड़ा पीछे चलें.प्रीति जिंटा को शेखर कपूर पेश करने वाले थे.उनकी फ़िल्म नहीं बन सकी.मणि रत्नम की 'दिल से' में प्रीति की झलक दिखी थी.उनकी ज्यादातर फिल्में इसी दशक में आई हैं.इसी दशक में अमृता राव एक सामान्य सी फ़िल्म 'अब के बरस' से आयीं.धीरे-धीरे उनहोंने अपनी तरह की जगह बना ली.हेमामालिनी की बेटी एषा देओल अभी तक कोई मुकाम नही छू सकी हैं.करिश्मा कपूर की बहन करीना कपूर ने जे पी दत्ता की फ़िल्म 'रिफ्यूजी' से धमाकेदार शुरूआत की,लेकिन उनका सफर ठीक नहीं रहा.पिछले साल 'जब वी मेट' से उनकी लोकप्रियता में इजाफा हो गया है.ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन की तरह ही फिर से विश्व सुंदरी और ब्रह्माण्ड सुंदरी प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता की जोड़ी फिल्मों मं कामयाब रही.एक नाम बिपाशा बसु का अलग से लेना होगा.वह कोलकाता से मुम्बई आकर फिल्मों में जगह बनने में कामयाब रहीं.उनकी पहली फ़िल्म 'अजनबी' थी.इस दशक की अन्य अभिनेत्रियों में गुल पनाग,रिम्मी सेन,कोंकणा सेन शर्मा,तनुश्री दत्ता,मल्लिका शेरावत,रिम्मी सेन आदि का ज़िक्र किया जा सकता है.

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