भारतीय पुरूषों की कुरूपता

प्रिय पाठक चौंके नहीं कि चवन्नी को आज क्या सूझी?
फिल्मों की दुनिया से निकल कर वह आज क्या कहने जा रहा है?चवन्नी को एक नई किताब हाथ लगी है.लेखक हैं मुकुल केसवन... चवन्नी के अंग्रेजी पाठक उनके नाम से परिचित होंगे.नयी दिल्ली के वासी मुकुल केसवन इतिहास पढ़ाते हैं aur हर लेखक की तरह सिनेमा,क्रिकेट और पॉलिटिक्स पर लिखते हैं.सिनेमा पर लिखने की छूट हर लेखक ले लेता है.उसके लिए अलग से कुछ पढाई करने की ज़रूरत कहाँ पड़ती है.हर भारतीय को सिनेमा घुट्टी में पिला दी जाती है.यकीं नही तो किसी से भी सिनेमा का ज़िक्र करें,अगर वह आपकी जानकारी में इजाफा न करे तो चवन्नी अपनी खनक खोने को तैयार है।
बहरहाल,मुकुल केसवन की नयी किताब आई है.चवन्नी को नही मालूम कि उनकी कोई किताब पहले आई है कि नही?इस किताब का नाम उन्होने रखा है भारतीय पुरूषों की कुरूपता और अन्य सादृश्य॥(the ugliness of the indian male and other proportions)।
इस किताब में उनहोंने विस्तार से पुरूषों की कुरूपता की चर्चा की है.अगर यह किताब किसी औरत ने लिखी होती तो शायद अभी तक मोर्चा निकल चूका होता,लेकिन यहाँ एक पुरुष ही अपने समूह को आईना दिखा रहा है.वह आगे बढ़ कर कहते हैं कि छोंकी भारतीय पुरुष कुरूप होते हैं,इसलिए वे कुरूप हीरो को पसंद करते हैं.भारतीय फिल्मों के हीरो कुरूप ही होते हैं.चवन्नी को पूरा विश्वास है कि अपने आलोक पुराणिक इस मामले में खामोश नहीं रहेंगे.वैसे भी ज्यादातर कुरूप जन ही ब्लॉग लिख रहे हैं ,इसलिए ब्लॉग जगत में खलबली मचनी चाहिए।
मुकुल केसवन ने उदाहरण भी दिया है.आप फिल्मों के मशहूर कुरूपों के नाम देखें...प्रेम अदीब,कुन्दन लाल सहगल,अशोक कुमार,प्रेमनाथ,किशोर कुमार,राज कपूर,दिलीप कुमार,देव आनंद,भारत भूषण,गुर दत्त,बिश्वजीत,जोय मुख़र्जी,राजेंद्र कुमार,शम्मी कपूर,शशि कपूर,धर्मेन्द्र,राज कुमार,शत्रुघन सिन्हा,राजेश खन्ना,अमिताभ बच्चन,अजय देवगन,गोविंदा,नसीरुद्दीन शाह,मिथुन चक्रवर्ती,आमिर खान,शाहरुख़ खान,रितिक रोशन,अनिल कपूर,सनी देओल, सलमान खान,संजय दत्त,सुनिल शेट्टी..इनमें जो नाम शामिल हैं वे खुद को कुरूपों से अलग न मानें .किताब को सिर्फ नामों की सूची से तो नही भरना था न?
मुकुल लिखते हैं कि भारतीय दर्शकों को तब आत्मिक ख़ुशी मिलती है जब ये कुरूप हीरो सुन्दर हीरोइनों को अपने वश में करते हैं.भारतीय सिनेमा की लोकप्रियता का यह नया तर्क है।
अब आप बताएं कि मुकुल केसवन की धारणा से आप कितना सहमत हैं?

Comments

मुकुल जी की यह किताब पढने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है...
Anonymous said…
चवन्नी अपने को रुपया समझने वाले का चेहरा तो दिखाए।
bhuvnesh sharma said…
मुझे तो लगता है मि.मुकुल की गर्लफ्रेंड को कोई उनसे खूबसूरत बंदा ले उड़ा होगा यह उसी की फ्रस्‍ट्रेशन है :)
अपन को ज्‍यादा तो नहीं पता
पर ये जनाब मुकुल केसवन
अखबारों और पत्र पत्रिकाओं में किक्रेट पर लिखते रहते हैं। दिल्‍ली में जामिया मिलिया इस्‍लामिया में सोश्‍यल हिस्‍टरी पढाते हैं। क्रिकेट पर एक किताब मेन इन व्‍हाइट भी लिख चुके हैं।
ईश्‍वर इनको सदबुद़धी दे।
इनका क्रिकेट ब्‍लॉग http://blogs.cricinfo.com/meninwhite/ है।
जरा नजर मार लीजिएगा।
Rajendra said…
Keshvan ceratinly knows the gimmick that sells a book.
Unknown said…
भैया अपन तो इतना ही कह सकते हैं कि यदि केसवन जी ने रितिक को भी कुरूप कहा है तो फ़िर उनके "एस्थेटिक सेंस" की जाँच होनी चाहिये...

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